पैसा बोलता है Hindi Story – Hindi Moral Kahani

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‘पैसा बोलता है Hindi Story’ – एक फ़क़ीर बाबा और एक चूहे की प्रेरणादायक हिंदी कहानी | Moral Stories For Kids Class 7,8,9,10


‘पैसा बोलता है’ -यह कहावत कई सदी से चली आ रही है। इसका अर्थ बहुत कम लोग ही जानते हैं, मगर एक चूहे ने इस कहावत के सही अर्थ को साकार कर दिखाया।

किसी नगर में एक फकीर रहते थे। वे बहुत बुजुर्ग थे। रोज सवेरे उठकर ईश्वर का ध्यान करते और फिर भिक्षा माँगने निकल पड़ते। पूरे दिन भिक्षा माँगते और शाम को आकर अपनी कुटिया में सो जाते।

सोने से पहले वे भिक्षा के बचे हुए खाने को एक बूटी पर टांग देते और सुबह उठकर उस भिक्षा से पेट भरते ।

मगर कुछ दिनों से उनकी बह बची हुई भिक्षा गायब हो रही थी । पहले पहले तो उन्होंने समझा कि हो सकता है रात वे भिक्षा रखना भूल गये हों।

मगर जब हर दिन यही होता रहा और कई सप्ताह तक यही क्रम चलता रहा तो फकीर बाबा परेशान हो गये।

एक दिन उन्होंने निश्चय किया कि आज वे उस चोर को अवश्य पकड़कर रहेंगे जो उनके खाने को रोज चुपके से खा जाता है, यह सोचकर उस रात वे जागते रहे।

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रात के करीब दूसरे प्रहर में उन्होंने कुटिया में किसी की आहट सुनी।

आहट होते ही वे सतर्क हो गये।

उन्होंने चिराग जलाया। पूरी कुटिया में कोई ना था, उन्होंने खाने वाली बूटी की ओर देखा तो हैरान रह गये। उन्होंने देखा कि एक चूहा छलाँग मारकर खाने के थैले में जा चढ़ा और खाना खाने में व्यस्त हो गया।

यह देखकर फकीर बाबा का रोम-रोम क्रोधाग्नि से तप उठा। उन्होंने लाठी उठाई और चूहे को मारने को दौड़े।

मगर चूहा अत्यधिक चालाक था, वह फुर्ती से थैले से निकला और बिल में घुस गया।

फकीर बाबा अपना-सा मुंह लेकर वापस लेट कर सो गये।

अब तो रोज का यही किस्सा हो गया, फकीर बाबा रोज लाठी लेकर चूहे को मारने दौड़ते, मगर असफल ही वापस लौट आते। उन्होंने बूटी भी ऊँची की, मगर कोई फायदा नहीं हुआ ।

तब एक दिन फकीर बाबा ने एक युक्ति भिड़ाई। वे कहीं से एक लम्बा बाँस ले आए और रात को जब भी उनकी आंख खुलती वे बाँस फटकारते।

मगर यह तरकीब भी ज्यादा कारगर साबित न हुई। उनके खाने से कुछ-न-कुछ वह चूहा उड़ा ही ले जाता।

फिर एक दिन उनके गुरु जी उनके पास आए। खाना खाने के बाद फकीर बाबा ने बचा हुआ खाना थैले में करके बूटी पर टांग दिया।

रात को दोनों गुरु-शिष्य बातें करने बैठे तो शिष्य ने वही बाँस हाथ में लिया और जब भी उन्हें एहसास होता कि चूहा बिल से बाहर आने वाला है, वे बॉस फटकार देते।

फटकार सुनकर चूहा फिर बिल में भाग जाता।

पैसा बोलता है Hindi Story

इधर शिष्य को बार-बार बाँस फटकारते देख गुरु को अच्छा ना लगा, वो बोले- “शिष्य लगता है तुम कहीं और ध्यान लगा रहे हो, मैं देख रहा हूं कि तुम्हारा ध्यान हमारी बातों की ओर नहीं है। क्या तुम इतने असभ्य हो गये हो कि घर आये मेहमान का आदरसत्कार तक भूल गये, क्या हमने तुम्हे यही शिक्षा दी थी कि जब हम तुमसे मिलने आएं तो तुम हमारी बातों पर ध्यान भी न दो ?”।

गुरु की बात सुनकर शिष्य बाबा हड़बड़ा गये। वे मुंधे गले से बोले- “नहीं, गुरुजी यह बात नहीं है”।

“फिर क्या बात है, तुम बार-बार बाँस क्यों फटकार रहे हो?” गुरु जी नरम हुए।

“असल में गुरु जी, मुझे कुछ दिनों से एक चूहे ने अत्यधिक परेशान कर रखा है”।

“क्या मतलब ?”

“गुरु जी ! कुछ दिनों से मैं जो भी खाना बचा कर रखता हूँ एक चूहा रोज उसे खा जाता है, मैंने बूटी भी और ऊपर गाड़ी, मगर वह वहाँ तक भी पहुँच गया, आखिर में थक हार कर मैंने यही उपाय निकाला। अब जब भी मुझे लगता है कि वह चूहा बाहर निकलने वाला है, तो में बॉस फटकार में देता हूँ।” फकीर बाबा ने गुरु जी को सब कुछ विस्तार से बता दिया।

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सारी बात सुनने के बाद गुरु जी कुछ सोचने लगे। फिर बोले शिष्य! यह चूहा तो बहुत छोटा है, और थैला छत के साथ बहुत ऊँचा लटक रहा है, फिर भी चूहा इतनी ऊंचाई तक कैसे पहुंच जाता है? साधारण चूहे तो इससे आधा भी नहीं उछल सकते जरूर इस चूहे में कोई विशेष बात है।”

“जी गुरु जी, आप ठीक कहते हैं! मैं भी बहुत दिनों से सोच रहा हूँ कि यह चूहा इतनी ऊंची छलांग कैसे लगा लेता है। किन्तु मेरी समझ में कोई बात नहीं आई। आप ही कोई उपाय बताइये !” फकीर बाबा ने गुरु जी से प्रार्थना की।

गुरु जी कुछ सोच कर बोले-“शिष्य! तुम इसका बिल खोदकर देखो, क्योंकि ज्यादा उछलकूद वही करता है जिसका शरीर धन की गरमी पाया हुआ हो।”

“ठीक है, गुरु जी!” फकीर बाबा ने कहा और बिल को खोदने लगे।

बिल खोदने पर बाबा ने देखा कि चूहे के बिल में एक ओर रोटी के टुकड़े एक ओर गेहूँ व मिठाई का ढेर रखा है। यह देखकर फकीर बाबा विस्मित हो उठा।

उन्होंने वह सब गुरु जी को दिखाया।

गुरु जी बोले- “शिष्य! देखा जैसा मैंनें कहा था, वैसा ही निकला ना, उस तुच्छ चूहे की ऊँची छलाँग का राज इस धन की गरिमा थी। चूहे के लिए यह रोटी के टुकड़े और अनाज ही धन के बराबर है अब तुम ऐसा करो कि इस धन को यहाँ से निकाल लो, फिर कल देखना ।”

बाबा ने ऐसा ही किया और फिर अगले दिन दोनों गुरु-शिष्य खाना खाकर बातें करने बैठे।

बाबा ने बचा हुआ खाना बूटी पर टांग दिया । आज उन्होंने गुरु जी के कहने पर बूटी नीची करके गाड़ दी थी।

कुछ ही देर बाद वही चूहा बूटी के नीचे आया और खाने तक पहुँचने के लिए उछलकूद मचाने लगा। मैगर उसकी हर कोशिश असफल रही, वह काफी देर तक मेहनत करने के बाद भी खाने की बूटी तक ना पहुंच सका।

यह देख बाबा खुश होकर बोले- “गुरुजी। इसकी अकड़ तो निकल गई।”

बाबा की बात पर गुरु जी ठहाका लगाने लगे। और इस प्रकार एक तुच्छ चूहे ने यह कहावत चरितार्थ कर दी कि- “पैसा बोलता है।”

शिक्षा- “यह सच है कि जिसके पास पैसा होता है वह अवश्य ही अपनी अकड़-ज़ुर्गों में रहता है। जिस प्रकार चूहा। जब तक उसके पास पैसा रहा, उछल-उछलकर फकीर बाबा का बचा खाना खा जाता था। लेकिन अब उसके पास पैसा न होने के कारण वह पहले से आधा भी नहीं उछल पा रहा था।”

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Written by lokhindi
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