Short Hindi Stories With Moral Values – देवश्री नारद

Short Hindi Stories With Moral Values – देवश्री नारद

Short Stories in Hindi / Short Moral Values Stories 

नारद देव ऋषि कहे जाते थे | वह बराबर व्यवहार करते रहते थे और दूसरों की भलाई की बातें सोचते रहते थे | वे कोई बिगड़ता काम देख नहीं पाते थे |

एक बार देव ऋषि नारद के मन में प्रश्न उठा कि “ क्या मुझसे भी बड़ा कोई भगवान का भक्त है |” वे तुरंत भगवान के पास गए | वहां जाकर उन्होंने पूछा – “ भगवान ! क्या मुझसे भी बढ़कर आपका कोई और भक्त है |”

भगवान ने नारद से कहा – “ इसका जवाब तुम्हें अभी मिल जाएगा | पहले एक काम करो कि यह तेल से भरा बर्तन लो और इस गांव का पूरा एक चक्कर लगाकर मेरे पास आओ | देखना इस बर्तन से एक बूंद भी तेल धरती पर ना गिरने पाए |”

नारद ने तेल से भरा बर्तन अपने हाथों में उठा लिया और गांव का चक्कर लगाने निकल पड़ा | तेल की एक बूंद भी धरती पर ना गिर सके, इसलिए उन्हें बड़ा संभलकर चलना पड़ रहा था | उनका सारा ध्यान उस तेल से भरे बर्तन  पर था |

नारद सारे गांव का ध्यान पूर्वक चक्कर लगाकर भगवान के पास आ गये | लौटने पर भगवान ने नारद से पूछा – “ जितनी देर तक तुम तेल से भरा बर्तन लेकर गांव का चक्कर लगा रहे थे | इतनी देर में तुमने मेरा नाम कितनी बार लिया |”

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नारद ने कहा – “ मेरा सारा ध्यान तो इसमें था कि तेल जमीन पर एक बूंद भी ना गिर जाये | मैं तो दो घोड़ों पर सवार था, फिर आपका ध्यान कैसे आता |”

भगवान ने कहा – “ अब तुम ही बोलो कि घर गृहस्ती और संसार के बोझ से लदा होकर भी यदि प्राणी घड़ी भर समय निकालकर मेरा ध्यान कर लेता है, तो क्या कम है |”

शिक्षा – “ यह सही है कि प्रत्येक व्यक्ति को भगवान का ध्यान अवश्य रखना चाहिए: किंतु अपना काम-धंधा छोड़कर भगवान का ध्यान करना यह बात तो भगवान को भी बुरी लगती है | वह तो अपने उन भक्तों से अधिक प्रसन्न रहते हैं, जो अपनी गृहस्ती संभालते रहने के पश्चात भी उनका ध्यान करते हैं |”

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एक गुरु था | बड़ा महात्मा तथा बहुत बड़ा ही ज्ञानी था | उसके अनेक चेले थे | चेलो के दिल में अपने गुरु के प्रति बहुत इज्जत थी |

एक दिन एक चेला कहीं जा रहा था | आसमा में काले-काले घने बादल छा गये | बिजली गड़गड़ाने चमकने लगी |  चेला अभी कुछ दूर ही पहुंचा था कि बहुत जोर की बारिश होने लगी | चेला वापस लौट आया | उसने अपने गुरु से कहा – “ गुरुजी ! बड़े जोरों से बारिश हो रही है | रास्ते में घने जंगल, नदी, नाले पड़ेंगे | उन में बाढ़ आ गई होगी |  उन्हें मैं पार भी नहीं कर पाऊंगा मुझे तो तैरना भी नहीं आता | नहीं तो तैरकर निकल जाता |”

गुरु ने जवाब दिया – “ भगवान ! को याद करोगे तो जरूर मदद करेगा “जा” भगवान का नाम लेकर तू नदी, नालों को पार कर जा |”

चेले के मन में अपने गुरु के प्रति बहुत इज्जत थी, इसलिए उसने अपने गुरु की बात मान ली | वह नदी-नालों को पार करने के लिए निकल पड़ा | उसका डर जाता रहा | कुछ दूर जाने पर उसे एक नाला मिला उसने भगवान को याद किया और नाला पार कर गया |

दूसरे दिन गुरु को उसी गांव जाना पड़ा | उसने सोचा “ मेरे बताने पर मेरा चेला नदी पार कर सकता है, तो फिर मेरे लिए क्या परेशानी होगी | मैं तो उस नाले को पार ही कर जाऊंगा |”

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गुरुजी चल पड़े | लेकिन नाले के करीब पहुंचे तो उनके दिल में शक हुआ कि कहीं मैं नाले में डूब ना जाऊं | गुरु सोचने लगा “ क्या सचमुच में इस नाले को पार कर जाऊंगा |”

डरते-डरते गुरुजी पानी में उतर पड़े | उनके मन में शक पहले से ही था | अभी दो-चार कदम भी पानी में नहीं पहुंचे होंगे कि गुरु का पैर कांप उठा और वे नाले में गिर पड़े और पानी में बह चले | उन्होंने बहुत हाथ-पांव मारे आवाज लगाई “ बचाओ-बचाओ ” | लेकिन उस घने जंगल में उन गुरु की आवाज कौन सुन पाता | उनका चिल्लाना भी बेकार वे आखिरकार डूब ही गये | उन्हें उनके मन की शंका ने डूबा ही लिया |

शिक्षा – “ निडर होकर किया गया कार्य ठीक प्रकार से हो जाता है | शंका युक्त कार्य को कभी नहीं करना चाहिए |  जिस प्रकार चेले ने निडर होकर भगवान पर भरोसा करके नदी-नाले को पार कर दिया और खुद गुरुजी शंका के कारण नदी में डूब गये |”

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Written by lokhindi
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