Ghost Stories in Hindi Real – मिट्टी का मानव कहानी

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मिट्टी का मानव कहानी / Ghost Stories in Hindi Real – डरावनी हिंदी कहानीयाँ | Horror Stories in Hindi, की हिंदी में कहानियाँ।


“राहुल…राहुल” Ghost Stories in Hindi Real

सुनीता अपने बारह वर्षीय बेटे राहुल को पुकार रही थी

राहुल अपने बंगले के लोन में क्रिकेट खेल रहा था

माँ की पुकार सुनते ही राहुल माँ के पास आ गया

“क्या है मम्मा ?”

“बेटे, तैयार हो जाओ”      

‘पर किसलिए ?’

“तुम्हारे पापा ने जो फार्म हाउस खरीदा है, आज हम वहीं चलेंगे।’’

“पर पापा के बिना..?”

‘‘हां। तुम्हारे पापा को तो ऑफिस से ही वक्त नहीं मिलता। न उन्हें कभी वक्त मिलेगा और न ही हम उनके साथ कभी फार्म हाउस जा पायेंगे। चलो हम दोनों ही चलते हैं।”

‘ओके।’ You Read This Ghost Stories in Hindi Real on Lokhindi.com

इसी के साथ राहुल आगे बढ़ गया।

दोनों मां-बेटे तैयार होकर गाड़ी में बैठे और फार्म हाउस के लिए रवाना हो गये।

सुनीता कार ड्राइव कर रही थी और राहुल उसकी बगल में सीट पर आराम से बैठा था ।

जब वे दोनों फार्म हाउस पर पहुंचे तो वहां के चौकीदार ने उन्हें पहचानते ही गेट खोल दिया।

‘‘साहब जी नहीं आये” चौकीदार ने पूछा।

‘नहीं, वो बिजी थे।’ सुनीता कहती हुई फार्म हाउस में भीतर चली आई।

उसने पूरा फार्म हाउस देखा और तारीफ की।

राहुल को भी फार्म हाउस बहत पसन्द आया था ।

भीतर सुनीता ने देखा कि फर्श पर मिट्टी पड़ी हुई है।

मिट्टी दूर तक पड़ी हुई थी। ऐसा लगता था मानो कई छेदों वाली बोरी में मिट्टी भरकर बोरी को यहां से आगे तक ले जाया गया है।

जिसके कारणवश मिट्टी थोड़ी-थोड़ी बिखरती चली गई।

फर्श पर पड़ी मिट्टी देख सुनीता ने चौकीदार को पुकारा ‘‘रामलाल!’’ चौकीदार भागा हुआ आया। आते ही बोला –

‘कहिए मेमसाब. .’

वह मिट्टी कैसे पड़ी हुई है यहां” सुनीता ने उसे मिट्टी दिखाते हुए कहा।

चौकीदार मिट्टी पर नजर डालते हुए अन्जाने स्वर में बोला ?

‘पता नहीं मेमसाब, यह मिट्टी यहां कैसे आ गई?”

‘तुम चौकीदार हो! तुम्हें यहां का पूरा ध्यान रखना चाहिए?’

सुनीता भड़क उठी-तुम तनख्वाह किस बात की लेते हो? अगर तुम इन बातों का ख्याल नहीं रखोगे तो क्या हम रखेंगे?’

“आगे से आपको शिकायत का मौका नहीं मिलेगा मेमसाब।’ चौकीदार ने आदरपूर्ण स्वर में कहा।

‘‘अब साफ करो इस मिट्टी को।’’ सुनीता ने आदेश दिया।

“जी, अच्छा।” चौकीदार बोला। इसी के साथ चौकीदार वहां से हट गया।

लगभग एक घण्टे बाद राहुल चौकीदार के पास आया। उसने चौकीदार की उंगली पकड़ी और कहा

‘‘आइये अंकल हम दोनों गार्डन में चलते हैं।”

“नहीं, मैं वहां नहीं जा सकता। तुम्हें जाना है, तो तुम जाओ।”

‘‘चलिए न अंकल..’ राहुल ने जिद की।

‘जिद मत करो ।’ इस बार चौकीदार गम्भीर स्वर में बोला।

राहुल उससे बराबर जिद करता हुआ उसकी उंगली पकड़ उसे अपनी ओर खींचता हुआ बोला

‘आइये न..”

राहुल ने चौकीदार की उंगली ज़ोर से खींची तो उंगली टूट कर राहुल के हाथ में आ गई।

वह बुरी तरह डर गया। उसके चेहरे पर आश्चर्यमिश्रित भय के भाव उत्पन्न हो गये।

उसने अपनी मुट्ठी खोलकर टूटी हुई उंगली देख डरकर तुरन्त उंगली जमीन में फेंक दी।

उसके लिए आश्चर्य की एक बात और थी। वो उंगली मिट्टी की थी। बुरी तरह घबराये रहकर जब उसने चौकीदार पर दृष्टि उठाई तो वो बोला –

‘मैंने कहा था न जिद मत करो। अब देखा तुमनेअपनी जिद का अन्जाम?” चौकीदार के स्वर में रोष था–“टूट गई न मेरी उंगली!”

राहुल इतना डरा हुआ था कि कुछ ही क्षणों में वो पसीनों से नहा गया। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर उंगली उसके मामूली जोर से इतनी आसानी से कैसे टूट गई।

फिर ऊपर से सबसे अधिक डरावनी व आश्चर्यजनक बात यह कि उंगली टूटते ही मिट्टी की बन गई।

इस घटना से बुरी तरह भयभीत राहुल अपनी मां के पास दौड़ता हुआ गया।

चौकीदार उसे देखते हुए डरावनी मुस्कान मुस्कराया। इसी के साथ उसने जमीन में पड़ी मिट्टी की उंगली उठाई और वापस उसे अपने हाथ में जोड़ लिया।

राहुल अपनी मां के पास पहुंचा और उसने पूरी घटना सुनीता को सुना डाली।

सुनीता ने उसकी बात को गम्भीर रूप से नहीं लिया। उसने राहुल को बच्चा समझकर उसकी सारी बातों पर लापरवाही दिखायी।

राहुल यह जानकर चिन्तित हुआ कि सुनीता उसकी बात सीरियस नही ले रही है। वह मुंह लटकाये बाहर आ गया ।

बाहर चौकीदार खड़ा था। उसने राहुल को देखते ही कहा –

‘आओ बेटा! तुम्हें गार्डन में घुमाकर लाऊं। ‘ Ghost Stories in Hindi Real

वह उसे देखकर डर गया। बोला – ‘‘नहीं-नहीं, मैं तुम्हारे साथ नहीं जाऊंगा।”

तभी पीछे से सुनीता आई और बोली – “जाओ राहुल! थोड़ा गार्डन में भी घूम आओ..”

“नहीं मम्मा, मैं यहां से कहीं नहीं जाऊंगा।” राहुल ने दृढ़ स्वर में कहा।

“ओके। मत जाओ। तुम्हारे पापा का फोन आया था अभी। वो शाम यहीं आयेंगे। हम उनके साथ ही यहां से जायेंगे।”

“पर मुझे अभी घर वापस जाना है।” राहुल ने कहा।

“डोन्ट बी सिली राहुल । मैं तुम्हें बता चुकी हूं कि हम शाम को यहां से तुम्हारे पापा के साथ ही जायेंगे”

“प्लीज मम्मा ट्राई टू अण्डरस्टैण्ड। मुझे अभी घर जाना है।’

“मगर क्यों?” सुनीता ने पूछा। You Read This Ghost Stories in Hindi Real on Lokhindi.com

“मेरा यहां मन नहीं लग रहा है।”

“बकवास बन्द करो!” सुनीता गुस्से से बोली-‘चुपचाप शाम होने का इन्तजार करो।’

इसी के साथ वो वापस अन्दर लौट गई।

चौकीदार उन दोनों की बातें सुन रहा था। वो समझ रहा था कि राहुल क्यों यहां से जाने की बात कह रहा है।

“आओ..मैं तुम्हें गार्डन में लेकर चलता हूं। वहां तुम्हें अच्छा लगेगा।” चौकीदार ने राहुल से कहा।

“शटअप?” राहुल उस पर चिल्लाया-“मैं अकेला ही गार्डन में चल जाऊंगा।”

इसी के साथ राहुल उठा और गार्डन की तरफ कदम बढ़ाने लगा।

एक बार फिर चौकीदार राहुल को देखते हुए डरावनी मुस्कान होठों पर सजाने लगा।

राहुल गार्डन में पहुंचा और वहां चहलकदमी-सी करता हुआ ।

लगातार उसी घटना को सोचने लगा जो उसके और चौकीदार के बीच घटी थी।

अचानक तभी बगीचे से ऐसा स्वर उभरा जैसे पानी-खौलकर उबलने लगता है।

राहुल ने गर्दन घुमाकर अपने साइड में देखा तो जाना कि जमीन मिट्टी उगल रही है।

गीली मिट्टी वहां इस तरह उबल रही थी जैसे जमीन से पानी उबल-उबल कर बाहर आता है। मगर वो मिट्टी फैल नहीं रही थी, बल्कि अपनी ही जगह पर रहकर उबल रही थी।

राहुल मिट्टी को उबलते देख घबरा गया। देखते-ही-देखते राहुल के चारों ओर की मिट्टी उबलने लगी। बीच में वह फंस गया।

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फिर एकाएक वो स्थान दलदल बन गया, जिस पर राहुल खड़ा था।

लगभग चार फुट चौड़ा और पांच फुट लम्बा जमीन का वो स्थान दलदल के रूप में तब्दील हो गया।

इसी के साथ राहुल उस दलदल में धंसता हुआ जमीन के अन्दर जाने लगा।

उस समय वो बहुत बुरी तरह डर गया और जोर से चिल्लाया -‘‘मम्मा…मम्मा..मझे बचाओ।’

चौकीदार राहुल को जमीन में धंसते देखकर बहुत प्रसन्न हो रहा था। उसके होठों पर विजयी मस्कान थी।

राहुल की पुकार पर उसकी मां दौड़ी-दौड़ी आई।

जब सुनीता ने राहुल पर नजर डाली तो उस समय राहुल का सर ही जमीन से बाहर रह गया था। बाकी वह पूरा उस दलदल में धस चुका था।

राहुल ने अपने दोनों हाथों को बचाव की खातिर ऊपर उठा रखा था। वह दोनों हाथों को कीचड़ में मारता हुआ चिल्ला रहा था।

“मुझे बचाओ मम्मा…। मैं जमीन में धंसता चला जा रहा हूं।” राहुल को इस तरह धंसते देख सुनीता का कलेजा फट गया।

वह रोते हुए बोली -‘‘कोई बचाओ मेरे बच्चे को…। चौकीदार. .।”

परन्तु उसकी आवाज किसी ने न सुनी। कोई नहीं आया वहा उसकी मदद के लिए।

राहुल हर पल जमीन में धंसता ही चला जा रहा था। सुनीता निरंतर मदद की गुहार लगाती रही, लेकिन कोई उसकी मदद के लिए वहां नहीं आया । You Read This Ghost Stories in Hindi Real on Lokhindi.com

चौकीदार था वहां मगर वो उसकी सहायता क्यों करता भला! चौकीदार के इशारे पर ही तो राहल इस आफत का शिकार हुआ था।

वास्तव में चौकीदार आज से दस वर्ष पूर्व एक मिट्टी का पुतला था। इस पुतले में एक भटकती आत्मा प्रवेश कर गई थी। तब से यह मिट्टी का पुतला मानव के रूप में अपना जीवन-यापन कर रहा था।

पिछले आठ वर्षों से वह इस फार्म हाउस का चौकीदार बना हुआ था।

इस फार्म हाउस में कई लोग आये मगर जो भी आता था, वही इसे शीघ्र ही बेचकर चला जाता था। मगर यह चौकीदार रूपी मिट्टी का पुतला यहां से कभी नहीं जाता था।

फार्म हाउस का हर मालिक यहां कोई-न-कोई ऐसी डरावनी घटना देखता था, जिसके कारणवश वो डरकर यह फार्म हाउस बेच देता था।

आज इस फार्म हाउस के मालिक का वारिस इस फार्म हाउस के मुंह का निवाला बन गया था।

राहुल जब सर तक उसमें धंसता चला गया तो बेबस सुनीता आगे बढ़ गई और राहुल के करीब पहुंचकर उसे बचाने की कोशिश करने लगी। इससे पहले कि वह राहुल के लिए कुछ कर पाती, राहुल पूर्ण रूप से जमीन में समा गया।

उसी वक्त सुनीता भी जमीन में धंसने लगी। सुनीता ने महसूस किया था कि दलदल की गहराई बहुत कम है, मगर जमीन के नीचे कोई ऐसा है जो उन्हें घसीट रहा है।

वह चीखती-चिल्लाती मदद के लिए चौकीदार को पुकार रही थी।

मगर वो नहीं आया।

इधर शाम को… ।

“सुनीता और राहुल कहा है ।”

सुनीता का पति सुधेश फार्म हाउस पर आया तो चौकीदार से पूछा।

‘‘वो दोनों अन्दर आपका इन्तजार कर रहे हैं।’ चौकीदार ने बताया।

सुनीता का पति भीतर गया ।

सुनीता और राहुल दोनों अन्दर उसका इन्तजार करते हुए उसे मिले।

‘हैलो पापा!’ राहुल चहका ।

“हैलो बेटा!” सुधेश बोला-“फार्म हाउस कैसा लगा तुम दोनों को।”

‘एक्सीलेंट!” राहुल ने कहा।

‘मोस्ट ब्यूटीफुल’ सुनीता ने कहा।

“आओ तुम्हें यहां एक चीज और दिखाऊं।” सधेश ने सुनीता की बांह पकड़ी और उसे आगे की तरफ अपने साथ घसीटा।

सुधेश ने उसकी बांह पर थोड़ा ही जोर दिया था कि बांह पर से उसका हाथ उखड़कर सुधेश के हाथ में आ गया।

यह दृश्य देख सुधेश बुरी तरह चौंक गया। साथ ही डर भी गया।

जब उसने सुनीता के टूटे हुए हाथ पर नजर डाली तो देखा कि वो हाथ मिट्टी का है।

सुधेश ने डरकर वो मिट्टी का हाथ दूर फेंक दिया।

हाथ फर्श पर गिरा और टूट-फूट गया।

उसी समय सुनीत बोली – “यह क्या किया तुमने सुधेश? मेरा हाथ तोड़ दिया ?”

सुधेश ने घबराकर सुनीता की ओर देखा।

उसका तो रंग-रूप ही बदला हुआ था। अपने हावभाव से वो बहुत डेंजर लग रही थी।

सुधेश की समझ में कुछ न आया।

तभी राहुल ने कहा-

‘‘देखो पापा…” । You Read This Ghost Stories in Hindi Real on Lokhindi.com

इसी के साथ राहुल ने अपना हाथ दीवार में मारा और उसका हाथ भी मिट्टी का बन गया व टूट-फूटकर जमीन में बिखर गया।

‘‘ये सब क्या है?” सुधेश घबराकर चिल्लाया।

उसी समय सुधेश के कदमों के नीचे का फर्श मिट्टी की दलदल बन गया और सुधेश भी सुनीता व राहुल की तरह चीखता-चिल्लाता दलदल में पूर्ण रूप से धस गया ।

कुछ सैकेण्डों बाद उस दलदल से मिट्टी का एक पुतला उभरकर बाहर आ गया।

शीघ्र ही मिट्टी के उस पुतले ने मानव का रूप ग्रहण किया और वो सुधेश बन गया।

तत्पश्चात् सुनीता, सुधेश और राहुल एकत्रित हुए और ठहाके लगाने लगे।

चौकीदार ने दूर खड़े रहकर उन तीनों को ठहाके लगाते देखा और होठों पर विजयी मुस्कान सजाकर कहा-

‘‘मैं जीत गया। अब यहां मुझे अपने तीन साथी और मिल गए। अब इस संसार में मैं अकेला नहीं। हा…हा..हा..हा..।”

अन्त में चौकीदार ने भी ठहाके लगाये।

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Written by lokhindi
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