सल्लू और मल्लू – Moral Kahani Hindi – हिंदी कहानी

सल्लू और मल्लू – Moral Story Hindi

Moral Kahani Hindi

एक गांव में दो भाई रहा करते थे | एक का नाम सल्लू था तथा दूसरे का मल्लू | दोनों भाइयों में आपस में बड़ा प्रेम था | उन दोनों को ही रतौंधी का रोग था | रात होने के बाद उन्हें नजर आना बंद हो जाता था | वे इस बात को किसी पर जाहिर नहीं करना चाहते थे, अतः इसके लिए उन्होंने एक तरकीब खोज ली थी | वे रात से पहले ही अपने सभी कामों को निबटा लिया करते थे | इसके पश्चात आराम से बैठकर गप्पे मारा करते थे |

एक दिन दोनों भाई अपनी ससुराल के लिए निकले | दोनों की शादी एक ही घर में अलग-अलग लड़कियों से हुई थी | उन्होंने सोचा कि रात होने से पहले ही ससुराल पहुंच जाएं, तो अच्छा रहेगा | इसी कारण उन्होंने अपनी बैलगाड़ी को तेज चलाया |

ससुराल की सरहद पर पहुंचकर उन्हें याद आया कि बड़े-बूढ़ों ने कहा है कि ससुराल दिन में नहीं जाना चाहिये | इसी कारण उन्होंने अपनी बैलगाड़ी से बेल खोल दिए तथा दोनों एक पेड़ के नीचे बैठ कर चिलम पीने लगे | वे गप्पे मारने लगे | गप्पो में दिन गुजर गया | उन्हें यह भी ध्यान नहीं रहा कि रात को वह अपने बेल किस प्रकार देखेगे | तब सल्लू जी चिंतित होकर बोले – ” भाई! अपने बैलों को तो ढूंढो, इस अंधेरे में हम उन्हें कैसे देख पाएंगे |”

मल्लू जी आखिर ससुराल आये थे | उन्होंने पगड़ी, बगलबंदी और धोती पहन रखी थी | मल्लू जी ने सल्लू जी से कहा – ” हमें नजर तो आयेगा नहीं, क्यों न हम इस पगड़ी को फैलाकर आगे बढ़ें | उसके बीच जो भी अटकेगा उसे हाथ लगाकर देखते जायेगे, अंत में बेल मिल ही जाएगा |”

सल्लू जी ने तुरंत उत्तर दिया – ” उपाय तो बहुत चोखा है सा |”

बस फिर क्या था | दोनों भाइयों ने पगड़ी का एक-एक सिरा पकड़ लिया | पगड़ी सो गज लंबी थी | वह जंगल की ओर बढ़ने लगे | कभी पगड़ी किसी पेड़ से अटक जाती थी, तो कभी किसी झाड़ी से | इस प्रकार काफी रात गुजर गयी | लेकिन बेल नहीं मिले | दोनों भाई बहुत ही दु:खी हुये ” करें तो क्या करें |”

अचानक उधर से उनका साला आ निकला | उन्हें देखकर लपककर उनके पास आया | खुशी भरे स्वर में वह उनसे बोला -” बहनोई सा! आप लोग कब आये और इस पगड़ी से क्या कर रहे हैं |”

दोनों भाइयों के चेहरे बुझ गये | सोचने लगे कि इस बार उनकी पोल खुल ही गयी |

सल्लू जी इस पोल पर खोल चढ़ाते हुए बोले – ” सच कहूं साले सा! यह मल्लू जी प्रत्येक बात की हट करता है | यह कह रहा था कि यह खेत असी हाथ का है और मैं कह रहा था, कि यह सो हाथ का है | इसलिए हमने सोचा कि क्यों ना इस को नाप लिया जाये | मेरी पगड़ी सो हाथ की है | इसलिए नापने लग गये | अब आप ही बताओ कि यह खेत कितने हाथ का है |”

उनका साला मुस्कुरा कर बोला – ” लगभग सो हाथ का है |”

सल्लू ने झट से कहा – ” मेरा अंदाज ठीक निकला ना कोई बात नहीं | अब आप साले सा जरा हमारे भूरे बेल ढूंढ लाये | तब तक हम चिलम पी लेते हैं |”

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Moral Story Hindi : आन की बात – Moral Kahani in Hindi – हिंदी कहानी

उनका साला कुछ ही देर में बैल ढूंढ कर ले आया | वे दोनों बड़ी ही धूमधाम से ससुराल पहुंचे | ससुराल पहुंचने पर उनकी बड़ी ही आवभगत हुई | उन्हें सम्मान के साथ बैठा कर उनका साला उनके लिए भोजन लेने गया |

सल्लू जी ने मल्लू जी से कहा – ” मल्लू सा! जरा होशियारी रखना, कहीं पोल ना खुल जाए |”

मल्लू जी ने दोनों हाथों को ऊंचे करके कहा – ” भगवान ही हमारी लाज रखेगा |”

उनका साला दो थालियों में भोजन रखकर छाछ लेने चला गया | उसके जाते ही वहां एक कुत्ता आया और थाली में से रोटियां उठा कर चंपत हो गया | जाते-जाते वह अपना पूछ का फटका ओर मार गया | सल्लू जी बोले – ” अरे मल्लू जी! कुत्ता हमारी थाली में से रोटी ले गया है | इस बार जरा इस बात का ध्यान रखना |”

मल्लू जी ने अपनी लकड़ी हाथ में पकड़ ली |

इसी बीच उनकी साली दीया जलाकर लायी | मल्लू जी ने जैसे ही आहट सुनी वैसे ही उन्होंने समझा कि शायद कुत्ता फिर आ गया है | उन्होंने तुरंत ही साली की कमर मैं लकड़ी से वार किया | साली चिल्ला पड़ी – ” हाय रे, मैं मर गई रे, मेरी कमर तोड़ दी रे |”

उसके रोने चीखने की आवाज सुनकर घरवाले दौड़कर वहां आ पहुंचे | उसके साले ने आश्चर्य से पूछा कि – ” क्या हो गया |”

सल्लू जी फौरन बात को संभालते हुए बोले – ” अरे यह मल्लू जी! भी निरा मूर्ख है | इसको मैं कई बार समझा चुका हूं, कि ससुराल में भोजन करते समय साली के शरीर से सिर्फ लकड़ी का स्पर्श कराते हैं | लेकिन यह मूर्ख करारी चोट मार देता है | हम यह शगुन करते हैं |”

सब लोग मुस्कुरा कर रह गये | इसके पश्चात उन्हें भोजन कराया गया | भोजन करने के बाद वे दोनों बाहर निकले | दरवाजा छोटा था | मल्लू जी आगे-आगे चल रहे थे | जैसे ही दरवाजे के पास पहुंचे, वैसे ही उनका सिर चौखट से जा टकराया | मल्लू जी सिर पकड़कर रोने लगे | “हाय मैं, मर गया रे |”

उनकी चीख-पुकार सुनकर साला भाग कर आया पूछने लगा की – ” क्या बात है |”

सल्लू जी ने हंसकर कहा – ” बात तो कुछ नहीं है | कुछ जवानी की उम्र आदमी को अकड़ू बना देती है | दरवाजा छोटा था और अकड़ बड़ी | इसलिए मल्लू का माथा दरवाजे से जा टकराया |”

” चोट तो नहीं लगी न |”

” अरे ऐसी-वैसी चोट से हमारे ऊपर कोई असर नहीं होता |”

” आप लोग बाहर वाले कमरे में पधारो सा! आपके सोने का प्रबंध वहीं किया गया है |”

वे दोनों ईश्वर का नाम लेकर बाहर के दरवाजे की ओर चल दिये | एक तो काली अंधेरी रात और ऊपर से उन्हें रतौंधी का रोग | सीधे हाथ पर चलने के स्थान पर उल्टे हाथ पर चल दिये | सल्लू जी एक गड्ढे में जा गिरे | वह गड्ढे में गिरते ही चिल्लाये | साला फिर से भागा-भागा आया | सल्लू जी को गड्ढे में गिरा देख पूछा – ” आप गड्ढे में कैसे गिर गये |”

” क्या बताऊं सा! सल्लू जी हट करने लगा कि गड्ढा दस हाथ का है | मैंने कहा पंद्रह का | अब आप ही बताओ सा कितने हाथ का है |”

” बीस हाथ का ”

” अब तो आप ही इन्हें निकालिये और कमरे में पहुंचाइये |”

सल्लू जी ने इस बार अपने साले का कंधा पकड़ लिया और मल्लू जी ने सल्लू का | दोनों सकुशल कमरे में पहुंच गये तथा ईश्वर को धन्यवाद दिया |

Moral Stories in Hindi : Best Moral Story in Hindi – कर्मों का फल – Moral Story 

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Written by lokhindi
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