आन की बात – Moral Kahani in Hindi – हिंदी कहानी

आन की बात – Moral Stories For Students

Moral Kahani in Hindi

किसी गांव में ठाकुर रहता था | वह ठाकुर अपनी जान और शान पर मिटने वाला आदमी था | अपनी आन की खातिर वह रुपए पैसों को पानी के सामान बहा देता था | किंतु धन भला किसके पास टिकता है | वह आता-जाता रहता है |

धीरे-धीरे पैसे को पानी के समान बहाने के कारण ठाकुर का सारा पैसा समाप्त हो गया | घर में भूख के बादल मंडराने लगे | बीवी-बच्चे गरीबी के दिन गुजरने लगे | एक दिन उसके घर पर चूल्हा तक नहीं जला |

अंत में लाचार होकर वह ठाकुर नगर के सेठ के पास पहुंचा | नगर सेठ ठाकुर को अच्छी तरह जानता था | वह उसकी सच्चाई तथा आन-शान से परिचित था |

सेठ हाथ जोड़कर ठाकुर से बोला – ” जय माता जी! की ठाकुर सा |”

” जय माता जी! की सेठ सा ” इतना कहकर ठाकुर उसकी दुकान पर बैठ गया | सेठ को लगा कि आज ठाकुर की आवाज में कड़कपन नहीं है | बहुत ही ठंडा लहजा था | वह समझ गया कि अवश्य ही ठाकुर सा पर कोई बड़ी मुसीबत आई है |

उसने बड़ी विनम्रता से पूछा – ” क्या बात है! ठाकुर सा, आज तुम्हारा मुंह उतरा हुआ क्यों है |”

” क्या बताऊं सेठ सा, समय समय की बात है | किसी के दिन एक समान नहीं होते |”

सेठ आदरपूर्वक बोला – ” आपकी सात पीढ़ी तक से मैं परिचित हूं! आपके डेरे से मेरी हवेली का सात पीढ़ियों का लेना-देना चला आ रहा है | आप कृपा करके बताएं, अभी आपकी झोली में आपकी इच्छा डाल देता हूं | किसी को भी पता नहीं चलेगा | मैंने दिया और आपने लिया |”

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ठाकुर ने जब सेठ की बात सुनी तो उसे काफी तसल्ली हुई | किंतु ठाकुर बनिये के जन्मजात स्वभाव को जानता था | वह जानता था, कि जब तक बनिये का जी नहीं भरेगा | तब तक वह फूटी कौड़ी भी निकालकर नहीं देगा |

ठाकुर आकाश की ओर देख कर बोला – ” मेरे पास आप को गिरवी रखने को कुछ भी नहीं है | गहने, सोना, चांदी ,जमीन, मकान कुछ भी नहीं | अगर मेरे पास कुछ होता तो मैं आपके पास हरगिज़ नहीं आता | खेत की जमीन गिरवी रखकर मैं अपनी नाक नहीं कटवा सकता | आप तो जानते ही हैं, कि हम ठाकुर अपनी आन के लिए प्राण भी दे सकते हैं | अब तो आप ही मेरी लाज रखें |”

बनिया कुछ गिरवी रखे बिना किसी को रकम निकाल कर दे दे | ऐसा तो कभी नहीं हो सकता | सेठ इधर-उधर ताक-झांक करने लगा |

ठाकुर रुंधे हुए गले से बोला – ” सेठ! अब तो आप को ही मदद करनी होगी | कहीं बात बाहर निकल गई, तो मेरी मूंछ का चावल ही चला जायेगा | सारी ठकुराई पर पानी फिर जाएगा |”

सेठ कुछ देर सोच-विचार करता रहा |

Moral Kahani in Hindi

फिर बोला – ” अच्छा ऐसा है! ठाकुर सा अपनी मूंछ का एक बाल ही मुझे गिरवी रख दीजिए |”

” मूंछ का बाल ” ठाकुर एकदम चौक कर बोला | जैसे उसे बिजली का झटका लगा हो | वह सेठ की ओर देखने लगा | सेठ मुस्कुरा कर बोला – ” मैं व्यापार का नियम नहीं तोड़ सकता हूं! आप तो जानते ही हैं, कि मैं कुछ गिरवी रखे बिना एक पाई भी निकालकर नहीं देता |”

कुछ देर तक ठाकुर कानों को छूने वाली अपनी मूछों पर हाथ फिरता रहा |

सेठ अपने काम में व्यस्त होता हुआ बोला – ” आप इस पर अच्छी तरह सोच लीजिए |”

मजबूरी आ गई थी | ठाकुर ने बड़े आहिस्ता से अपनी मूंछ का एक बाल तोड़कर सेठ को दे दिया | सेठ ने उस बाल को चांदी की एक डिबिया में बंद कर दिया |

इसके पश्चात उसने अपना बहीखाता निकाला और उसमें लिखा ” मैंने ठाकुर की मूंछ का एक बाल के बदले एक हज़ार रुपये दिए |” ठाकुर के हस्ताक्षर करवाएं और रूपये गिन कर ठाकुर को दे दिए |

बहुत ही उदास तथा टूटा हुआ सा ठाकुर वहां से चला गया |

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उसी स्थान पर कुछ दूरी पर एक गरीब बनिया बैठा हुआ यह सब देख-सुन रहा था | वह सेठ के पास अपने गहने रखने आया था | अपने गहनों को छुपाकर वह सेठ के पास पहुंचा और बोला –

” सेठ जी! मुझे कुछ रुपयों की आवश्यकता है ”

” जरूर-जरूर ”

” लेकिन मेरे पास गहने नहीं है ”

” फिर तो भैया तुम्हें रुपए नहीं मिलेंगे कुछ और सामान या जमीन के कागज हो तो वहीं ले आओ ”

” सेठ जी वह भी नहीं है; किंतु मुझे रुपयों की बहुत आवश्यकता है ”

” अब मैं तुम्हें कैसे समझाऊं कि, मैं गिरवी रखे बिना एक पैसा भी नहीं देता ”

बनिया तुरंत बोल उठा – ” अभी-अभी आपने उस ठाकुर को मूंछ के एक बाल के बदले एक हज़ार रूपये दिए | मैं आपको पचास बाल दूंगा और केवल पाच सो लूंगा |”

उसकी बात सुनकर सेठ ठहाका मारकर हंसा और बनिये से बोला – ” अरे लड़के! तेरी मूंछ के बाल की हैसियत ही क्या है | इसे तो कोई घास के भाव भी नहीं खरीदेगा | ठाकुर अपनी मूंछ के बाल के रूप में अपनी आन मेरे पास गिरवी रख कर गया है | अब वह हर प्रकार से अपनी मूंछ के बाल को छुड़वाने की चेष्टा करेगा | किंतु तू यह बात कहां समझेगा | तेरी कोई आन हो तब ना |”

गरीब बनिये की समझ में कुछ भी बात न आयी | वह सिर खुजलाता हुआ वहां से चला गया | सेट मुस्कुराते हुए उसे जाता देखता रहा | फिर वह अपने काम में लग गया |

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Written by lokhindi
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