कातिल हसीना Love Story – Cheating Love Story Hindi

कातिल हसीना Love Story

किस्सा तोता-मैना/कातिल हसीना Love Story की रोचक दास्तान हिंदी में ! Romantic Love & Cheating Stories in Hindi-Sad Love Story in Hindi


मधु एक मध्यम परिवार की अप्सरा समान खूबसूरत युवती थी। उसके पिता का अपना छोटा-सा कारोबार था। घर में खाने-पीने की कोई कमी नहीं थी।

जब मधु घर से निकलती तो लड़के दिल थाम कर रह जाते थे।

मधु को इस बात का अहसास था कि वह हसीन है। इसलिए वह और भी नजाकत से चलती थी। एक-एक कदम बड़े सोच-समझ कर उठाती थी।

जब उसके चलने पर लड़कों के दिलों पर सांप लोट जाता और वे दिल थामकर रह जाते और आह भरते रह जाते तो यह सब देखकर उसे बड़ा आनन्द मिलता।

वह उन्हें और भी जलाती और आनन्द महसूस करती थी। यही कॉलेज के छात्रों का हाल था। कॉलेज के मनचले छात्र भी उसे देखकर आह भरकर रह जाते थे। लेकिन मधु एक ऐसी चिड़िया थी जो किसी के हाथ में नहीं आ रही थी।

मधु के पिता मदनलाल के एक मित्र थे अवधेश । उनका एक बेटा था राजेश। कारोबार के सिलसिले में अक्सर राजेश मधु के घर आया करता था।

राजेश भी हसीन मधु का दीवाना था।

मधु एम.ए. की छात्रा थी। अठारह को पार कर गयी थी। जवानी से भरपूर थी लेकिन अपने यौवन की हवा अभी तक उसने किसी को लगने नहीं दी थी।

राजेश जब भी मधु के घर आता था तभी वह उसको तरह-तरह से अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास करता था।

मगर मधु उसकी ओर ध्यान ही नहीं देती थी।

एक दिन-।।

राजेश ने हिम्मत दिखाई। मधु उसके लिए चाय लेकर आयी थी। कमरे में उनके अतिरिक्त और कोई नहीं था। एकाएक राजेश ने मधु को अपनी बांहों में जकड़ लिया। मधु ने चीखने को मुंह खोलना चाहा तो राजेश ने और भी हिम्मत का प्रदर्शन किया। उसने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए।

उफ् ! मधु की हालत खराब हो गई। उसने तो स्वप्न में भी नहीं सोचा था। कि कोई उसके साथ इस प्रकार की हरकत भी कर सकता है।

कई पल इसी तरह से गुजर गए।

मधु के सारे शरीर में एक अजीब प्रकार की झुरझुरी-सी दौड़ गयी। कई पलों तक उसी स्थिति में रहने के बाद राजेश ने मधु को छोड़ दिया और

फिर बोला–“आई एम सॉरी, मिस मधु। मैं अपने आप पर काबू न रख सका । तुम्हारे हुस्न ने मुझे दीवाना बना दिया था।”

मधु चुपचाप खड़ी रही। उसकी स्थिति बड़ी अजीब थी। उसकी समझ में यह नहीं आ रहा था कि वह क्या कहे? राजेश ने फिर कुछ नहीं कहा। वह सोफे पर बैठा और चाय पीने लगा।

“आपने यह अच्छा नहीं किया।” काफी देर बाद मधु ने कहा।

मधु घर में अकेली थी। उसकी मां तो थी नहीं। उसकी मां की मृत्यु कई वर्ष पूर्व हो गयी थी।

राजेश उस दिन चाय पीकर चला गया।

राजेश के इस कृत्य ने मधु के तन-बदन में आग लगा दी थी।

कुंआरी लड़की के साथ यदि इस तरह की कोई हरकत कर दे तो उसकी क्या हालत होती है, यह वही जानती है।

कई दिन तक राजेश मधु के घर नहीं आया। वह यह देख रहा था कि उसने उसकी हरकत की शिकायत की है या नहीं? अगर शिकायत की होगी तो अवश्य ही उसके पिता शिकायत करेंगे। मगर मधु ने अपने पिता से कोई शिकायत नहीं की थी।

एक सप्ताह के बाद…।

राजेश मधु के घर आया। जब वह आया उस समय मधु स्कूल जाने के लिए तैयार हो रही थी।

राजेश को आया देखकर वह विद्यालय जाने से रुक गयी।

“मदनलाल जी हैं?” राजेश ने मधु की ओर देखते हुए कहा।

“वे तो कहीं गए हैं।”

“ओह।” ।

“क्या बात थी?”

“वैसे ही उनसे काम था।” राजेश ने कहा-”मिस मधु ।”

“यस राजेश।”

‘असल में ।’ राजेश ने कहा–”मैं आपसे माफी मांगने आया था। उस दिन न जाने किस धुन में मैं आपके साथ वह हरकत कर बैठा था।”

मधु ने कोई जवाब नहीं दिया।

मधु की चुप्पी से राजेश को बल मिला। उसने फिर एक बार वही हरकत कर दी।

मगर आज मधु ने कोई विरोध नहीं किया।

राजेश को और भी बल मिला। वह मधु के साथ वहीं बिस्तर पर लुढ़क गया और फिर राजेश की वह इच्छा पूर्ण हो गयी जिसकी उसे चाह थी। उस दिन राजेश कई घण्टों के बाद मधु के घर से गया था। अब जब भी राजेश की इच्छा

होती वह मधु के घर आ जाता। मधु अब विरोध नहीं करती थी।

इस तरह से एक वर्ष बीत गया।

उन दोनों ने कभी शादी करने की बात नहीं सोची थी।

शायद मदनलाल को उनकी इस हरकत का पता चल गया था। इसलिये उन्होंने आनन-फानन में मधु का विवाह पास के नगर में एक व्यापारी के बेटे से कर दिया था। उसका नाम था विजय।

वह अकेला था। उसके माता-पिता का स्वर्गवास हो गया था। विजय मधु को ब्याह कर अपने यहां ले आया।

मधु हसीन तो थी ही। उसने विजय के मन को मोह लिया था। विजय ने पहली रात को मधु के पास बैठते हुए कहा था-“मैं कोई शायर या लेखक तो हूं नहीं कि उनके जैसी बातों से तारीफ करूंगा, मैं सीधा-सादा इन्सान हूं। बस इतना कहूंगा कि तुम यास्तव में बेहद खूबसूरत हो। मैं आज अपना सब कुछ तुम्हें सौंपता हूं।”

एक पल रुककर उसने फिर कहा-“मधु! आज की रात मैं एक बात और कहुँगा । आज से पहले मैंने या तुमने कुछ भी किया हो उसका न हम जिक्र करेंगे न कभी किसी से पूछेगे। हां, आज के बाद सदा एक-दूसरे के बनकर रहेंगे।

सुहाग सेज पर लाज से लिपटी हुई मधु ने अपने मुंह से कुछ नहीं कहा था।

केवल गर्दन हिला दी थी।

विजय ने अचानक लाइट का बटन ऑफ कर दिया।

अगले ही पल कमरे में अंधेरा छा गया और उस अंधेरे कमरे का वे दोनों लाभ उठाने लगे। मधु को जो ससुराल मिली थी उसमें उसके अलावा कोई भी न था। वह थी और उसका पति।

विजय का अपना छोटा-सा व्यापार था। जब से विजय का विवाह मधु के साथ हुआ था तब से विजय आठ बजते ही घर लौट आता था। वे दोनों एक-दूसरे में खो जाते थे।

दिनों-दिन प्यार बढ़ता गया।

सब-कुछ बड़े अच्छे ढंग से गुजर रहा था।

एक दिन जैसे ही विजय अपने काम पर गया वैसे ही राजेश आ गया। राजेश को देखकर मधु घबरा गयी। वह कई पलों तक एकटक देखती रही फिर बोली-

“राजेश।”

‘‘हां मधु।”

“तुम यहां किसलिए आए हो?”

“मधु ।” राजेश ने कहा- “मैं पहली बार तुम्हारे घर आया हूं और तुमने बैठने, तक को नहीं कहा, ऊपर से पूछ रही हो कि मैं क्यों यहां आया हूं?” 

“देखो, मैं यहां अपनी ससुराल में बड़े आराम से हूं। मैं नहीं चाहती कि मेरे सुखी जीवन में किसी तरह का विघ्न पड़े।” मधु के स्वर में घबराहट साफ झलक रही थी।

“मैं तुम्हारे सुखी जीवन में विघ्न क्यों डालूंगा भला?” उसने कहा-“मैं क्या तुम्हारा दुश्मन हूँ मधु? मैं तो तुमसे मिलने चला आया हूं। क्या कोई अपने पहले प्यार को यूं ही भुला देता है। कभी-कभी तो मेरा भी हक बनता है तुम पर।”

“तुम चले जाओ प्लीज।” मधु ने कहा।

“चला जाऊंगा।” राजेश ने कहा-“बिल्कुल चला जाऊंगा। तुम आओ तो…।’

मधु चाहकर भी राजेश को न रोक सकी। वह इस बात से डर रही थी कि यदि उसने विरोध किया तो राजेश उसके पति से उसके विषय में सब कुछ बता न दे। और राजेश अपनी इच्छा पूरी करके चला गया।

मधु के इस डर का लाभ बराबर राजेश उठाने लगा। वह कभी भी वहां आ जाता और मधु को अपनी बांहों में भर लेता और अपनी इच्छा पूरी करके चला जाता।

जब भी राजेश आ जाता था मधु बुरी तरह से घबरा जाती थी। उसे इस बात का भय था कि यदि किसी दिन विजय आ गया तो क्या होगा?

उस दिन राजेश करीब ग्यारह बजे आया था। उसने आते ही मधु को अपना बांहों में भर लिया। वह उसे अपनी बांहों में उठाकर अन्दर ले आया।

मधु विवश थी।

कातिल हसीना Love Story

ठीक उस वक्त जब वे दोनों एक-दूसरे में खोए हुए थे, बाहर से किसी ने द्वार खटखटाया।

क…कौन है…?”

“मैं हूं विजय।” बाहर से आवाज आयी।

मधु बहुत जल्दी उठकर खड़ी हुई । कपड़े ठीक किए और राजेश कुर्सी पर बैठ गया।

मधु ने द्वार खोला। उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं। बाल बिखरे हुए थे। सांसें उखड़ी हुई थीं।

मधु की इस हालत को देखकर विजय ने कहा- “क्या बात है, मधु…?”

“कुछ नहीं।”

“कुछ तो है।” विजय ने कहा-“तुम इतनी घबरायी हुई क्यों हो?’

“न…नहीं तो। मैं कहां घबरायी हुई हूं।”

विजय और मधु दोनों अन्दर आ गए।

अन्दर बैठे हुए राजेश को देखकर विजय सब कुछ समझ गया। उसकी ओर देखते हुए बोला-“ये कौन है?” ।

‘‘राजेश ।’ मधु ने बताया-“हमारे यहां से आया है। डैडी ने खबर लेने के लिए भेजा है।”

“ओह।”

“यह बात है।’

“जी।”

मधु ने चाय बना दी। विजय और राजेश ने साथ-साथ चाय पी। चाय पीने के बाद राजेश चला गया। उसके साथ ही विजय भी चला गया। विजय ने न तो मधु से कहा न ही उसने राजेश से कुछ कहा। लेकिन उसके मन में शंका ने

घर कर लिया था।

अब…। वह उन्हें रंगे हाथों पकड़ने की फिराक में रहने लगा।

कातिल हसीना Love Story in Hindi

एक महीने बाद।

जैसे ही विजय घर से निकला, राजेश आ गया। उसने फिर मधु को अपनी बांहों में भर लिया।

“राजेश।”

“हां मधु ।”

“तुम क्यों मेरे सुखी जीवन में आग लगाने पर तुले हुए हो?” वह बोली- “उस दिन विजय को शक हो गया था। यह बात और है कि उसने मुझसे कछ नहीं कहा। भगवान के लिए तुम यहां मत आया करो।”

“अच्छा मधु ।’ राजेश ने कहा ”मैं वादा करता हूं, आज के बाद कभी नहीं आऊंगा।”

और उसने मधु के बार-बार मना करने के बावजूद भी उसे अपनी बांहों में भरकर भींच लिया।

जब वे दोनों एक-दूसरे की बांहों में थे किसी ने द्वार पर ठोकर मारी द्वार खुल गया। सामने विजय खड़ा था।

कोई भी पुरुष जब अपनी पत्नी को किसी पर-पुरुष की बांहों में देखता है तो उस समय जो उसकी हालत होती है वही हालत उस समय विजय की थी।

मधु को काटो तो खून नहीं।

राजेश गर्दन नीची किए खड़ा था। उसने अपने वस्त्र ठीक किए और बाहर निकल गया।

इधर…।

चटाख…चटाख…चटाखऽऽ।।

विजय ने कई थप्पड़ मधु के गालों पर रसीद कर दिए।

‘‘बेशर्म बेहया!” विजय ने कहा_“मैं समझ तो उसी दिन गया था कि तुम मेरी इज्जत बरबाद कर रही हो। लेकिन उस दिन मैंने कुछ कहा नहीं था। अब बोलो तुम क्या चाहती हो? जी तो करता है कि मैं तुम्हें गोली मार दूं।”

‘‘मार दो गोली विजय।’ मधु ने धीरे से कहा- “मैं कसूरवार हूं। तुम जो चाहो करो, मैं उफ् न करूंगी। लेकिन सच यह है कि हम दोनों पहले से ही एक-दूसरे को प्यार करते थे। हम चाहते थे कि हमारी शादी हो जाए, मगर हो न पायी थी।”

‘‘मधु ।”

‘‘जी।”

“मैं आज तुम्हें बख्श रहा हूं।” विजय ने कहा- “मैंने पहली रात को तुमसे कहा था कि शादी से पहले हमने जो कुछ किया है उसे भूल जाते हैं। याद रखना, यदि आज के बाद तुमने कोई गलती की तो मेरा चाहे कुछ भी हो तुम्हें गोली मार दूंगा।”

“जी।” मधु ने कहा-“आपको शिकायत का मौका नहीं मिलेगा।’

फिर जिन्दगी गुजरने लगी।

विजय ने काफी दिनों तक फिर छुप-छुपकर देखा, मगर उसे फिर कोई गलती नजर न आयी। ना ही उसने राजेश को आते हुए देखा।

मधु ने विजय के प्यार में किसी किस्म की कोई कमी न पायी। उसने निश्चय कर लिया था कि अब वह राजेश से कभी न मिलेगी। उसने पूरी निष्ठा के साथ विजय की बनकर रहने का निश्चय किया।

लेकिन…।

तभी एक दिन एक अजीब घटना घट गयी। गर्मियों के दिन थे। दोपहरी में अचानक मोहल्ले का एक गुण्डा टाइप का लड़का घर में घुस आया। उसका नाम रोबिन था।

उसने आते ही मधु के मुंह पर हाथ रख लिया ताकि वह चिल्ला न सके और वहीं बिस्तर पर ढकेल दिया।

बेचारी मधु विवश हो गयी। एक बार फिर उसका शील भंग हो गया।

राजेश के चंगुल से छूटी तो रोबिन के चंगुल में फंस गयी। वह जब मर्जी होती मकान में आ जाता और और मधु को दबा लेता। मोहल्ले में उसकी खिलाफत करने वाला भी कोई न था।

उस दिन जब रोबिन ने मधु को दबोच रखा था, वहां विजय आ गया।

विजय ने जब ये देखा तो उससे बर्दाश्त न हुआ। उसने वहीं पड़े हुए एक इण्डे से रोबिन पर वार कर दिया।

रोबिन ने चाकू खोला और विजय के पेट में घुसेड़कर घुमा दिया। विजय की आंतें बाहर आ गयीं और वह वहीं लूढक कर ढेर हो गया।

रोबिन वहां से यह कहता हुआ भाग गया ‘‘खवरदार ! अगर मेरा नाम लिया तो तुम्हारा भी यही अंजाम होगा।’

मधु रोने-पीटने लगी।

मौहल्ले के लोग इकट्ठा हो गए।

लोगों के पूछने पर उसने बताया-‘‘कुछ लोग घर में घुस आए थे। वे लूटना चाहते थे। इन्होंने विरोध किया और उन्होंने चाकुओं से इन्हें गोद डाला।”

लाश को पुलिस उठाकर ले गयी। पोस्टमार्टम के बाद लाश उसे मिली और वह जला दी गयी।

अब…।।

अब मधु नितान्त अकेली रह गयी। उसके पास कुछ भी नहीं रह गया था। विजय का जो कुछ भी था वह सब उसी का था लेकिन उसका वह करेगी क्या?

व्यापार करने वाला तो कोई भी नहीं रह गया था।

राजेश फिर आने-जाने लगा था।

एक दिन उसने राजेश के सामने शादी का प्रस्ताव रखते हुए कहा-‘‘राजेश विजय के इस सब व्यापार को भी तुम समेट लो और मुझसे शादी कर लो।”

“शादी की क्या जरूरत है मधु?” राजेश ने कहा- “मैं हूं न। मैं तुम्हारा व्यापार देख दूंगा।”

मधु को अब राजेश से नफरत हो गयी। एक दिन उसने राजेश की चाय में बहुत सी नींद की गोलियां डाल दीं।

राजेश उसके घर से चला गया।

वह बस में बैठा था। वहीं बैठा का बैठा रह गया और दोबारा उठ न सका। किसी को भी यह पता न चल सका कि राजेश को किसने मार डाला अब मधु इन्तकाम पर उतर आयी थी।

राजेश के बाद उसने रोबिन से शादी का प्रस्ताव रखा।

रोबिन भी उसके प्रस्ताव को ठुकरा गया।

तब…।।

उसने एक दिन बड़ी सफाई से रोबिन को भी ठिकाने लगा दिया।

और फिर…।

वह किसी नये युवक को फंसाने के लिये सोचने लगी।

उसी मौहल्ले के एक युवक को अपने जाल में फांसकर रंगरलियां मनाने लगी।

“देखा मैना।” तोते ने एक पल चुप रहकर कहा-“वह बेवफा औरत न तो अपने पति की हुई जिसने उसकी सब गलतियां माफ कर दी थीं। न ही अपने प्रेमी की हुई और न ही अपने दूसरे चाहने वाले की हुई ।”

“तोते।”

“हां मैना।”

“उसकी गलती क्या थी?”

उसकी गलती यह थी कि यदि पहले दिन ही राजेश की हरकत पर अंकुश लगाती और अपने पिता से उसकी शिकायत करती तो यह नौबत न आती। फिर दोबारा जब रोबिन ने उस पर अधिकार किया तो उसे अपने पति को बताना चाहिए था। जब रोबिन ने उसके सामने उसके पति का खून किया था तब उसके विषय में पुलिस को बताना चाहिए था। और अगर सचरित्र होती तो विजय की विधवा बनकर जीवन गुजारना चाहिए था।’

एक पल रुक कर तोते ने कहा-“है न औरतों की जात मर्यों से ज्यादा बेवफा ।”

“तोते…।”

“हां मैना…।”

“अगर ऐसी बात है तो सुन मैं तुम्हें एक और कथा सुनाती हूं।”

“सुंनाओ।” तोते ने अपने कान मैना की ओर लगा दिए।

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Written by lokhindi
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