Hindi Kahani With Moral – कपटी सारंगी वाला – हिंदी कहानी

कपटी सारंगी वाला – Hindi kahani

Hindi Kahani With Moral

यह कहानी बुंदेलखंड की है | यहां के एक नगर में एक राजा ठाट-बाट से राज किया करता था | उसके राज्य में प्रजा सुखी थी | राजमहल से कुछ ही दूरी पर एक झोपड़ी में गिरधर नाम का एक सारंगी वाला रहा करता था |  गिरधर न तो सुबह देखता न रात | जब भी उसका मन करता वह सारंगी बजाने में लग जाया करता था | उसकी सारंगी में मधुरता थी | राजा के शयनकक्ष तक सारंगी की आवाज जाती थी | राजा उसे सुनकर खुश होता था कि रात को उसका संगीत उसे चैन की नींद सुलाता है |

एक रात की बात है | राजा अपने शयनकक्ष में सोया हुआ था | उसने एक सपना देखा सामने बियाबान जंगल था |  जंगल में एक तालाब था | तालाब के पास एक मंदिर था तथा मंदिर के बीच में एक भंवरा थी | बावड़ी में सीढ़ियां उतरने पर एक कुआं था | कुए के अंदर एक बाग था | बाग के पार महल था और महल में एक सुंदर कन्या सोलह सिंगार करके खड़ी हुई थी | राजा उसे देख कर मुग्ध हो गया और उसकी और कदम बढ़ाया ही था, कि तभी सारंगी बज उठी और राजा की नींद टूट गयी | राजा ने गुस्से में लाल होकर सारंगी वाले को बुलाया |  सिपाही उसे पकड़ लाये |

राजा ने गुस्से में पूछा – “ मूर्ख! तेरी वजह से मेरा सपना टूट गया और मैं राजकुमारी से मिल नहीं पाया | अब अगर तूने फिर से सारंगी बजायी तो तेरी जान की खैर नहीं |”

सारंगी वाले ने सिर झुका लिया और घर लौट आया | सारंगी उसने एक अंधेरे कोने में डाल दी; किंतु गाने बजाने वाले पर किसका बस चलता है | एक रात गुजरी, दो रात गुजरी और गिरधर का हाथ अनजाने में ही उसकी सारंगी से छू गया | वह सारंगी बजाने लगा |

उसकी आवाज राजा के कानों तक पहुंची और राजा ने हुक्म फरमा दिया उसका सिर काट डालो और उसकी आंखें मुझे ला कर दो |

तब जल्लाद गिरधर को पकड़ कर जंगल में ले गये | जब उसका सिर कांटा जाने वाला था, तो गिरधर बोला – “ मुझे छोड़ दो! यह राजहट है, पता नहीं कल राजा तुमसे फिर मुझे लाने को कह दे, तब तुम क्या करोगे ?”

जल्लादों की समझ में बात आ गयी और एक बकरे की आंख निकाल कर राजा के सामने पेश कर दी |

राजा को एक दिन फिर से वही सपना दिखा सामने बियाबान जंगल था | जंगल में एक तालाब था | तालाब के पास एक मंदिर था, तथा मंदिर के बीच में एक बावड़ी में सीढ़ियां उतरने पर एक कुआं था | कुए के अंदर एक बाग था | बाग के पार महल था और महल में एक सुंदर लड़की | इस बार सपने में राजा का लड़की से ब्याह भी हो गया था | राजा की जब नींद टूटी तो वह यह सपना सोचकर दु:खी हो गया, कि बेकार में ही उसने सारंगी वाले की हत्या करवा दी |

Hindi Kahani With Moral

Hindi Kahani : Moral kahani Hindi – लालच का फल – हिंदी कहानी

उधर सारंगी वाला एक बियाबान जंगल में जा पहुंचा | वहां एक तालाब था | इस तालाब के बारे में राजा से सुन चुका था | सारंगी वाले ने सोचा अवश्य ही यह राजा के सपने वाली जगह है | सुबह उसने देखा कि एक सुंदर लड़की तालाब पर आयी तथा मंदिर में पूजा करने चली गयी |

उसने मंदिर में प्रसाद चढ़ाया तभी एक कुत्ता आकर प्रसाद खा गया | दूसरे दिन जब यही घटना घटी तो सारंगी वाले ने प्रसाद समेट लिया | उसे संभाल कर रखकर वह तालाब में नहाने गया, तो कुत्ता प्रसाद लेकर भागा | सारंगी वाले ने दौड़कर उसकी पूंछ पकड़ ली | कुत्ता दौड़ता गया और सारंगी वाला उसके साथ घीसटता चला गया | कुत्ते ने बावड़ी को पार किया | कुएं में कूदा और बाग में जाकर उसी राजकुमारी के सामने खड़ा हो गया |  राजकुमारी ने समझा ईश्वर ने मेरे लिए वर भेजा है | इसलिए उसने उसकी बड़ी आवभगत की | राजकुमारी ने यह जानने के लिए कि अतिथि गरीब है या अमीर, सोने तथा पीतल के पात्रों में पानी भेजा | सारंगी वाले ने पीतल का पात्र ले लिया | राजकुमारी ने समझ लिया कि यह गरीब है, इसलिए उसने विवाह का विचार छोड़ दिया |

रहते-रहते थककर सारंगी वाले ने एक दिन फिर कुत्ते की दुम पकड़ ली और बाहर आ गया | वह नगर में वापस लौटा और राजा से मिलकर उसे सारा किस्सा सुनाया, कि वह उसके सपने वाली जगह दिखा सकता है | राजा ने उसे इनाम दिया तथा उसके साथ चल दिया |

राजकुमारी उसी  प्रकार मंदिर में आयी | उसने प्रसाद बाहर रखा | सारंगी वाले ने उसे उठाया और जैसे ही कुत्ता प्रसाद लेकर भागा | उसने उसकी पूछ पकड़ ली तथा राजा से कहा कि – “ मेरा हाथ पकड़ लो |”

राजा और सारंगी वाला दोनों ही कुत्ते के साथ की घिसटते-घिसटते राजकुमारी के सामने जा पहुंचे | राजकुमारी ने परीक्षा के लिए दो पात्र में पानी भेजा, तो राजा ने सोने के पात्र से पानी पी लिया | राजकुमारी की शादी राजा के साथ धूमधाम से हो गयी | सारंगी वाले को मंत्री बना दिया |

एक दिन तीनों घूमने निकले | रास्ते में एक मरा हुआ सुआ पड़ा था | रानी ने कहा – “ पहले इसे जिला दो, तब आगे बदूँ |”  राजा ने सारंगी वाले को महल भेजा की संजीवनी मंत्र ले आये और हिदायत दी की रास्ते में पुस्तक को खोल कर ना देखें | लेकिन सारंगी वाले ने मंत्र सीख लिया | तब राजा ने अपने प्राण देकर सुआ को जला दिया |  तो कपटपूर्वक सीखी हुई विद्या से सारंगी वाले ने अपने प्राण राजा के शरीर में डाल दिये और बोला –
“ रानी अब घर चलें |”

रानी समझ गयी कि असली राजा यह नहीं है |

एक दिन रानी ने कह दिया मैंने तीन साल का व्रत लिया है | उसके बाद ही हम राजा-रानी के समान साथ रह सकेंगे |

सारंगी वाला चुप्पी लगा गया, कि जल्दी करने से उसका काम बिगड़ जायेगा | इधर रानी ने राज्य भर में लोगों से कहा – “ जो जितने सुगे पकड़ कर लायेगा | उसे उतना ही इनाम मिलेगा |”

एक दिन एक बहेलिये के जाल में वही सुआ फस गया, जिसमें राजा के प्राण थे | सुये ने सवय से कहा कि उसे रानी के हाथ बेच दें |

जब वह सुआ रानी को मिला तो वह उसे बड़ी हिफाजत से रखने लगी | एक दिन एक बिल्ली ने एक सुगे की गर्दन पकड़ ली | रानी बोली – “ महाराज! इस मुर्दे को जिंदा करो, तभी भोजन करूंगी |”

सारंगी वाले ने अपने प्राण सुगे में डालकर उसे जिंदा कर दिया | तभी राजा सुआ ने उस सूगे के प्राण निकालकर अपने आप में डाल लिये | सारंगी वाला उसी क्षण मर गया |

राजा-रानी फिर मिल गये और सुख से रहने लगे |

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Written by lokhindi
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