वैद्यजी भगाये गये | हिंदी कहानी | Short Stories in Hindi

Short Stories in Hindi

देवसहाय का लड़का भगवतीप्रसाद बीमार हो गया था | वह गर्मी की दोपहर में घर से चुपचाप आम चुनने भाग गया और वहां उसे लू लग गयी | उसे जोर से बुख़ार चढ़ा था | देवसहाय ने वैद्य जी को अपने लड़के की चिकित्सा के लिए बुलाया |

वैद्य जी ने आकर लड़के की नाड़ी देखी और कहा – ” इसे लू लगी है | यह बड़ा चंचल जान पड़ता है | दोपहरी में घर से बाहर जाने का क्या काम था | यह बहुत बुरी बात है | जो लड़के अपने बड़ों की बात नहीं मानते | वह ऐसे ही दु:ख भोगते हैं |”

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वैद्य जी उपदेश देते जाते थे और लड़कों को डांटते जाते थे | देवसहाय को यह बात अच्छी नहीं लगी | उन्होंने कहा – ” वैद्य जी मैंने आप को बुलाकर भूल कि आप अपनी फीस लीजिए और जाइए | मैं अपने लड़के की चिकित्सा किसी अन्य वैद्य से करा लूंगा | आप तो बीमार लड़के को डांटकर और दु:खी कर रहे हैं |”

वैध जी बेचारे लज्जित होकर चले गए |

 Moral Of the Story: 
” जो दु:ख में पड़ा है, उससे उस समय उसकी भूले बताकर और उपदेश देकरअधिक दु:खी नहीं करना चाहिए | उस समय तो उससे सहानुभूति दिखाना और उसकी सेवा करना ही उचित है |”
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Written by lokhindi
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