पौदनिया चोर – Best Moral Story Hindi – Hindi Kahani

पौदनिया चोर – Best Moral Story In Hindi

Best Moral Story Hindi

एक राज्य में एक राजा राज करता था | उसके राज्य में पौदनिया नामक एक चोर रहता था | पौदनिया बहुत ही चतुर था | वह सारी प्रजा को सताता था राजा ने घोषणा की ” कि यदि चोर स्वय राजा के समक्ष उपस्थित हो जाएगा तो राजा उसे माफ कर देगा |”

पौदनिया ने यह घोषणा सुनी | वह घोड़ों के व्यापारी का भेष बनाकर राजा के सामने आया | उसके पास दो सफेद घोड़े थे | वह उन्हें लेकर राज दरबार में गया | पौदनिया ने राजा से कहा – ” महाराज! इनसे अच्छे घोड़े आपको कहीं भी नहीं मिलेंगे |”

राजा ने घोड़े देखे तो वह बड़ा ही प्रसन्न हुआ | उसने घोड़े खरीद लिए जाते समय व्यापारी ने कहा – ” इनकी देखरेख के लिए, मैं अपना आदमी भेज दूंगा |”

राजा बोला – ” ठीक है |” पौदनिया फिर से भेष बदलकर राजा की सेवा में आ गया | राजा ने पौदनिया से कहा कि ” वह दिन में एक बार जरूर उसके सामने हाजिर हुआ करें | पौदनिया हर रोज उसके सामने आने लगा; किंतु रात के समय पौदनिया चोरी किए बिना नहीं रह पाता था |”

राजा हैरान था | उसने एक बार अपने सबसे चतुर चार सिपाहियों को नियुक्त किया | पौदनिया राजा के सारे भेद जानता था | वह ज्योतिषी का भेष बनाकर उन चारों सिपाहियों के घर गया | सिपाहियों की स्त्रियां सीधी-साधी तथा धार्मिक थी | उन्होंने घर आए ज्योतिषी को हाथ दिखाने आरंभ कर दिए | पौदनिया ने चारों स्त्रियों को बताया – ” आज रात तुम्हारे घर वह पौदनिया चोर आएगा | वह साधु के वेश में होगा | तुम उसे पत्थरों से मारना उसे किसी भी सूरत में घर में घुसने मत देना | वह यह भी कह सकता है कि ” मैं तुम्हारा पति हूं!” किंतु तुम उसकी एक भी बात मत सुनना |”

स्त्रियों को पट्टी पढ़ाकर पौदनिया अपने घर आया | वैसे वह राजा के यहां नौकर था | भला राजा के नौकर पर कौन शक करता | उसने उसी रात एक गली में समोसे की दुकान खोली | कड़ाके की सर्दी थी | चारों सिपाही पौदनिया को खोजते हुए उसकी दुकान के पास पहुंचे | आधी रात को गरम-गरम समोसे बनते देख उनके मुंह में पानी आ गया | फिर भी वे सिपाही पौदनिया से पूछताछ करने लगे | पौदनिया विनती भरे स्वर में बोला – ” माई बाप! मैं गरीब आदमी हूं | रात को समोसे बनाता हूं, उन्हें बेचता हूं, आप तो जानते ही हैं कि कभी-कभी बाहर से व्यापारी आते-जाते हैं | आप भी चेक कर देखें यह समोसे बड़े ही स्वादिष्ट है |”

सिपाही समोसों का लालच नहीं छोड़ सके | समोसे नशीले थे | उन्होंने पेट भरकर नशीले समोसे खाए | थोड़ी ही देर में उन्हें नींद आ गई |

अब पौदनिया ने तुरंत उनके कपड़े उतारे उनके शरीर तथा बालों पर भभूत मिली और उनके कपड़े लेकर चंपत हो गया |

जब सिपाहियों की आंख खुली तो उन्हें असलियत का पता चला | वे लोग छुपते-छुपाते सीधे अपने घरों के दरवाजे पर पहुंचे | पौदनिया ने उनकी स्त्रियों को पहले ही समझा दिया था | उन्होंने जाकर देखा तो चकित रह गई | भभूत शरीर पर लगाए साधु खड़े थे | बस उन्होंने तुरंत ही उन पर पत्थर बरसाने शुरू कर दिए | सिपाही मकान के छज्जे की ओट में छुप गए | सुबह जब सारा रहस्य खुला तो राजा ने उन सिपाहियों को कड़ा दंड दिया |

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राजा ने फिर से ढिंढोरा पिटवाया कि – ” जो कोई पौदनिया को पकड़ कर लाएगा | उसे मुंह मांगा इनाम दूंगा |” इस बार राजा का प्रधानमंत्री पौदनिया को पकड़ने के लिए तैयार हुआ | पौदनिया को इसकी भी खबर लग गई |

उसने उसी रात एक बुढ़िया का भेष बनाया तथा जंगल में बनी झोपड़ी में जाकर वह चक्की में चना दलने लगा | आधी रात के समय मैं से आती चक्की की आवाज सुनकर प्रधानमंत्री उसकी ओर गया | वहां पहुंचकर उसने देखा कि एक बुढ़िया चने दल रही है | प्रधानमंत्री ने पूछा तो बुडिया बना पौदनिया चोर बोला – ” अन्नदाता ! में बहुत कमजोर हूं | मुझसे अधिक काम नहीं होता इसी कारण में आधी रात को पौदनिया चोर के घोड़े का दाना दलती हूं | वह अभी आकर मुझे पैसे दे जाएगा | सच कहती हूं अन्नदाता! वह बड़ा ही दयालु है |”

प्रधानमंत्री को बुढ़िया की बात पर यकीन नहीं हुआ | उसने फिर से पूछा – ” तुम क्या कर रही हो, सच-सच कहो |”

” मैं भला झूठ क्यों बोलने लगी | इसमें मेरा क्या फायदा है |”

प्रधानमंत्री उस बुढ़िया को अपना परिचय देते हुए बोला – ” यदि तुम उस चोर को पकड़ा दो तो | मैं तुम्हें मालामाल कर दूंगा |”

” फिर आप अपने घोड़े को थोड़ा दूर बांध आओ और अपने कपड़े उतारकर मेरे कपड़े पहन लो | वह जैसे ही दाना लेने आएगा | तुम उसे पकड़ लेना |”

प्रधानमंत्री सोचने लगा कि – ” इस बार पौदनिया जरूर ही पकड़ा जाएगा |”

वह बुढ़िया का भेष बनाकर दाना डालने लगा | पौदनिया उसका घोड़ा और कपड़े लेकर अंधेरे में गायब हो गया | जब सुबह होने लगी और पौदनिया का कुछ पता नहीं चला तो प्रधानमंत्री को अपनी गलती का एहसास होने लगा | वह मुंह छिपाता हुआ अपने घर लौट आया | राजा ने प्रधानमंत्री को उसके पद से हटा दिया |

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अब राजा ने खुद ही पौदनिया को पकड़ने का निश्चय किया | वह अपने घोड़े के रखवाले को बुलाकर बोला कि – ” आज घोड़े को खूब खिला-पिलाकर तैयार रखो | आज मैं खुद ही पौदनिया को पकड़ने जाऊंगा |”

घोड़े का रखवाला मुस्कुरा रह गया | वह खुद ही पौदनिया था |

रात के अंधेरे में राजा महल से बाहर निकला और पौदनिया ने राज महल के धोबी का वेश धारण किया और नदी के किनारे जाकर बैठ गया | उसने अपने पास एक रुई का पुतला बनाकर रख लिया |

वह पौदनिया को खोजता हुआ राजा नदी के घाट पर पहुंचा | पौदनिया कपड़े धोने लगा | राजा ने आधी रात को पौदनिया को कपड़े धोते देखकर पूछा – ” इस समय कपड़े क्यों धो रहे हो |”

पौदनिया बोला – ” अन्नदाता! राज महल के कपड़े बहुत मूल्यवान तथा सुंदर हैं | यदि दिन में कोई चुरा ले या नजर लगा दे तो आपकी कितनी हानि हो सकती है |”

धोबी की स्वामीभक्त देखकर राजा बहुत प्रसन्न हुआ | तभी पौदनिया बोला – ” अन्नदाता! आपने आज आधी रात को यहां आने का कष्ट क्यों किया |”

” मुझे पौदनिया की तलाश है |”

पौदनिया हाथ जोड़कर बोला – ” वह बदमाश पौदनिया! अन्नदाता वह हमेशा आधी रात को आता है | और मुझसे अपने पैरों की धूल धूलवाता है | आप जैसे ही हमारी बातचीत सुने, वैसे ही आप उसे पकड़ लीजिएगा |”

राजा अपने घोड़े को एक पेड़ से बांधकर अंधेरे में छिप गया | चंद्रमा न निकलने के कारण नदी के किनारे काला अंधेरा था |

थोड़ी देर बाद पौदनिया ऊंचे स्वर में बोला – “आइये पौदनिया! क्या आदेश है |”

राजा ने सोचा कि पौदनिया आ गया है | वह सावधान हो गया | अब पौदनिया आवाज बदलकर बोला – ” तुम्हारे राजा के क्या हाल-चाल हैं | मैंने सुना है, कि वह मुझे पकड़ने की कोशिश कर रहा है | लेकिन मैं उसके हाथ तभी आ सकता हूं, जब यह हवा हाथ आ जाए |”

राजा गुस्से में भड़क गया | वह गरज कर बोला – ” नीच! मैं तुझे अभी बताता हूं | पलक झपकते ही पौदनिया ने रुई के पुतले को पानी में फेंक दिया | राजा ने समझा कि चोर पानी में कूद गया है | इसलिए वह भी पानी में कूद गया | और तेजी से तैरने लगा अंत में उसने उसे पकड़ ही लिया | पुतले को देखकर राजा शर्म से पानी-पानी हो गया |

दूसरे दिन उसने घोषणा की ” अगर कोई भी पौदनिया को पकड़ कर ला सकता है, तो मैं उसे अपना आधा राज्य दे दूंगा |”

पौदनिया नौकर के वेश में राजा के सामने पहुंचा | उसने कहा कि ” अगर उसके गुनाह माफ कर दिए जाएं | तो वह पौदनिया को पकड़ कर ला सकता है |” पहले राजा को यकीन ही नहीं आया; किंतु बाद में उसने उसे आज्ञा दे दी तथा माफीनामा लिख दिया |

माफीनामा मिलते ही पौदनिया ने सवयं को पेश कर दिया तथा सभी प्रमाण भी दे दिए | सिपाहियों तथा प्रधानमंत्रियों के कपड़े और राजा का घोड़ा | राजा उसकी चतुराई से बहुत प्रसन्न हुआ | उसने उसे आधा राज्य देना चाहा; किंतु उसने लिया नहीं! तब राजा ने पौदनिया को अपना विशेष सलाहकार बना दिया | चतुर पौदनिया की सलाह पर चलकर राजा तथा उसके राज्य की खूब उन्नति हुई |

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Written by lokhindi
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