Moral Stories for Kids – कड़वा वचन – Hindi Moral Stories

Moral Stories for Kids – कड़वा वचन

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सुंदर नगर में एक सेठ रहते थे | उनमें हर गुण था – नहीं था तो बस खुद को संयत में रख पाने का गुण |

जरा-सी बात पर वे बिगड़ जाते थे | आसपास तक के लोग उनसे परेशान थे |

खुद उनके घर वाले तक उनसे परेशान होकर बोलना छोड़ देते |

किंतु, यह सब कब तक चलता | वे पुन: उनसे बोलने लगते | इस प्रकार काफी समय बीत गया, लेकिन सेठ की आदत नहीं बदली | उनके स्वभाव में तनिक भी फर्क नहीं आया |

अंततः एक दिन उसके घरवाले एक साधु के पास गये और अपनी समस्या बताकर बोले – “ महाराज ! हम उनसे अत्यधिक परेशान हो गये हैं, कृपया कोई उपाय बताइये |”

तब,

साधु ने कुछ सोचकर कहा – “ सेठ जी ! को मेरे पास भेज देना |”

“ ठीक है, महाराज ” कहकर सेठ जी के घरवाले वापस लौट गये | घर जाकर उन्होंने सेठ जी को अलग-अलग उपायों के साथ उन्हें साधु महाराज के पास ले जाना चाहा | किंतु, सेठ जी साधु-महात्माओं पर विश्वास नहीं करते थे | अतः वे साधु के पास नहीं आये |

तब एक दिन साधु महाराज स्वय ही उनके घर पहुंच गये | वे अपने साथ एक गिलास में कोई द्रव्य लेकर गये थे |

साधु को देखकर सेठ जी की प्योरिया चढ़ गयी | परंतु घरवालों के कारण वे चुप रहे |

साधु महाराज सेठ जी से बोले – “ सेठ जी ! मैं हिमालय पर्वत से आपके लिए यह पदार्थ लाया हूं, जरा पीकर देखिये |”

Moral Stories for Kids

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पहले तो सेठ जी ने आनाकानी की, परंतु फिर घरवालों के आग्रह पर भी मान गये |

उन्होंने द्रव्य का गिलास लेकर मुंह से लगाया और उसमें मौजूद द्रव्य को जीभ से चाटा |

ऐसा करते ही उन्होंने सड़ा-सा मुंह बनाकर गिलास होठों से दूर कर लिया | और साधु से बोले – “ यह तो अत्यधिक कड़वा है, क्या है यह ?”

“ अरे आपकी जबान जानती है, कि कड़वा क्या होता है ” साधु महाराज ने कहा |

“ यह तो हर कोई जानता है ” कहते समय सेठ ने रहस्यमई दृष्टि से साधु की ओर देखा |

“ नहीं ऐसा नहीं है, अगर हर कोई जानता होता तो इस कड़वे पदार्थ से कहीं अधिक कड़वे शब्द अपने मुंह से नहीं निकालता | सेठ जी वह एक पल को रुके फिर बोले | सेठ जी याद रखिये जो आदमी कटु वचन बोलता है | वह दूसरों को दुख पहुंचाने से पहले, अपनी जबान को गंदा करता है |”

सेठ समझ गये थे, कि साधु ने जो कुछ कहा है | उन्हें लक्षित करके कहा है |

वह फौरन साधु के पैरों में गिर पड़े – “ बोले साधु महाराज ! आपने मेरी आंखें खोल दी, अब मैं आगे से कभी कटु वचनों का प्रयोग नहीं करूंगा |”

सेठ के मुंह से ऐसे वाक्य सुनकर उनके घरवाले प्रसंता से भर उठे |

तभी सेठ जी ने साधु से पूछा – “ किंतु, महाराज ! यह पदार्थ जो आप हिमालय से लाये हो वास्तव में यह क्या है ?”

साधु मुस्कुराकर बोले – “ नीम के पत्तों का अर्क |”

“ क्या ” सेठ जी के मुंह से निकला और फिर वे धीरे-से मुस्कुरा दिये |

शिक्षा – “ कड़वा वचन बोलने से बढ़कर इस संसार में और कड़वा कुछ नहीं | किसी द्रव्य के कड़वे होने से जीभ का स्वाद कुछ ही देर के लिए कड़वा होता है | परंतु कड़वे वचन से तो मन और आत्मा को चोट लगती है |”

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Written by lokhindi
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