Moral Kahani Hindi – गीदड़ और कुत्ते – Hindi Moral Story

गीदड़ और कुत्ते – Hindi Moral Story

Moral Kahani Hindi

किसी जंगल में गीदड़ तथा कुत्ते रहा करते थे | उन्होंने मिलकर फैसला किया कि वे सांझी खेती करेंगे | यह खबर सारे जंगल में आग की तरह फैल गयी | जंगल में सभी जानवर इस दोस्ती से चकित रह गये |

लोमड़ी के सरदार ने अपनी बिरादरी की पंचायत बुलायी और कहा – “ वीर लोमडों! यह गीदड़ अपने को बहुत चालाक समझते हैं | अब तक जंगल में चलाकी तथा बुद्धिमानी के लिए हमारा ही नाम लिया जाता था | वे गीदड़ अब सबसे बुद्धिमान बनने चले हैं | गठजोड़ भी किया है, तो कुत्तों के साथ जिनका न कोई धर्म है |  न ईमान | इनकी तो आपस में ही नहीं बनती | एक-दूसरे को नोचने को तैयार रहते हैं |”

लोमडों  में सबसे खतरनाक काना लोमड़ था | उसने कहा – “ बोने दो सांझी खेती, देख लेना क्या हालत होती है |  गीदड़ की मैं सब बंटाधार ने कर दूं, तो मेरा काना लोमड़ नाम नहीं |”

इधर गीदड़ तथा कुत्तों की  मैत्री के नारे लग रहे थे | सारे जंगल में आवाजे गूंज रही थी | इन्हें सुनकर जंगल का राजा शेर अपने मंत्री लकड़बग्घे से कह रहा था – “ बड़ी ही बेमेल दोस्ती है |”

“ यह दोस्ती चल नहीं सकेगी, महाराज! दोनों एक-दूसरे के जन्मजात दुश्मन हैं |”

इधर लोमडों ने फैसला किया कि इस मैत्री को सिरे नहीं चढ़ने देंगे |

राजा आश्वस्त होकर अपने शयनकक्ष की ओर चले गये | गीदड़ तथा कुत्तों ने मिलकर धरती जोति, बुवाई की |  रखवाली का काम कुत्तों ने संभाला | गुडई तथा सिंचाई का काम दिन में गीदड़ करते थे | हरी भरी फसल लहराने लगी | अपनी सफलता पर गीदड़ तथा कुत्ते आनंद से नाचने लगे |

फसल के पककर तैयार होने पर एक दिन काना लोमड़ खेत में घुस गया और उसने बहुत सी पक्की बलियां चुरा ली | अगले दिन इस चोरी की बात को लेकर दोनों पक्षों में थोड़ा सा मनमुटाव हो गया |

इसके बाद अगले दिन फिर चोरी हो गयी | दोनों पक्ष एक-दूसरे पर आरोप लगाने लगे | उसी दिन काना लोमड़ कुत्तों के सरदार से अकेले में मिला और बोला – “ गीदड़ लोग बेईमान होते हैं, चोरी उन्होंने ही की है |”

“ चलो जो हुआ, हम दोस्ती के नाम पर धब्बा नहीं लगाना चाहते | क्योंकि हमारी जाती तो पहले ही बदनाम है |”  सरदार बोला |

“ फिर भी गीदडों को सबक तो सिखाना ही चाहिये | आखिर कुत्ते उनसे ऊंची बिरादरी के हैं | गीदड़ तो सदा ही उन से डरे आये हैं |” काने लोमड़ ने कहा |

“ लेकिन हम लड़े मरे तो जंगल के जानवर हम पर हंसेगे |”  सरदार ने शंका जतायी |

काना लोमड़ कुछ करीब सरका और उसने सरदार के कान में कुछ कहा | सरदार के मुख पर थोड़ी मुस्कान फैल गयी | कहने लगा – “ युक्ति तो ठीक बतायी, तुमने लोमड़ भाई |”

फसल की गहाई, बरसाई के पश्चात अनाज की डेरी तैयार हो गयी | इस मौके पर सारे गीदड़ और कुत्ते वहां पर मौजूद थे | उन्हें इस बात पर बहस हो रही थी, कि बटाई कैसे हो | तभी कुत्तों के सरदार ने सुझाव दिया – “ गीदड़! अपना एक सरदार चुने ले | वह जो भी फैसला करेगा वही हमें मंजूर |”

कई गीदड़ एक साथ बोले – “ हम सभी सरदार हैं | हमारी बिरादरी में एक सरदार नहीं होता |”

“ लेकिन इस काम के लिए तो तुम्हें चुनना ही पड़ेगा |” सरदार कुत्ता बोला | तभी एक तगड़े से गीदड़ ने कहा – “ यह क्या हूं-हूं लगा रखी है | शोर मचाना जानते हो, काम की बात करते नहीं | कुत्तों ने जब अपना सरदार चुन रखा है, तो फिर हम क्यों पीछे पड़े हैं, चुने लो अपना सरदार | आखिर चुनाव का जमाना है | प्रत्येक काम चुनाव से ही होता है |”

Moral Kahani Hindi

Kahani Hindi : Moral Hindi Story – जानवर,देवता तथा दानव – Hindi kahani

कुत्तों का सरदार गीदडों से बोला – “ इन्हीं को चुन लो, यही सबसे मोटे तगड़े हैं |”

गीदड़ फिर हूं-हू करने लगे | उस हूं-हूं को ही गीदडों की सहमति समझकर कुत्तों के चौधरी ने घोषणा कर दी कि “ वहीं मोटा गीदड़ गीदडों का सरदार है |”

अब बोले कौन | “ सभी कुत्तों से डरा मोटा गीदड़ मन ही मन खुश था, कि एक मिनट में ही वह गीदडों का सरदार बन गया |”

तभी कुत्तों के सरदार ने एक डंडा मंगवाया | मोटा गीदड़ डरा कहीं पिटाई न हो जाये | सरदार ने उसके मन की बात बांटते हुये कहा – “ डरो नहीं मोटे गीदड़! यह सरदार का डंडा है | इसे तुम्हारी पूछ से बांध देंगे | अनाज की डेरी पर इस डंडे को जहां मार दोगे, वहीं से बटवारा हो जायेगा |”

मोटा गीदड़ अब अनाज की ढेरी पर डंडा मारने बढ़ा | तभी कुत्तों ने शोर मचा दिया | सभी गीदड़ भाग खड़े हुये |  जिसको जिधर नजर आ रहा था उधर ही भाग रहा था | गीदड़ का सरदार अपनी खोह की ओर भागा | कुत्ते उसका पीछा कर रहे थे | जब वह खोह में घुसने लगा तो सरदार का डंडा बाहर अटक गया | भीतर से उसकी पत्नी घबरा कर बोली – “ अजी भीतर आ जाओ न, यह दुष्ट तुम्हें मार डालेंगे |”

मोटा गीदड़ डर के मारे बोल ही नहीं पा रहा था | केवल अंदर घुसने के लिए जोर लगा रहा था |

“ क्या बात है | अंदर क्यों नहीं आते |”

काना लोमड़ बाहर से सुन रहा था कहने लगा – “ भाभी! भीतर कैसे घुसे सरदार का डंडा अड़ा है |” इतना कहकर वह खूब जोर से हंस दिया |

कुत्तों ने सरदार गीदड़ को घर दबोचा तथा उसे मार डाला | सरदार के डंडे ने उसकी जान ले ली थी | लोमडो की चाल काम कर गयी | कुत्तों तथा की गीदड़ों में फिर से शत्रुता हो गयी || 

Kahani Hindi : Hindi Kahaniya – भाइयों का झगड़ा – Moral Hindi kahani

Share:
Written by lokhindi
Lokhindi is a Hindi website that provides Hindi content to the consumers such as jokes, stories, thought, and educational materials etc. Lokhindi website run by "The Arj Team".