160 Hindi Paheli

160 Hindi Paheli – ज्ञान वर्धक पहेलियां हिंदी

Hindi Paheli

Paheli Hindi,  ज्ञानवर्धक, मनोरंजन, मानसिक सजगता एव निरीक्षण क्षमता के विकास का एक सहज व प्रभावशाली साधन है। खेल में बच्चों और बड़ो की ज्ञानवर्द्धि, इन 160 Hindi Paheli के माध्यम से हो जाती है स्वस्थ मनोरंजन एव प्रभावी ज्ञानवर्धक का अनमोल खजाना – 160 Hindi Paheli, Hindi Riddles, Hindi Puzzles with Answer, सभी Hindi Paheli के उत्तर उसी Hindi Paheli के निचे लिखित है… 

1.

बांबी वा की जल भरी, ऊपर जारी आग।

जब बजाई बांसुरी, निकसो कारो नाग।।

–हुक्का

2.

पीली पोखर, पीले अण्डे। बेगि बता नहीं मारूं डण्डे।

–कढ़ी

3.

पैर नहीं तो नग बन जाए, सिर न हो तो ‘गर’।

यदि कमर कट जाए मेरी, हो जाता हूं ‘नर।’

–नगर

4.

अंत नहीं तो फौज समझिए, आदि नहीं तो बन गया नानी।

देश प्रेम के लिए न्यौछावर, उनकी बड़ी महान कहानी।।

–सेनानी

5.

प्रथम नहीं तो गज बन जाऊं, मध्य नहीं तो काज।

लिखने-पढ़ने वालों से कुछ, छिपा ना मेरा राज।

–कागज़

6.

तीन अक्षर का मेरा नाम, उलटा-सीधा एक समान।

आता हूँ खाने के काम, बूझो तो भाई मेरा नाम?

–डालडा

7.

अक्षर तीन का मेरा नाम, हवा में उड़ना मेरा काम।

उल्टा सीधा एक समान, बूझो तो जानू मेरा नाम ?

–जहाज

8.

तीन अक्षर मेरा नाम, उलटा सीधा एक समान।

सुभाष चन्द्र का मैं हूं गांव, जल्दी बताओ मेरा नाम?

–कटक

160 Hindi Paheli

160 Hindi Paheli – ज्ञान वर्धक Hindi Paheli

9.

दुम काटो तो काट के रख दें, कटे पेट तो फलों में श्रेष्ठ ।

सिर काटो तो हे भगवान, थकान मिटाना मेरा काम।

–आराम

10.

अंत कटे तो जमा जोड हूं, मध्य कटे तो जना।

आदि कटे तो सबने माना, कैसे हाय आ गया जमाना।

–ज़माना

11.

तीन अक्षर का नाम, उलटा सीधा एक समान।।

मध्य हटाकर ”जज’ बन जाऊं, फिर भी झट सबको पहुंचाऊं।

–जहाज

12.

अन्त कटे कौआ बन जाए, प्रथक कटे दूरी का माप।

मध्य कंटे तो बटन का साथी अक्षर तीन बता दें आप।

–कागज

13.

प्रथम कटे, तो मन बनू, अन्त कटे मूल्य।

मध्ये कटे सुकर्म हो ऐसा जीत लू सबका दिल।

–दामन

14.

अंत करें तो पुर्जा बनू, मध्य कटे आऊं।

सिर काटो तो मैं चलू, अपने तेवर दिखलाऊं।

–कलम (कलपुर्जा, कम (COME) कलम काट कर/छिलकर तैयार की जाती है!   

15.

अन्त कटा तो ‘पपी’ रहा, कुछ भी मतलब नाय।

आदि काटकर ठीक है, पीता-पीता जाय।

मध्य कटे झट जान लो, तुरंत ‘पता लग जाए।

–पपीता

16.

तीन अक्षर का नाम मेरा, ग्रीष्म ऋतु में मेरा काम।।

प्रथम हटा दो सफर करूं, अंत हटा दो ‘डफ़र’ बनूं।

–सुराही (राही यात्री को कहते है और सुरा पीकर बुद्धिनाश होता है!

17.

दो अक्षर का मेरा नाम, आता हूँ खाने के काम।

उलटा लिखकर नाच दिखाऊं, फिर क्यों अपना नाम छिपाऊं?

–चना

18.

पांच अक्षर का मेरा नाम, उलटा सीधा एक समान।

दक्षिण भारत में रहती हूं, बोलो तो मैं कैसी हूं?

–मलयालम

19.

मध्य कटे, तो अड़ी पड़ी, प्रथम काट दो तो नाड़ी।

अन्त कटे, तो ‘अना’ हुआ, न जानूं मैं होशियारी।

–अनाड़ी

20.

मध्य हटाकर ‘कल’ आऊं, प्रथम काट दो मल-मल।

अन्त हटाकर ‘कम’ होऊं, घर है मेरा जल-थल। (कीचड़)

–कलम

21.

‘पवित्र प्यार का चिह्न हूँ मैं; गैरों को बना लें अपना।

उल्टा कर दो सब्जी हूं, खा सकते हो मुझे कच्चा।

–राखी

22.

प्रथम काट कर ‘गाली’ है, उसकी मां भी काली है। (दुर्गा)

फिर भी भारतवासी है, अपना प्यारा साथी है।

–बंगाली

23.

उल्टा कर दो रंग भरूं, सीधा रखो मैं फल हूं।

बीमारों का दोस्त हूं मैं, देता उन्हें बहुत बल हूं।

–चीकू

24.

अन्त हटा दो ताकत हूं, मध्य हटा दो ‘बम’

हर औरत को प्यारा हूं, मतलब मेरा सजन।

–बलम

25.

देश भी हूं, औजार भी हूं, खींचो अगर तो हूं पानी।

ढाई अक्षर का नाम है वो, पूछ रही मेरी नानी।

–बर्मा

26.

कठोर भी हूं और महंगा भी, उलटा कर दो सफर करूं।

करवा दूं सबमें झगड़ा, मुंह में रख लो प्राण हरूं।

–हीरा

27.

उलटा करो नदी की धारा, सीधा रखो तो देवी।

पीताम्बर के साथ रहूं मैं, नाम बताओ बेबी।

–राधा

28.

वैसे मैं हूं बेचारा, पर उलटा कर दो तो पालें।

दीन दुखी हूं, दो अक्षर का, बतला दो तो जानूं।

(इस पहेली का उत्तर–इसी पहेली में ही हैं।)

–दीन

29.

अन्त कटे तो मानव हूं, प्रथम कटे ‘नम’ हो जाऊं।

मध्य काट तो ‘जम’ जाऊं, बोलो-मैं क्या कहलाऊं?

–जनम

30.

प्रथम कटे, तो नया बनूं, अन्त काट दो मान करूं।

तीन अक्षर का कौन हूं मैं, सृष्टि का सम्मान करूं।

–मानव

31.

प्रथम कटे, तो ‘जल’ बनकर, मैं सबको जीवन देता हूं।

मध्य काट कर ‘काल’ बनू, सबका जीवन हर लेता हूं।

तीन अक्षर का मैं ऐसा, आंखों को ठंडक देता हूं।

–काजल

32.

मुझसे पहले जो ‘सम’ लग जाए, नजरों में चढ़ जाता हूं।

‘अभि’ लगा दो पहले तो, मैं सत्यानाश कराता हूं।

दो अक्षर का, सब में हूं, बोलो मैं क्या कहलाता हूं?

–मान

33.

आदि कटे तो दशरथ सुत हूं, मध्य कटे, तो ‘आम’।

अंत कटे, तो शहर बना इक, बूझो मेरा नाम।

–आराम

34.

उलटी हो कर ‘सब कुछ होती, सीधी रहूं तो सब को ढोती।

जल्दी से मेरा तुम बच्चों, नाम कहो जसतस।

वरना बुद्ध कान पकड़ लो और कहो तुम ‘बस’।

–बस

35 .

सीधा करो तो पता चले, उलटा करके ताप चढ़े।

किसी को ढूंढों, चिट्ठी लिखो, मेरी जरूरत आन पड़े।

–पता

36.

दो अक्षर की मैं बहना, उल्टा-सीधा एक रहना।

–दीदी

37.

मध्य हटाकर पूंछ हो गई, प्रथम काटकर ‘पावर’।

चार पैर की मैं अलबेली, घर-बार हो या दफ्तर।

–टेबल

38.

तीन पैर की चम्पा रानी, रोज नहाने जाती।

दाल भात को स्वाद न जाने, कच्चा आटा खाती।

मध्य काट दो तो मैं ‘चला’, प्रथम कटे जाऊं ‘कला’।

बच्चों अब तो बतला दो, क्या है मेरा नाम भला?

–चकला

39.

तीन अक्षर का नाम मेरा, हवा में जाऊं करूं सलाम।

मध्य कटे बनू ‘कदम’, प्रथम कटे तो कर दें तंग।

नाम बताओ मेरा तुम, 15 अगस्त से मेरा संबंध।

–पतंग

40.

अन्त कटे तो कदम रखें, मध्य कटे तो ‘डर’ बन जाऊं।

खुद न चल सकू मगर राही को मंजिल पर पहुंचाऊं।

–डगर

41.

अन्त कटे तो ‘सूर’ हुआ मैं, प्रथम कटा तो धूल।

मुझसे ही हैं दिन और रातें, जीवन का हूँ मूल।

–सूरज

42.

मध्य काट कर मली गई, प्रथम काट कर छली गई।

पानी में रहकर सुख भोगा, बाहर आकर तली गई।

–मछली

43.

प्रथम काट कर मैं ‘पकली’, छिप छिप जाऊं ऐसी कली।

बल खाती सी इठलाती, रातों में अक्सर निकली।

–छीपकली

44.

प्रथम काट कर ‘कड़ी’ हूं मैं, मध्य काटकर लड़ी’ हूँ मैं

अन्त काटकर किस्मत हूं, फिर भी चूल्हे में पड़ी हूँ मैं।

–लकड़ी

45.

एक हूं, मगर अनेक हूं मैं, सौ रोगी को एक हूं मैं।

–अनार

46.

जादू के डंडे को देखो, कुछ पिए न खाए।

नाक दबा दो तुरंत रोशनी चारों ओर फैलाए।

–टॉर्च

47.

दो अक्षर का मेरा नाम, करती कभी नहीं आराम।

मुझे देख सब मेहनत करते, झट से बोलो मेरा नाम।

–घड़ी   

48.

छत से एक अचंभा देखा, लाल तवे को चलते देखा।

दिन भर फेरा करता रहता, पूरब से पश्चिम को जाता।

— सूरज

49.

बतलाओ ऐसी दो बहनें संग हंसतीं, संग गाती हैं।

उजले-काले कपड़े पहने पर मिल कभी न पाती हैं।

–आंखे

 160 Hindi Paheli With Answer

50.

काठ की कठोली, लोहे की मथानी।

दो-दो आदमी मथे पर मक्खन दही न आनी।।

–आरी

51.

एक मुंह और तीन हाथ, कोई रहे न मेरे साथ।

गोल-गोल मैं चलता जाऊं, सबकी थकान मिटाता जाऊं।

–पंखा

52.

तीन रंगों का सुंदर पक्षी, नील गगन में भरे उड़ान,

सब की आंखों का है तारा, सब करते इसका सम्मान।

–(तिरंगा) राष्ट्रीय ध्वज  

53.

वृक्ष परे रहूं मगर पक्षी नहीं, तीन आंखें हैं मेरी पर शंकर नहीं,

छाल के वस्त्र पहनूं पर योगी नहीं, जल से हूं परिपूर्ण मगर मटका नहीं

–नारियल

54.

मेरे बिना जीवन असंभव प्राण वायु’ है दूसरा नाम ।

अम्ल उत्पन्न मैं करने वाला, कोई बताए मेरा नाम?

–ऑक्सीजन

55.

एक छोटा सा सिपाही, उसकी खिंच के निकर लाई ।

–केला (यह पंजाबी भाषा में है, “खींच के निकर लाई” का अर्थ है झटके से निकर उतार दी)  

56.

ऊंट की बैठक, हिरण की चाल। एक जानवर, दुम न बाल।

–मेढ़क

57.

घर हैं कि डिब्बे, लोहे के पांव। जल्दी बताओ उस बस्ती का नाम।

–रेल

58.

पक्षी देखा एक अलबेला, पंख बिना उड़ रहा अकेला,

बांध गले में लम्बी डोर, नाप रहा अम्बर का छोर।

–पतंग

59.

सिर पर ताज, गले में थैला । मेरा नाम बड़ा अलबेला ।

–मुर्गा

60.

देखने में मैं गांठ गंठीला, पर खाने में बड़ा रसीला।

गर्मी दूर भगाता हूं, ‘पीलिया’ में काम आता हूं।

–गन्ना

61.

चढ़े नाक पर, पकड़े कान। बोलो बच्चों-कौन शैतान?

–चश्मा

62.

तीन मुंह की तितली, तेल में नहा के निकली।

–समोसा

63.

वैसे मैं काला, जलाओ तो लाल, फेंको तो सफेद, खोलो मेरा भेद।

–कोयला

64.

एक गुफा दो रखवाले। दोनों मोटे-दोनों काले।

–मुछे

65.

बिल बोल्ले, बोझड़ा हाल्ले।

–मुँह और दाढ़ी (यह हरयाणवी भाषा में है – अर्थात बिल बोलता है तो बोझ हिलता है)

66.

घेरदार है लहंगा उसका, एक टांग से रहे खड़ी।

सबको उसी की इच्छा होती, हो बरखा या धूप कड़ी।

–छतरी

67.

छीलो तो छिलका नहीं, काटो तो गुठली नहीं।

खाओ तो गूदा नहीं।

–बर्फ

68.

हरी थी मन भरी थी, लाख मोती जड़ी थी।

लाला जी के बाग में दुशाला ओढ़े खड़ी थी।

–भुटा

69.

हम मां बेटी, तुम मां बेटी एक बाग में जाएं।

तीन नींबू तोड़ कर साबुत-साबुत खाएं।

–नानी, माँ और बेटी

Hindi Paheli For Kids

Hindi Paheli – मनोरंजक Hindi Paheli

70.

कांटेदार खाल के भीतर एक रसगुल्ला।

सभी प्रेम से खाते उसको, क्या पंडित क्या मुल्ला।

–लीची

71.

दो इंच का मनीराम, दो गज की पूंछ।

जहां चले मनीराम वहां चले पूंछ।

–सुई धागा

72.

एक महल में चालीस चोर। मुंह काला, पूंछ सफेद।

–माचिस

73.

बत्तीस ईंटों के दुर्ग के भीतर, छिपी एक महारानी।।

हंसकर बोले, दिलों को जीते, ऐंठे तो याद आए नानी।

–जीभ

74.

तीतर के दो आगे तीतर, तीतर के दो पीछे तीतर।

आगे तीतर पीछे तीतर, बोलो कितने तीतर ?

–तीन

75.

हमने देखा ऐसा बंदर, उछले जो पानी के अंदर।

–मेढंक

76.

पंख नहीं उड़ती हूं पर। हाथ नहीं लड़ती हूं पर।

–पतंग

77.

काली हूं मैं काली हूं, काले वन में रहती हूं,

खाती नहीं हूं दाना भी, बस लाल पानी पीती हूं।

–जू

78.

न काशी न काबा धाम, जिसके बिना हो चक्का जाम।

पानी जैसी चीज है वो, झट बतलाओ उसका नाम।

–पेट्रोल

79.

पीली हरी हवेली एक, उसमें बैठे कालू राम।

पेट साफ करता हूं मैं, बोलो बहू मेरा नाम।

–पपीता

80.

एक चीज है ऐसी भैया, मुंह खोले बिन खाई जाए,

बिन काटे और बिना चबाए, खानी पड़े रुलाई आए।

–पिटाई

81.

करती नहीं सफर दो गज, फिर भी दिन भर चलती है।

रसवंती है, नाजुक भी मगर गुफा में रहती है।

–जबान

82.

आठ कलाएं उसकी होतीं, शीतल-चंचल, वर्ण धवल,

रातों का राजा है वो, चाहे सरद हो चाहे गरम।

–चन्द्रमा

83.

पानी से वो बन जाती, दुनिया को है चमकाती,

जमकर है सेवा करती, क्रोधित हो जीवन हरती,

सभी घरों में रहती है पर आती जाती रहती है।

–बिजली

84.

मेरी पूंछ पर हरियाली, तन है मगर सफेद।

खाने के हूं काम आती, अब बोलो मेरा भेद।

–मूली

85.

दिन को सोए, रात को रोए, औरों के लिए, जीवन खोए ।

–मोमबत्ती

86.

जन्म तो हुआ जंगल में, नाचे पर गहरे जल में।

–नौका

87.

नींद में मिलू जागने पर नहीं, दूध में मिलें पानी में नहीं,

दादी में हूं-नानी में नहीं, कूदने में मिलू, भागने पर नहीं।

— “द”

88.

चार खंभे चलते जाएं, सबसे आगे अजगर।

पीछे सबके सांप चल रहा, फिर भी तनिक नहीं है डर।

–हाथी

89.

कटोरे में कटोरा, बेटा-बाप से भी गोरा।

–नारियल

90.

मैं हूं एक अनोखी चीज, मुझको नहीं किसी से खीज।।

पर जो कोई मुझे छुए, चारों खाने चित्त गिरे।

—-बिजली

91.

पीला पीला रंग मेरा, गोल मटोल शरीर।

बड़े-बड़े वीरों के दांत करूं खट्टे महावीर।

–निम्बू

92.

मैं हूं हरी, मेरे बच्चे काले। मुझे छोड़, बच्चों को खा ले।

–इलायची

93.

हरा किला है, लाल महल, श्वेत-श्याम सब वासी हैं।

भीतर जल-थल में रहते, बाहर से मजबूती है।

–तरबूज

94.

दुबली पतली देह पर पहने काले कपड़े।

धूप से करे दो हाथ और पानी से झगड़े।

–छतरी

95.

बीमार नहीं रहती फिर भी मैं मुंह में रखें गोली।

अच्छे-अच्छे डर जाते हैं, सुनकर मेरी बोली।

–बन्दुक

96.

दो पैरों का मैं हूं घोड़ा, चलता हूं पर थोड़ा-थोड़ा।

जो भी मेरे बीच में आया, झट से काटा, फट से तोड़ा।

–सरौता

97.

आंखें मूंद के खाते हैं, और खाकर पछताते हैं।

जो कोई पूछे क्या था वो, तो कहते शरमाते हैं।

–धोखा

98.

लोहे की दो तलवारें, खूब लड़े पर साथ रहें।

–कैंची

99.

हाथी, घोड़ा, ऊंट नहीं, खाए न चारा घास।

सदा हवा पर ही रहे, पर कर दे मंजिल पास।

दुबली-पतली, ढांचे सी, फिर भी लौह शरीर।

जल्दी बताओ कौन है वो, जो बुद्धि हो पास।

–साइकिल

100.

छोटी मगर बड़ा बलवान नेताजी से भी है महान।

पास हो खूब, या. पास न हो दोनों बातों में नहीं आराम।

–पैसा/रूपया   

101.

आज यहां कल वहां रहे, नहीं किसी के पास रुके।

और रुक जाए किसी के घर, तो फिर घुमा देता है सर।

–पैसा

102.

झुकी कमरे का बूढ़ा जहां ठहर जाए।

वहीं पर भाषा रुके, सवाल उभर जाए।

–प्रशनवाचक चिह्न

103.

हरी-हरी कोठी भारी, उजली-उजली धरती।

लाल-लाल बिस्तर पर, काली मछली सोती।

–तरबूज

104.

मांस नहीं, हड्डी नहीं, सिर्फ उंगलियां मेरी।

नाम बता भई कौन हूं मैं, जानें अक्ल मैं तेरी।

–दस्ताने

Latest Hindi Paheli With Answer For Kids

105.

मोटी घनी पूंछ, पीठ पर काली-काली रेखा हैं।

दोनों हाथों में उसको मैंने फल खाते देखा है।

–गिलहरी

106.

एक थाल मोतियों से भरा, सबके सिर पर उलटा धरा।

चारों ओर वो थाल फिरे, मोती फिर भी एक न गिरे।

–तारे

107.

मैं लम्बा-पतला विद्वान, पहनें लकड़ी का परिधान।

बच्चों को लिखना सिखलाऊं, बोलो तो मैं क्या कहलाऊं।

–पेन्सिल

108.

पल भर में दूरी मिट जाए, छूते ही पहिए को।

रहता घर में दफ्तर में भी, सब कह लो, सब सुन लो।

–टेलीफ़ोन

109.

चाय गरम है, गरम है पानी, दूध गरम, घंटे बीते।

चाहे संकट हो, रात हो चाहे, बड़े मजे से सब पीते।

–थर्मस

Majdar 160 Hindi Paheli

160 Hindi Paheli – हास्य मज़ेदार Hindi Paheli

110.

चार पांव पर चल न पाऊं, बिना हिलाए न हिल पाऊं।

फिर भी सब को दें आराम, बोलो क्या है मेरा नाम?

–चारपाई

111.

बड़ों-बड़ों को राह दिखाऊं, कान पकड़कर उन्हें पढ़ाऊं।

साथ में उनकी नाक दबाऊं, फिर भी मैं अच्छा कहलाऊं।

–चश्मा

112.

सबसे महंगा पशु हूं बतलाओ मेरा नाम।

–रेस का घोड़ा

113.

गोल-गोल हूं, गेंद नहीं, लाल-लाल हूं, फूल नहीं।

आता हूं खाने के काम, मटर है या फिर टमटम नाम।

–टमाटर

114.

जीभ नहीं है फिर भी बोले, पैर नहीं पर जंग में डोले।

राजा-रंक सभी को भाता, जब आता है खुशियां लाता।

–रुपया

115.

केरल से आया टिंगू काला, चार कान और टोपी वाला।

–लोंग

116.

छोटा सा धागा, बात ले भागा।

–टेलीफ़ोन

117.

बेशक न हो हाथ में हाथ, जीता है वो आपके साथ।

–साया

118.

सूट हरा है, टाई लाल। बोलू-सबको करूं निहाल।

–तोता

119.

एक परी है पतली दुबली, काला मुकुट पहनती।

मुकुट गंवाकर करे उजाला, खुद अंधकार में रहती।

–माचिस की तीली

120.

आसमान में उड़े पेड़ पर घोंसला न बनाए।

तूफान से डरे रहने को, धरती पर आ जाए।

–हवाई जहाज

121.

सात रंग की एक चटाई, बारिश में देती दिखलाई।

–इंदरधनुस

122.

एक लाठी की अजब कहानी, उसके भीतर मीठा पानी।

उस लाठी में गांठे-दस, जो चाहे वो, पीले रस।

–गन्ना

123.

जादू के डंडे को देखो, न तेल न पानी।।

पलक झपकते तुरंत रोशनी सभी ओर फैलानी।

–ट्यूबलाइट

124.

एक पैर है, काली धोती, सर्दी में हरदम है सोती।

सावन में रोती रहती है, गर्मी में छाया है होती।

–छतरी

125.

आता है तो फूल खिलाता, पक्षी गाते गाना।

सभी को जीवन देता है, पर उसके पास न जाना।

–सूरज

126.

हरं. घर से मैं नजर हूं आता, सब बच्चों को खूब हूं भाता।

दूर का हूं लगता मामा, रूप बदलता पर मन भाता।।

–चन्द्रमा

127.

चार खड़े, दो अड़े, दो पड़े, एक-एक के मुंह में दो-दो पड़े।

–खाट

128.

एक जानवर ऐसा, जिसकी दुम पर पैसा।

–मोर

129.

वो सबके आगे-आगे सब उसके पीछे भागे।

गोल-गोल, प्यारा-प्यारा, रुके नहीं सरपट भागे।

–रुपया

130.

वहां भी हूं, यहां भी मैं, इधर भी हूं, उधर भी हूं।

नजर मैं आ नहीं सकती किसी को भी जिधर भी हूं।

कर कोशिश अगर जबरन तो आंखें बन्द हो जाएं।

अगर मैं मिल न पाऊं तो सभी बेमौत मर जाएं।

–हवा

131.

कभी रहूं तेरे पीछे, कभी चलू तेरे आगे।

मुझको कभी न पकड़ सके, तू चाहे जितना भागे।

फिर भी हर पल साथ तेरे, फिर भले हाथ में हाथ न हो,

अंधियारे से डरती हूं, बस उजियाले में मन लागे।

–परछाई

132.

वाणी में गुण बहुत हैं, पर मुझसे अच्छा कौन?

सारे झगड़ों को टालू-बतलाओ मैं कौन ?

–मौन

133.

गोल-गोल मैं घूम रही, गोल-गोल काटू चक्कर।

सब कहते मुझको माता, फिर भी रखें कदमों पर।

–धरती

134.

कॉलगेट सी, मौत हूं मैं, नशेबाज की सौत हूं मैं।

जो फंस गया मेरे जादू में, आ गया मौत के काबू में।

–स्मैक

135.

कोई कहे मुझको आंसू, कोई कहे मुझको मोती।

सरिसर्प मुझे चाट लेटे, मैं जब भी पत्तों पर होती।

–ओस

136.

गागर में जैसे सागर, वैसे मैं मटके के अंदर। ।

जटा जूट और बेढंगा, ऊपर काला अंदर गोरा।

पानी हूं मीठा ठंडा, रहता हूं लम्बे पेड़ों पर।

–नारियल

137.

शर्ट, कोट, कुर्ता, कमीज सब मुझसे शोभा पाते।

ना हूं मैं तो तन पर कपड़े धारण न कर पाते।

–बटन

138.

चार पैर रखती हूं, लेकिन कहीं न जाती हूं।

ऑफिस हो या हो संसद, हर जगह फसादकराती हूं।

–कुर्सी

139.

दुनिया के कोने-कोने का घर बैठे कर लो दर्शन।

दूर-पास की सैर कराता, बिना यान, मोटर या रेल।।

मुझको कहते ‘बुहू बक्सा’ ऐसा भी है मेरा खेल।

मनोरंजन, शिक्षा, पिक्चर, गाना, खेल भरे मेरे अंदर।

–दूरदर्शन

Pehali in Hindi

Pehali Hindi – हास्यप्रद Hindi Paheli With Answer

140.

घर की रखवाली करता हूं बिना लिए लाठी-तलवार।

जब तुम जाते चले कहीं, मैं झट बन जाता–पहरेदार।

–ताला

141.

लकड़ी का एक किला है भैया, चार कुएं हैं-बिन पानी।

उसमें बैठे चोर अट्ठारह, संग लिए-एक रानी।

एक दरोगा-भारी भरकम, सब चोरों को मारे।

रानी को भी कुएं में डाल, खूब करे मनमानी।

–केरम

142.

घर हैं चौंसठ, बत्तीस हम, सोलह सफेद, काले सोलह।

आठ-आठ अफसर दोनों, आठ-आठ सेवक हैं साथ।

श्याम-श्वेत से वर्गों में खूब लड़े और दे दें मात ।

–सतरंज के मोहरे

143.

कठोर हूं पर पहाड़ नहीं, जल है मगर समुद्र नहीं।

जटाएं हैं पर योगी नहीं, मीठा है मगर गुड़ नहीं।

–नारियल

144.

रक्त से सना हूं, दो अक्षर का नाम है।

बहादुर के पहले, जवाहर के बाद, यह मेरी पहचान है।

–लाल

145.

इचक दाना बीचक दाना, दाने ऊपर दाना।

छज्जे ऊपर मोर नाचे, लड़का है दीवाना।।

–अनार

146.

अश्व की सवारी, भाला ले भारी।

घास की रोटी खाई, जारी रखी लड़ाई।

–राणाप्रताप

147.

देकर एक झटका, फांसी पर लटका।

इन्कलाब का शोला, जिंदाबाद बोला।

–भगत सिंह

148.

खादी को पहना, और अहिंसा को पूजा।

फिर भी लाठी हाथ में रखी, पिता बना दूजा।

–महात्मा गांधी

149.

गर्मी में लगती है अच्छी, सर्दी में नहीं भाती।

दो अक्षर की हाथ न आती, तन से हूं टकराती।

–हवा

150.

उड़ता है पर पक्षी नहीं, ताकतवर हैं उसके अंग।

सर्दी हो या गर्मी यह रहता है सदा मस्त मलंग।

–हवाई जहाज

151.

एक अनोखी लकड़ी देखी, जिसमें छिपी मिठाई ।

बच्चों जल्दी नाम बताकर जी भर करो चुसाई।

–गन्ना

152.

मुंह पर रखे अपना हाथ, बोला करती है दिन रात।

जब हो जाती बन्द जबान, लोग ऐंठते उसके कान।

–घड़ी

153.

कान ऐंठने पर मैं चलता, सब के घर में रहता।

सर्दी, गर्मी हो या वर्षा, हर दिन ठंडक सहता।

–नलका

154.

एक अनोखा पक्षी देखा, तालाब किनारे रहता।

चोंच सुनहरी जगमग करती, दुम से पानी पीता।

–दिये की बाती

155.

जिसने घर में खुशी मनाई, मुझे बांध कर करी पिटाई।

मैं जितनी चीखी-चिल्लाई उतनी ही कस कर मार लगाई।

–ढोलक

156.

बोटी-बोटी करूं सरे आम, गली-कूचों में मैं बदनाम।

दो अक्षर का नाम मेरा, रोज पड़े दुनिया को काम।

–चाकू

157.

पानी पीकर हवा उगलता, गरमी में आता हूं काम।

सर्दी में मेरा नाम न लेना, अब बतला दो मेरा नाम ।

–कूलर

158.

तीन पैर की चम्पा रानी रोज नहाने जाती।

दाल भात का स्वाद न जाने, कच्चा आटा खाती।।

–चकला

159.

पानी से निकाला दरख्त एक, पात नहीं पर डाल अनेक।

उस दरख्ते की ठंडी छाया, नीचे कोई बैठ न पाया।

–फवारा

160.

दिखने में मैं सींकिया पहलवान, लेकिन गुणों में हूँ बलवान

शीतल, मधुर और तरल रसीला, गांठ दार परिधान

–गन्ना

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Written by lokhindi
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