Hindi Moral Stories – बुद्धिमान चूहा – Stories For Kids

Hindi Moral Stories – बुद्धिमान चूहा

Hindi Moral Stories / Stories For Kids

बिल्ली और चूहा इन दोनों जातियों की सदियों की दुश्मनी है | दोनों का नाम आते ही वह दृश्य हमारे सामने घूम जाता है | जब चूहे के पीछे बिल्ली लगी होती है, और चूहा जान बचाने के लिए बिल में घुस जाता है |

इस प्रकार बिल्ली रानी भूखी ही रह जाती है |

किंतु…|

पूसी नामक बिल्ली बहुत चतुर थी | वह कदाचित ऐसा नहीं करती थी | वह तो चुपके से चूहे के बिल के पास छुपकर बैठ जाती और जब भी कोई चूहा बाहर आता | उसे आराम से पकड़कर खा जाती |

इस तरह से उसे चूहों के पीछे अधिक भागा-दौड़ी नहीं करनी पड़ती थी, और उसकी पेट पूजा हो जाती |

लेकिन पूसी कि इस युक्ति ने चूहों को अत्यधिक चिंतित व भयभीत कर दिया |

जब वे इस विपदा से बहुत ज्यादा परेशान आ गये | तो एक दिन उन्होंने “ माउस हाउस ” में चूहों की बैठक बुलायी |

बैठक का मुख्य विषय था, पूसी रूपी मौत से कैसे छुटकारा मिले | काफी सोच विचार करने पर एक नौजवान चूहे को एक नई तरकीब सूझी |

वह बोला – “ क्यों न पूसी बिल्ली के गले में घंटी बांध दी जाये |”

उसकी बात सुनते ही सभा में मौजूद बूढ़े चूहों की हंसी छुटते-छुटते रह गयी |

कुछ आपस में फुसफुसाये – “ यह अभी से सठिया गया है, क्या ? यह काम तो हमारे पूर्वजों के पूर्वजों से नहीं हुआ |  भला यह क्या करेगा |”

यह बात उस चूहे के कानों में भी पड़ गयी |

वह सब को समझाते हुये बोला – “ मेरे बुजुर्गों और दोस्तों ! हम यह काम कर सकते हैं, शर्त बस इतनी है कि हमें विवेक और एकता से काम लेना होगा |”

“ ओए नेता! एक तरफ बैठ जा | कुछ काम की बात भी कर लिया कर ” किसी ने खिल्ली उड़ाते हुए कहा |

पर वह नौजवान चूहा चुप नहीं हुआ | वह बोलता ही रहा – “ भाइयों मैंने जो तरकीब सोची है, वह अवश्य ही कारगर होगी |”

“ कैसे ” एक बुजुर्ग चूहे ने पूछा |

“ ध्यान से सुनो बाबा ” कहकर वह नौजवान चूहा सभी को अपनी युक्ति समझाने लगा |

सभी चूहे खामोशी से उसकी तरकीब सुनते रहे |

और अंत में,

एक बूढा चूहा खड़ा होकर बोला – “ वाह मेरे मॉडर्न लाल ! क्या तरकीब है तेरी, जो काम बड़े ना कर सके | वही काम आज हमारे छोटे कर दिखाएंगे |”

“ अवश्य बाबा! ” उसी नौजवान चूहे ने जोश भरे स्वर में कहा |

और फिर योजना बनी, बिल्ली के गले में घंटी बांधने की |

सभी इस योजना पर अमल करने के लिए बिल से बाहर आ गये |

उस समय बिल्ली रानी आराम कर रही थी |

एकाएक सभी चूहों को अपनी और बढ़ते हुये देख वह शकपका गयी | उसने सोचा “ कहीं ये मिटिंग करके मुझे मारने तो नहीं आये हैं |”

लेकिन उस समय उसकी सोच रेत की दीवार की भांति ढेर हो गयी | जब सभी चूहे उसके पास आकर बोले – “ पूसी रानी की जय ! पूसी रानी की जय, पूसी हमारी रानी है, उसकी अजब कहानी है, कभी न हाथ उठाएगी, कभी न हमको खाएगी |”

उसी नौजवान चूहे ने कहा – “ पूसी रानी ! दुश्मनी छोड़ो | हम सबको गले लगाओ, हम सब तुम्हारे दोस्त हैं | तुम्हारा जन्मदिन मनाने आये हैं |”

पूसी आगे आयी | सभी ने जोरदार तालियों से उसका स्वागत किया | पहले पूसी उन्हें मारना चाहती थी | लेकिन उनकी संख्या अधिक थी, साथ ही वे एकत्र थे | उनमें एकता की ताकत थी | एक-एक दांत भी यदि पूसी के शरीर में गढ़ता, तो वह उन सभी के हाथों मारी जाती |

अत: उसने सोचा कि – “ जब वे अलग-अलग हो जाएंगे तब वह उन्हें मारकर खा जायेगी | फिलहाल जो यह करना चाहते हैं, इन्हें करने दिया जाये |”

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तब पूसी बोली – “ तुमने मुझे रानी बनाया है, मैं बहुत खुश हूं, अब तुम क्या चाहते हो |”

वही नौजवान चूहा आगे बढ़कर बोला – “ पूसी रानी ! आज आपका जन्मदिन है, आज हम अपनी रानी को जन्मदिन का तोहफा देना चाहते हैं |”

उस नौजवान की बात सुनकर सभी चूहों ने तालिया बजायी |

किंतु पूसी की समझ में नहीं आया कि वे लोग उसे क्या तोहफा देना चाहते हैं | वह बोली – “ क्या तोहफा लाये हो |”

वहीं जवान बोला – “ पूसी रानी ! हम तुम्हें सरप्राइस देना चाहते हैं, जरा आंखें बंद करो |”

उसकी बात सुनकर पूसी के कान खड़े हो गये | परंतु उस समय वह उन्हें नाराज नहीं करना चाहती थी |

लेकिन इसके साथ ही उसे अपनी सुरक्षा का भी सवाल था, अतः उसने एक युक्ति भीड़ाई |

उसने आंखें मूंद ली | किंतु वह पलकों के झरोखों से चूहों की हरकतों को देखती रही |

चूहों ने सरप्राइस के रूप में बिल्ली के गले में घंटी बांधी |

इसके बाद वही चूहा बोला – “ पूसी रानी ! आंखें खोलो, देखो हमारा सरप्राइस |”

बिल्ली ने जल्दी से आंखें खोल दी | घंटी देखते ही वह पूर्ण रूप से संतुष्ट हो गयी, कि उन चूहों ने उसका कोई अनिष्ट नहीं किया |

और फिर,

चूहों ने मिलकर खूब धूम-धाम से बिल्ली रानी का जन्मदिन मनाया | बिल्ली रानी भी घंटी को बार-बार बजा-बजाकर खुशी जाहिर कर रही थी | लेकिन उसके मन में अभी भी वही कपट भरा हुआ था, चूहों को देख-देखकर उसके मुंह में बार-बार पानी आ जाता था |

किंतु उस समय वह खामोश ही रही,

किंतु बाद में सभी चूहों ने पूसी रानी से विदाई ली |

और अगले दिन…,

पूसी बिल्ली वापस अपनी पुरानी दुश्मनी पर आ गयी | वह फिर से चूहों के बिल के पास जाकर छुप गयी |

लेकिन एक गलती उससे भी हो गयी | जिसका उसे खुद भी नहीं पता चला |

जैसे ही वह चूहों के बिल के पास पहुंची | उसके गले में पड़ी घंटी बज उठी |

और यही बात चूहों के लिए लाभकारी सिद्ध हुयी | सभी चूहे घंटी की आवाज सुनकर सचेत हो गये और बिल में ही  छुपे रहे |

इधर काफी देर तक इंतजार करने पर भी पूसी को कोई चूहा बाहर आता नजर ना आया |

और उस समय तो हद ही हो गई, जब शाम तक कोई चूहा बिल से बाहर ना निकला |

पूसी के पेट में भूख आग की गोलियों की तरह घूमती रही | लेकिन कोई चूहा बाहर नहीं निकला |

अंततः थक हारकर पूसी बेचारी वापस लौट गयी | उस दिन उसे चोरों के दूध पर गुजारी करनी पड़ी |

अगले दिन वह वापस बिल पर पहुंची |

लेकिन उस दिन भी उसके साथ वही हुआ |

जब कई दिन तक बेचारी बिल के पास छुप-छुपकर चूहों की राह देखती थक गयी और वे बाहर नहीं आये | तो उस बिल व उस स्थान को त्याग दिया |

और चूहे मजे से गुजर-बसर करने लगे |

शिक्षा – “ बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे | यह बहुत पुराना मुहावरा है | मगर चूहों की एकता और सूझबूझ के कारण पूसी के गले में न सिर्फ घंटी ही बांधी जा सकी, बल्कि उसके हमलों से चूहों ने अपनी जान भी बचायी | सच ही है – एकता और हिम्मत से असंभव कार्य भी संभव कर दिखाया जा सकता है |”

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Written by lokhindi
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