Category: CHANAKYA NITI

Chanakya Niti in Hindi – विश्व के महान नीतिकारों में महापंडित चाणक्य को एक विशेष स्थान प्राप्त है। आज केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में चाणक्य नीति की चर्चा हो रही है। इसका कारण केवल यही है कि एक साधारण व्यक्ति ने अपनी बुद्धि की शक्ति से ही नंद जैसे दुष्ट राजा का विनाश करके चंद्रगुप्त जैसे वीर को सम्राट बनाकर मौर्य वंश की नींव रखी। यही था इस चाणक्य नीति का कमाल।

Mahapandit Chanakya has a special place in the world’s great strategists. Today Chanakya Niti is being discussed not only in India but in the whole world. The reason for this is only that an ordinary person, by the power of his intellect, destroyed the evil King like Nand and made Chandragupta like the emperor, the founder of the Maurya dynasty. That was the maximum of this Chanakya Niti. Read Full Chanakya Niti With Chapters in Hindi on Lokhindi.com

चाणक्य नीति: आठवां अध्याय [ हिंदी में ] Chanakya Neeti Hindi

चाणक्य नीति: आठवां अध्याय ‘पंडित’ विष्णुगुप्त चाणक्य की विश्व प्रसिद नीति का आठवां भाग हिंदी में। चाणक्य नीति: आठवां अध्याय ( Chanakya Neeti The Eighth Chapter in Hindi  ) अधमा धनमिच्छन्ति धनमानौ च मध्यमाः। उत्तमा मानमिच्छन्ति मानो हि महतां धनम् ।। अधम पुरुष धन की कामना करते हैं। मध्यम वर्ग के लोग धन और सम्मान दोनों की ही कामना करते हैं। उत्तम श्रेणी के लोगों को केवल सम्मान की ही भूख रहती है। इक्षुरापः पयो मूलं ताम्बूलं फलमौषधम् । भक्षयित्वा अपि कर्तव्याः स्नानदानादिकाः क्रियाः ।। गन्ना, जल, दूध, कन्द, पान, फल और दवाई का सेवन करने पर भी धार्मिक कार्य ... Read more

चाणक्य नीति: सातवां अध्याय [ हिंदी में ] Chanakya Neeti Hindi

चाणक्य नीति: सातवां अध्याय ‘पंडित’ विष्णुगुप्त चाणक्य की विश्व प्रसिद नीति का सातवां भाग हिंदी में। चाणक्य नीति: सातवां अध्याय ( Chanakya Neeti The Seventh Chapter in Hindi  ) अर्थनाशं मनस्तापं गृहे दुश्चरितानि च। वञ्चनं चऽपमानं च मतिमान्न प्रकाशयेत् ।। एक बुद्धिमान के लिए यह जरूरी है कि वह धन का नाश, मन, संताप, घर के दोष-किसी को भी न बताए। किसी के द्वारा ठगे जाना और बेइज्जत होना। इन बातों को भूलकर भी प्रकाशित न करे। किसी के भी सामने इन्हें न कहैं। धन-धान्य प्रयोगेषु विद्यासंग्रहेषु च।। आंहारे व्यवहारे च त्यक्तलज्जः सुखी भवेतू ।। अन्न के विक्रय में, विद्या ... Read more

चाणक्य नीति: छठा अध्याय [ हिंदी में ] Chanakya Neeti Hindi

चाणक्य नीति: छठा अध्याय ‘पंडित’ विष्णुगुप्त चाणक्य की विश्व प्रसिद नीति का छठा भाग हिंदी में। चाणक्य नीति: छठा अध्याय ( Chanakya Neeti The Sixth Chapter in Hindi  ) श्रुत्वा धर्मं विजानाति श्रुत्वा त्यजति दुर्मतिम् । श्रुत्वा ज्ञानमवाप्नोति श्रुत्वा मोक्षमवाप्नुयात् ।। शास्त्रों, वेदों के ज्ञान से ही मानव धर्म को जान सकता है और इस ज्ञान से ही पाप बुद्धि को वह छोड़ देता है। इसी ज्ञान की शक्ति से वह श्रेष्ठ माना जाता है और ज्ञान की यही शक्ति उसका कल्याण करती है। इसी शक्ति से वह मोक्ष प्राप्त करता है। पक्षिणां काकश्चाण्डालः पशूनां चैव कुक्कुरः। मुनीनां कोपीः चाण्डालः ... Read more

चाणक्य नीति: पांचवां अध्याय [ हिंदी में ] Chanakya Neeti Hindi

चाणक्य नीति: पांचवां अध्याय ‘पंडित’ विष्णुगुप्त चाणक्य की विश्व प्रसिद नीति का पांचवां भाग हिंदी में। चाणक्य नीति: पांचवां अध्याय ( Chanakya Neeti Fifth Chapter in Hindi  ) पतिरेव गुरुः स्त्रीणां सर्वस्याभ्यागतो गुरुः। गुरग्निः द्विजातिनां वर्णानां ब्राह्मणो गुरुः ।। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य के लिए अग्निहोत्र गुरु के समान पूज्य है। चारों वर्गों के लिए ब्राह्मण पूज्य है। स्त्रियों के लिए उनका पति ही परमेश्वर और गुरु के समान पूज्य है तथा अतिथि सबके लिए ही पूज्य और सम्मान योग्य है। यथा चतुर्भिः कनकं परीक्ष्यते निघर्षणच्छेदनतापताडनैः। तथा चतुर्भिः पुरुषः परीक्ष्यते त्यागेन शीलेन गुणेन कर्मणा।।। जैसे शुद्ध सोने की परख के लिए ... Read more

चाणक्य नीति: चौथा अध्याय [ हिंदी में ] Chanakya Neeti Hindi

चाणक्य नीति: चौथा अध्याय ‘पंडित’ विष्णुगुप्त चाणक्य की विश्व प्रसिद नीति का चौथा भाग हिंदी में। चाणक्य नीति: चौथा अध्याय ( Chanakya Neeti Fourth Chapter in Hindi  ) आयुः कर्म च वित्तं च विद्या निधनमेव च। पञ्चैतानि हि सृज्यन्ते गर्भस्थस्यैव देहिनः ।।। जब जीव गर्भ में होता है, उसी समय उसकी आयु, कर्म, धन, विद्या और मृत्यु आदि पांच बातें निश्चित हो जाती हैं। साधुभ्यस्ते निवर्तन्ते पुत्रा मित्राणि बान्धवाः ।। ये च तैः सह गन्तारस्तद्धर्मात्सुकृतं कुलम् ।। पुत्र-मित्र और बन्धुगण साधुओं से दूर रहते हैं। परन्तु जो लोग साधुओं के अनुकूल चलते हैं, उनके इस पुण्य से उनका सारा वंश ... Read more