Business tips in Hindi

14 Best Business tips in Hindi for Success

Business Tips in Hindi

व्यवसाय के सन्दर्भ में सफलता हेतु कुछ आवश्यक तत्त्व Best 14 Business tips in Hindi for Success and new Ideas for success in business field. विशेषतया व्यवसाय के सन्दर्भ में! 


आज के इस वर्तमान प्रतिस्पर्धात्मक समय में किसी व्यवसाय की सफलता (Business success) न केवल बहुत-से साधनों की उपलब्धता पर निर्भर करती है, बल्कि बहुत कुछ मानवीय गुणों, चारित्रिक विशेषता, स्वभाव एवं कुई मनोवैज्ञानिक कारणों पर भी निर्भर करती है। – इसी पर आधारित कुछ आवश्यक तत्त्व Business tips in Hindi and Business Ideas जो व्यवसाय के सन्दर्भ में सफलता हेतु आवश्यक है। Here are the Best 14 Business tips in hindi that make you successful in your field…

Business Ideas And Tips

Business Ideas And Tips in Hindi

व्यवसाय (Business) की पूर्ण जानकारी: Tips

देखा गया है कि कई व्यक्ति लोगों की देखा-देखी, कोई भी व्यवसाय शुरू कर देते हैं, लेकिन वह उस व्यवसाय की आर्थिक उपादेयता (Economic Viability) का सही आकलन नहीं करता है। जो सामान वह बनाने जा रहा है। या जो व्यवसाय वह शुरू कर रहा है, उसकी बिक्री की क्या व्यवस्था, कुशल-अकुशल श्रमिकों की उपलब्धता तथा जिस जगह आप व्यवसाय को शुरू कर रहे हैं, उस व्यवसाय में अन्य कितने लोग संलग्न हैं, इस तरह की विस्तृत जानकारी बिना एकत्र करे यदि कोई व्यक्ति व्यवसाय शुरू करता है, तो उस व्यवसाय की सफलता के बारे में कुछ भी कहना सम्भव नहीं है।

यदि किसी क्षेत्र में एक विशेष प्रकार की यूनिट सफल हो गई तो देखा जाता है कि उस क्षेत्र में वैसी ही बहुत सारी यूनिट्स साल-दो साल में लग जाती हैं, जिनमें से एक-दो के अतिरिक्त सभी असफल होकर कुछ वर्षों में बन्द हो जाती हैं। कई बार इस तरह की छोटी-छोटी यूनिट्स के बन्द होने के कारण, एक बड़ी यूनिट का लगना भी होता है, लेकिन आपको इन सब बिन्दुओं पर, यूनिट लगाने से पूर्व विस्तृत रूप से ध्यान देना होगा।

किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए, उस क्षेत्र की जितनी अधिक जानकारी आप जुटा सकेंगे, वह आपके हर निर्णय को सही एवं सटीक बनाने में मददगार होगी।

“A little knowledge is sure to make your failure.”

व्यवसाय में संलग्न विभिन्न क्षेत्रों में आपस में समन्वय स्थापित करना:

सभी व्यक्ति समान नहीं होते हैं। एक व्यक्ति में कुछ गुण होते हैं तो दूसरे व्यक्ति में अन्य प्रकार के गुण होते हैं। कोई व्यक्ति मार्केटिंग में अच्छी दक्षता रखता है तो दूसरा व्यक्ति प्रशासनिक कार्यों में अच्छी पैठ रखता है, अन्य व्यक्ति संवाद में श्रेष्ठ हैं तथा एक व्यक्ति अकाउण्ट्स में श्रेष्ठता रखता है।

जब हम कोई व्यवसाय/प्रोजेक्ट शुरू करते हैं तो हमें हर क्षेत्र के व्यक्तियों की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे कुशल व्यक्तियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ-साथ यह बहुत आवश्यक है कि आप उनमें आपस में अच्छा तालमेल बैठा सकें। आपका हर व्यक्ति से मधुर सम्बन्ध हो।

आपका दायित्व है कि हर व्यक्ति को अच्छा कार्य करने हेतु प्रेरित करना एवं उनसे अधिकतम कार्य कुशलतापूर्वक पूर्ण करवाना।

सफलता के लिए, कार्यों का सही आकलन एवं विभिन्न विभाग के व्यक्तियों में आपस में तालमेल एवं समन्वय स्थापित रखना, बहुत आवश्यक है। ऐसा करने से आप जिस किसी व्यवसाय में भी कदम रख रहे हैं, उसमें आर्थिक उपादेयता (Economic Viability) बढ़ती है एवं व्यवसाय सुचारु रूप से चलता है।

किसी भी व्यवसाय की सफलता के लिए, उस व्यवसाय में संलग्न व्यक्तियों में मधुर सम्बन्ध, आपस में समन्वय, उनमें अच्छे कार्य करने की प्रेरणा प्रदान करता है एवं साथ ही कार्य के प्रति, उस व्यवसाय के प्रति लगाव, समर्पण बढ़ता है। किसी भी व्यवसाय की सफलता वस्तुतः उस व्यवसाय में संलग्न विभिन्न व्यक्तियों के समग्र प्रयासों का सुपरिणाम है।

“सफल व्यक्ति अपनी उपलब्धियों की तुलना, अपने लक्ष्य से करता है, जबकि एक असफल व्यक्ति अपनी उपलब्धियों की तुलना, दूसरों की उपलब्धियों से करता है।”

सहकर्मियों के अच्छे कार्यों की प्रशंसा:

हर व्यक्ति को अपनी प्रशंसा अच्छी लगती है। कोई आपके स्वभाव की, आपके व्यवहार की, आपके कार्यों की प्रशंसा करता है तो आपको कितना अच्छा लगता है? प्रशंसा से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है, वह सम्मानित महसूस करता है, वह आपके प्रति अधिक वफादार होता है एवं वह कार्य के प्रति अधिक समर्पित होता है। उसके मन में आपके प्रति अधिक सम्मान का भाव जाग्रत होता है। अधिकांश लोग, स्वयं की तारीफ सुनना तो पसंद करते हैं, लेकिन स्वयं दूसरों की तारीफ करने में बड़े कंजूस होते हैं।

किसी भी व्यवसाय में संलग्न सहकर्मियों का कार्य के प्रति समर्पण होना, उस व्यवसाय की सफलता की अनिवार्य आवश्यकता है। आप मशीन की तरह मनुष्य को बटन दबाकर, कम या ज़्यादा गति से नहीं चला सकते।

उनका दिल से सहयोग प्राप्त करने के लिए, उनके कार्यों की प्रशंसा करना, उनके सुख-दुःख में काम आना, उनके प्रति विनम्र व्यवहार, उनकी भावनाओं की कद्र करना, ऐसे महत्त्वपूर्ण बिन्दु हैं, जो किसी भी व्यवसाय/व्यक्ति की सफलता में बहुत अहम् भूमिका अदा करते हैं। तारीफ करते समय इस बात का ध्यान रखें कि जिस व्यक्ति की तारीफ की जा रही है उसे ऐसा प्रतीत न हो कि आप उसका मज़ाक बना रहे हो या उसकी झूठी तारीफ कर रहे हो।

आप पूरी गम्भीरता से, सच्चे मन से तारीफ करें। यदि कोई ऐसी नीति हो कि व्यक्ति के अच्छे कार्य हेतु कोई पुरस्कार भी दिया जा सके तो इस तरह की नीति को लागू करना भी आपको सफल बनाने में मददगार होगा।

‘‘इन्तज़ार करने वालों को सिर्फ उतना ही मिलता है, जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते हैं।” –अब्दुल कलाम

सहकर्मियों के साथ संवाद:

प्रशासन का एक नियम यह भी है कि व्यक्ति का अपने सहकर्मियों के साथ संवाद बना रहे। किसी सहकर्मी को, किसी अधीनस्थ कर्मचारी को कोई समस्या हो, कोई कहीं गलती नज़र आए, कोई ऐसी बात दिखाई दे जो व्यवसाय के हितों के विपरीत हो, तो वह उस बात को अपने अधिकारी को तुरन्त बताए एवं हिचकिचाए नहीं। यह बात बहुत महत्त्वपूर्ण है। बोसिज्म (Bossism) एक बड़े उद्योग में तो सम्भव है या सरकारी उपक्रम में सम्भव है, लेकिन सहकर्मियों का दिल जीतने के लिए आवश्यक है कि आपका उनसे संवाद बना रहे। आपको अपने सहकर्मियों के दुःख-सुख का पता हो, आप उनकी खुशियों में सम्मिलित हों, उनके दु:ख में उनके साथ हों। ये सब, तब ही सम्भव है, जब आपका उनके साथ संवाद (Communication) सही रूप में बना रहे। किसी भी व्यवसाय की सफलता के लिए, संवादहीनता बहुत ही घातक होती है। संवादहीनता से गलतफहमियाँ पैदा होती हैं। व्यक्ति मात्र एक मशीन की तरह कार्य करने लगता है, उसकी व्यवसाय में संलिप्तता (Involvement) नाममात्र की ही रह जाती है, लेकिन यदि उसके साथ संवाद बना रहता है तो वह व्यवसाय की सफलता में, मन से योगदान देने लगता है, वह व्यवसाय में दिल से जुट जाता है।

आप सोचिए यदि किसी व्यवसाय में संलग्न सभी कार्यकर्ता दिल से काम करने लगें तो वह व्यवसाय निश्चित ही ‘दिन-दूनी रात-चौगुनी’ उन्नति अवश्य करेगा और शीघ्र ही सफलता के शिखर पर होगा।

“अपने मिशन में कामयाब होने के लिए, आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्रचित एवं निष्ठावान होना पड़ेगा।” -अब्दुल कलाम

 बिज़नेस में इनोवेशन: Business Tips in Hindi

एक सफल एवं असफल व्यक्ति में एक अन्तर यह भी होता है कि सफल व्यक्ति का कार्य करने का ढंग, कार्य करने का तरीका, असफल व्यक्ति से कुछ अलग, कुछ नवीनता लिए हुए, कुछ मौलिकता लिए हुए होता है। 

Innovation in Business

Innovation in Business Tips in Hindi

आज इन्टरनेट का युग है, इनोवेशन का युग है, नए तरीकों का युग है, विज्ञापन का युग है। आज ब्राण्डेड सामान, उसकी लागत से पाँच गुना कीमत पर बेचा जाता है। आज लोगों में किसी चीज़ का क्रेज़ पैदा करने की आवश्यकता है। नूडल्स का विज्ञापन महानायक अमिताभ बच्चन द्वारा कराने पर उसके प्रति जो क्रेज़ पैदा होता है, वह उसकी बिक्री का कारण बनता है। ज़ामाना है कैसे लोग आकर्षित हों, आपके उत्पादन के लिए,  हैरी पोर्टर की किताब का क्रेज़ इस तरह से पैदा किया कि लोग लाइनों में कई-कई घंटे खड़े रहकर इन्तज़ार करते हैं?

आज चाट की दुकान का समय नहीं, आज मैकडॉनल्ड एवं हल्दीराम का क्रेज़ है। आज लोग मॉल्स में सामान खरीदना पसंद करते हैं। आज ग्वारपाठा का ज़माना नहीं, बल्कि ऐलोविरा का ज़माना है। हर सौन्दर्य प्रसाधन के सामान में ऐलोविरा का समावेश बताकर कम्पनियाँ कितना धन कमा रही हैं, आप जान सकते हैं। टूथपेस्ट में नमक की अहमियत को बताकर, जो मार्केटिंग की गई है वह कुछ अलग हटकर करने का फण्डा ही तो है।

उक्त सभी बातों का अर्थ है कि कुछ अलग हटकर करने वाले को सफलता मिलती है। अच्छा उत्पाद, सही कीमत एवं कुछ अलग अन्दाज़ में उसकी मार्केटिंग करके देखें । कोई अलग हटकर, उत्पाद तैयार करें, देखें सफलता आपके अवश्य मिलेगी। – Business tips in Hindi for success

“जो सपने देखते हैं और उन्हें पूरा करने की कीमत चुकाने को तैयार रहते हैं, ये ही वो लोग हैं। जो सफल होते हैं।”

त्वरित निर्णय का महत्त्व: Business Tips Hindi 

त्वरित निर्णय का अर्थ जल्दबाजी में लिया गया निर्णय नहीं है, लेकिन निर्णय के सन्दर्भ में हर बात की पूरी जानकारी करने के बाद लिया गया निर्णय है। निर्णय में देरी आपके आत्मविश्वास में कमी को दर्शाती है। बिना कारण से निर्णय में देरी का अर्थ होता है आप असफलता के डर से या निर्णय के गलत हो जाने के भय से त्रस्त हैं। एक बात याद रखें, निर्णय गलत भी हो सकता है और सही भी हो सकता है। आप अपनी ओर से, निर्णय के सन्दर्भ में पूरी छानबीन कर लें और उसके बाद निर्णय लें। उचित समय पर निर्णय नहीं लेने से हर कार्य में देरी होती है, जिससे आपकी लक्ष्य पूर्ति में भी देरी होती है, जिससे कई बार सफलता बहुत दूर चली जा सकती है। अनिर्णय की स्थिति से, व्यवसाय के हर क्षेत्र पर विपरीत असर पड़ता है। आप में लोगों का विश्वास कमज़ोर होता है। लोगों में निराशा का भाव पैदा होता है।

प्रशासनिक शिथिलता-अनिर्णय का एक बड़ा कारण है, जो हर उत्कृष्ट कार्य करने वाले को कहीं-न-कहीं चोट पहुँचाती है, जो अच्छे कर्मचारी हैं वो अनिर्णय की स्थिति से व्यथित होकर, कहीं दूसरी जगह रोज़गार तलाश कर सकते हैं। आपके पास मात्र निकम्मे एवं आपकी तरह ही निष्क्रिय कर्मचारी रह जाते हैं, जो आपको सफलता से इतनी दूर ले जाते हैं कि सफल होना आपके लिए मात्र एक स्वप्न ही हो जाता है।

त्वरित निर्णय से आपकी कार्यक्षमता/योग्यता व्यक्त होती है। आपकी जोखिम उठाने की क्षमता का पता चलता है। कर्मचारियों/अधिकारियों में आपके प्रति सद्भाव एवं सम्मान पैदा होता है। आप निर्णय को अपने सहकर्मियों से विचार-विमर्श करके लें तो निर्णय के गलत हो जाने पर भी वे आपके साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर खड़े रहेंगे और आपको कभी भी छोड़कर नहीं जाएँगे। मानव-स्वभाव बड़ा विचित्र है, हर कार्य पैसे के लिए नहीं होता है, आपसी व्यवहार एवं विश्वास का रोल आपकी सफलता में बहुत होता है।

‘‘मेरा विचार है मुझे जो भी सफलता मिली है, उसके पीछे जो मेरी सबसे बड़ी विशेषता रही है, वो है कठिन परिश्रम सचमुच कठिन परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है।” -मारिया बार्टीरोमो

धैर्य एवं सफलता: Business Tips in Hindi 

जीवन एक संघर्ष का नाम है। जब हम सफलता की राह पर बढ़ते हैं तो हमें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सफलता की राह आसान नहीं है। सफलता प्राप्ति के लिए आपको कितनी ही विषमताओं से रू-ब-रू होना पड़ता है, लेकिन धैर्य बनाए रखें। कहते हैं रात के अवसाद के बाद ही सुबहरूपी आशा प्राप्त होती है।

जीवन में सफलता-असफलता एक सिक्के के दो फलक हैं। दोनों जीवन के अनिवार्य अंग हैं। जिसने असफलता का सामना नहीं किया, जिसने कभी पीड़ा ही नहीं देखी, जिसने जीवन में कभी कड़वाहट ही नहीं देखी, उसे जीवन में सफलता, सुख एवं मिठास के स्वाद का क्या पता? हर पल में आपको धैर्य रखना होगा। कायर बनकर, परेशानियों से घबराकर, सफलता का मार्ग छोड़ने की आवश्यकता नहीं है। जब आपने सफलता के मार्ग पर चलना तय ही कर लिया तो अब पीछे क्यों हटना है? थोड़ा धैर्य रखें, रास्ता स्वयं निकलता है। विपरीत परिस्थितियों में धैर्यपूर्वक, स्वयं पर विश्वास रखकर कार्य करने वाले ही अन्ततः सफलता प्राप्त करते हैं।

समय की पाबन्दी एवं अनुशासन:

आपका आचरण ऐसा होना चाहिए कि आपके सहकर्मी एवं आपके कार्यालय व्यवसाय में कार्यरत सभी व्यक्ति उस आचरण को जीवन में उतारने का प्रयास करें। इसमें सबसे महत्त्वपूर्ण है कि समय की पाबन्दी एवं अनुशासन का पालन। अधिकांशतया देखा जाता है कि व्यक्ति अपने भाषण अनुशासन एवं समय की पाबन्दी पर बड़े-बड़े व्याख्यान देते हैं, लेकिन स्वयं के जीवन में उनका कोई महत्व नहीं है। किसी मीटिंग या किसी अन्य कार्यक्रम का तय समय यदि 11 बजे का है, तो वे कभी समय पर उपस्थित नहीं होते हैं। इसी प्रकार व्यवसाय में, ऑफिस में अनुशासन कायम रखने हेतु, कई तरह से निर्देश जारी किए जाते हैं, लेकिन स्वयं उनका पालन नहीं करते हैं। जैसे-कैन्टीन में लंच टाइम में लाइन लगाकर खाना लेने का नियम निर्धारित किया जाता है, लेकिन आप स्वयं लाइन में नहीं लगते हैं। यदि आप स्वयं भी लाइन में लगकर खाना लेने लगे तो सब कुछ स्वयं ही ठीक हो जाएगा।

ऑफिस में व्यर्थ कागज़ (Waste Paper) रद्दी की टोकरी में ही डाला जाए, धीमी आवाज़ में आपस में बात की जाए। इस तरह की चीज़ों की पालना आप स्वयं यदि करेंगे तो सभी सहकर्मी एवं अन्य स्टाफ बहुत खुशी-खुशी इन चीज़ों की पालना करने लग जाएँगे। ये सभी बहुत छोटी-छोटी बातें हैं, लेकिन इनका जीवन में सफलता पाने में बहुत महत्त्व है। अनुशासन एवं समय की पाबन्दी, इन दो गुणों को अपनाने से स्टाफ की 70% समस्याओं का समाधान हो जाता है। Business tips in Hindi and Ideas

‘‘भगवान, हमारे निर्माता ने हमारे मस्तिष्क और व्यक्तित्व में असीमित शक्तियाँ और क्षमताएँ प्रदान की हैं। ईश्वर की प्रार्थना, हमें इन शक्तियों को विकसित करने में मदद करती है।”

स्वस्थ एवं जीवन्त जीवन:

संघर्ष की राह पर चलने वाला राही यदि जीवन्त नहीं होगा, स्वस्थ नहीं होगा तो वह क्या संघर्ष करेगा? जीवन में आत्मविश्वास के लिए, दृढ़ इच्छाशक्ति के लिए एवं संघर्ष में विजय पताका फहराने के लिए, व्यक्ति का स्वस्थ होना आवश्यक है। सफलता की राह आसान नहीं है। छोटे-मोटे तनाव आते रहते हैं। लाभ-हानि भी एक सामान्य बात है।

Good Health For Good Business

Good Health Business Motivation

यदि आप स्वस्थ नहीं हैं, थोड़े तनाव से बीपी बढ़ जाता है, डिप्रेशन हो जाता है तो आप सही निर्णय कैसे ले सकते हैं? ऐसी स्थिति में सही/गलत कैसे भी निर्णय आप लेने में असक्षम हो जाते हैं। आपको स्वयं को ही अपने खराब स्वास्थ्य के कारण किसी भी बड़े निर्णय लेने में भय बना रहेगा। कई बार खराब स्वास्थ्य के चलते, कोई अच्छा कॉन्ट्रेक्ट भी हाथ से निकल सकता है, बड़ी आर्थिक हानि भी हो सकती है।

आपका व्यक्तित्व ऐसा होना चाहिए कि आपके कर्मचारी, सहकर्मी, आपको अपने बीच पाकर, उत्साहित महसूस करें। आपकी उपस्थिति उनमें ऊर्जा का संचार करे। आपकी उपस्थिति से उन्हें ऐसा महसूस होना चाहिए कि हम किसी आदर्श ऊर्जाशील व्यक्ति के साथ हैं। यह तब ही सम्भव है जब आप स्वस्थ रहें, जीवन्त रहें।

स्वस्थ रहना, कोई बहुत कठिन कार्य भी नहीं है। हमने देखा कि व्यक्ति 24 घण्टे में 6-7 घण्टे सोता है एवं शेष समय में अपने व्यापार के सम्बन्ध में ही सोचता रहता है। वह घर वालों के साथ भी मधुरता से पेश नहीं आता, अजीब झल्लाहट बनी रहती है।

यह बहुत खराब परिस्थिति है। आप क्यों कमाते हैं? स्वयं के लिए, स्वयं के परिवार के लिए। यदि आप स्वस्थ नहीं रहेंगे तो इस कमाई का क्या करेंगे? प्रतिदिन कम-से-कम एक-डेढ़ घण्टा व्यक्ति को स्वयं के स्वास्थ्य के लिए अवश्य देना चाहिए। इस समय में योग करें, प्राणायाम करें, कुछ व्यायाम करें। यह बहुत लाभकारी है।

आपके व्यक्तिगत जीवन के लिए भी, साथ ही आपके व्यवसाय/कॅरियर के लिए भी। अच्छा स्वास्थ्य आपको ऊर्जावान बनाता है। आपके कार्य करने की गति एवं क्षमता में वृद्धि होती है।

आपके निर्णय लेने की क्षमता एवं योग्यता में उल्लेखनीय वृद्धि होती है। आपमें स्फूर्ति एवं जीवन्तता आती है। सफलता के लिए अच्छा स्वास्थ्य एवं जीवन्त होना, एक महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है।

कुछ महत्वपूर्ण हासिल करने के लिए निम्न तीन चीज़ों की प्रमुख आवश्यकता होती है (Business tips in Hindi)

  1. कड़ी मेहनत 2. दृढ़ संकल्प 3. सामान्य सूझबूझ –थॉमस एडीसन

विवादों से परहेज़:

विवाद, सफलता के मार्ग में आने वाली ऐसी बीमारी है, जिसका जितना इलाज करना चाहो, कई बार अकारण बढ़ जाती है।

विवाद के पचड़े में पड़ने का अर्थ है कि आप जिस रास्ते पर जा रहे हैं उसके अतिरिक्त साइड के गड्ढे में माथा-फोड़ी करते रहना अर्थात् लक्ष्य से च्युत हो जाना। आपकी शक्ति एवं ऊर्जा का लक्ष्य के संधारण की अपेक्षा विवाद में क्षय होना। आप चाहे किसी जॉब में, स्वयं के कारोबार में हैं या किसी प्रोफेशन में हैं, विवाद आपको सफलता की राह से भटकाने का कार्य करता है।

आपका प्रयास होना चाहिए कि ऐसी कोई स्थिति ही न आए कि विवाद हो। अपनी नीति, साफ-सुथरी एवं पारदर्शक हो, किसी का पक्षपात नहीं किया जाए। यदि किसी नौकरी में हों तो नीति संगत कार्य, पूर्ण ईमानदारी एवं निष्ठा से, नियमानुसार पूर्ण करें। अर्थ यह है कि आप अपनी छवि को निष्पक्ष रखें एवं कार्य का सम्पादन पूरी ईमानदारी से करने का प्रयास करें। ऐसा करने से विवाद होने के अवसर नगण्य हो जाते हैं। फिर भी कभी कोई विवाद पैदा हो, तो आप बिना किसी का पक्षपात किए, स्वयं की स्थिति स्पष्ट करते हुए, उसका निरपेक्ष रूप से, न्यायसंगत तरीके से समाधान करने का प्रयास करें। उलझे नहीं, ना मामले को तूल पकड़ने दें। प्रेस से दूर रहें। धैर्यपूर्वक मामले को निपटाएँ।

विवाद होने से सारी ऊर्जा उसमें व्यय होने लगती है एवं कभी-कभी छोटा-सा विवाद बहुत विकराल रूप धारण कर लेता है।

गुड़गाँव में मारुति उद्योग में, श्रमिकों के साथ विवाद ने इतना विकराल रूप धारण कर लिया कि एक-दो लोगों की मौत हो गई, कई दिनों तक हड़ताल रही। प्रबन्धन ने फैक्ट्री को वहाँ से हटाकर कहीं और ले जाने के सन्दर्भ में गम्भीरता से विचार करना शुरू कर दिया। अर्थ यह है कि आपकी कार्यप्रणाली ऐसी होनी चाहिए कि विवादों का जन्म ही न हो एवं यदि कोई विवाद है, तो उसका त्वरित गति से निष्पक्ष रूप से, न्यायसंगत निपटारा करने का प्रयास किया जाए।

“Three sentences for getting Success in Business

  1. Know more than others 
  2. Work more than others
  3. Expect less than others”. -William Shakespeare

समय प्रबन्धन एवं सफलता:

किसी भी व्यक्ति की सफलता में समय प्रबन्धन (Time Management) की अहम् भूमिका रहती है। वस्तुतः हमें इसे समय प्रबन्धन नहीं कहकर, स्वयं का प्रबन्धन, उपलब्ध समय के सन्दर्भ में कहना अधिक सही होगा। हम समय का कोई प्रबन्धन नहीं करते हैं, अपने कार्यों का, उपलब्ध समय में कैसे समायोजन किया जाए, यह समय प्रबन्धन के अन्तर्गत आता है।

उपलब्ध समय का इस तरह से सर्वोत्तम उपयोग, कम-से-कम ऊर्जा का व्यय हुए, अधिकतम कार्यों का प्राथमिकता के अनुसार सम्पादन करना, समय प्रबन्धन का मूल उद्देश्य है।

समय प्रबन्धन के मूल तत्त्व हैं।

  1. कार्यों की प्राथमिकताएँ निर्धारित करना
  2. निम्नतम ऊर्जा व्यय से अधिकतम कार्यों का सम्पादन
  3. निम्नतम समय-अधिकतम परिणाम

उक्त तीन बिन्दुओं को ध्यान में रखकर मुख्यतया किसी भी व्यवसाय में समय प्रबन्धन की तकनीक अपनाई जाती है।

  1. हर व्यवसाय में, या एक व्यक्ति को बहुत सारे कार्यों को पूर्ण करना होता है। यदि उनका वर्गीकरण प्राथमिकता के आधार पर नहीं किया गया, तो जो कार्य 15 दिन बाद होना है, वह आज हो जाएगा एवं जो कार्य आज होना अनिवार्य है, वह 15 दिन बाद होगा। सारा व्यवसाय, सारा कार्य चक्र अस्त-व्यस्त हो जाएगा।

अतः कार्यों का उनके महत्त्व एवं प्राथमिकता के अनुसार सुव्यवस्थित विभाजन किया जाना आवश्यक है।

  1. कार्यों को इस प्रकार से पूरा किया जाए कि कम-से-कम ऊर्जा का व्यय हो। जिन उपकरणों, साधनों की आवश्यकता है, वे आपके आसपास हों एवं उनकी उपलब्धता सुनिश्चित हो। मान लें आप कम्प्यूटर पर कार्य कर रहे हैं, बिजली चली गई, तो इन्वर्टर की उपलब्धता होनी चाहिए। यूपीएस भी लगा होना चाहिए। आप प्रिन्टिंग का कार्य कर रहे हैं, तो कागज़ उपलब्ध होना चाहिए एवं प्रिन्टर आपके आसपास ही लगा होना चाहिए। इस तरह से ऊर्जा का क्षय कम होता है एवं कार्य सुचारु रूप से सम्पन्न होता है।
  2. कार्यों के लिए समय-सीमा का निर्धारण भी एक आवश्यक बिन्दु है। बिना समय-सीमा निर्धारण किए, आप किसी व्यक्ति की क्षमता, योग्यता का आकलन नहीं कर सकते। एक स्टैण्डर्ड समय-सीमा का निर्धारण करने पर, कर्मचारी पर उस समय-सीमा में कार्य को पूरा करने की ज़िम्मेदारी बन जाती है। सामान्य अवस्था में वह कार्य उस समय-सीमा में सम्पन्न हो, यह भी समय प्रबन्धन की महती आवश्यकता है। 

कहते हैं “जिसने समय की परवाह नहीं की, समय ने उसकी परवाह नहीं की।” समय एक ऐसी अमूल्य निधि है, जो यदि व्यर्थ हो जाती है, तो वापस नहीं आ सकती है। हम सब कुछ खरीद सकते हैं, लेकिन व्यर्थ गया समय नहीं खरीद सकते। आज के इस स्पर्धा के युग में, व्यक्ति चल नहीं रहे हैं, बल्कि दौड़ लगा रहे हैं। हमें भी इस दौड़ में भाग लेकर, सफलता का परचम फहराना है, तो समय को पकड़ कर रखें। जीवन में समय प्रबन्धन अवश्य करें।

समय प्रबन्धन से कार्य सम्पादन में सुचारुपन आता है, गति आती है। कर्मचारी को अपनी ज़िम्मेदारी का अहसास रहता है। मानसिक तनाव नहीं रहता है। व्यवसाय में त्वरित विकास होता है, लेकिन अधिकांश व्यक्ति समय प्रबन्धन के महत्त्व को नकारते हैं। वे न केवल व्यक्तिगत जीवन में, बल्कि अपने व्यवसाय में भी समय प्रबन्धन को नहीं अपनाते हैं। व्यवसाय में अस्त-व्यस्तता समय प्रबन्धन की अनदेखी का परिणाम है।

“जिस व्यक्ति ने गलती नहीं की, उसने कभी नया करने की कोशिश नहीं की।” –अल्बर्ट आइन्स्टीन

सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं: Business tips in Hindi

इस बात को हर व्यक्ति को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए। कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं है। चाहे आप छात्र हैं, किसी नौकरी में हैं, स्वयं का व्यवसाय है या एक प्रोफेशनल हैं, आपको दूरगामी सफलता के लिए पूरी ईमानदारी एवं कर्मठता से प्रयास करने होंगे। शॉर्टकट से आप एक बार सफलता हासिल कर सकते हैं, लेकिन जीवन में शॉर्टकट से प्राप्त सफलता कितनी कष्टदायक हो सकती है, इसकी कल्पना आज किया जाना सम्भव नहीं है। कई लोग डुप्लिकेट सामान बनाकर, खराब क्वालिटी का सामान बेचकर या अन्य प्रकार की बेईमानी या धोखाधड़ी करके एक बार खूब पैसा कमा सकते हैं, लेकिन दूरगामी सफलता के लिए इससे गलत बात कुछ भी नहीं हो सकती। आज जो भी प्रोडक्ट्स बाज़ार में उपलब्ध हैं, जो खूब बिकते हैं, उनकी सफलता का कारण, उनकी उच्च क्वालिटी एवं गुणवत्ता है।

आपने किसी डुप्लिकेट सामान बनाने वाले को सफल लोगों की श्रेणी में शामिल होते देखा है क्या?

रिश्वतखोर नौकरी-पेशा व्यक्ति, रिश्वत के माध्यम से जो राशि कमाता है, वह उसके परिवार के विनाश का कारण बनते हुए देखी जा सकती है। बच्चों में पाई जाने वाली चारित्रिक विषमताएँ, आपराधिक प्रवृत्ति, गलत प्रकार से कमाए धन का परिणाम नहीं है, तो क्या है? जीवन में सफलता के लिए कभी शॉर्टकट का सहारा न लें। हो सकता है आपको सफलता मिलने में कुछ समय लग जाए, लेकिन ईमानदारी एवं मेहनत के बल पर प्राप्त सफलता ही वास्तविक सफलता है, जो आपके जीवन में वास्तविक खुशियाँ एवं सम्पन्नता लाएगी।

“A wise man should restrain his Senses like a crane and accomplish his goal with due knowledge of his place, time and ability.” –Chanakya

“सारस की तरह एक बुद्धिमान व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों पर नियन्त्रण रखना चाहिए और अपने लक्ष्य को, स्थान, समय एवं योग्यता की जानकारी के अनुसार अर्जित करना चाहिए।” -चाणक्य
भाग्य-दुर्भाग्य एवं सफलता: Business Tips in Hindi 

हमारे परिवेश में, हमारी सोच में, हर अच्छे-बुरे कार्य के लिए हम अपने भाग्य को ज़िम्मेदार ठहराते हैं। मुख्य रूप से किसी भी खराब कार्य परिणाम के लिए, हम तुरन्त ही दुर्भाग्य को ज़िम्मेदार बनाकर इतिश्री कर देते हैं। 

Tips for a Successful Business

Tips for a Successful Business

कार्य परिणाम सही क्यों नहीं हुआ? किसी कार्य की असफलता के लिए, क्या-क्या कारक/कारण ज़िम्मेदार रहे? इनका आकलन/जाँच करने की अपेक्षा मात्र अपने भाग्य-दुर्भाग्य को दोष देना, एक फैशन या रिवाज़-सा बन गया है। यह न केवल अनपढ़, कम पढ़े-लिखे लोग करते हैं, बल्कि खूब उच्च पदों पर विराजमान, पढ़े-लिखे लोग भी भाग्य-दुर्भाग्य को हर कार्य के लिए ज़िम्मेदार ठहराते हुए देखे जा सकते हैं।

इस आर्टीकल में हमने ऐसे बहुत-से उदाहरण सम्मिलित किए हैं, जिनको प्रकृति ने ही दुर्भाग्यशाली बना दिया। कुछ लोग, जो ऐसी गरीबी में पैदा हुए कि जीवन में प्रगति/खुशहाली की कल्पना करना भी कल्पनातीत था, लेकिन उन्होंने अपने साहस, संकल्प एवं कड़ी मेहनत के बल पर दुर्भाग्य को भाग्य में परिवर्तित कर दिया। जीवन में भाग्य-दुर्भाग्य होता है या नहीं होता है, इस विवाद में पड़ने की आवश्यकता नहीं है। आवश्यकता इस बात की है कि हम भाग्यवादी नहीं बनें, पुरुषार्थ करें। अपनी योग्यता-क्षमता में वृद्धि करें। ईमानदारी से कड़ी मेहनत करें। सकारात्मक सोच सहित पूरे आत्मविश्वास के साथ अपने लक्ष्य को अर्जित करने हेतु जुट जाएँ। सफलता अवश्य आपका वरण करेगी। सफलता पुरुषार्थी की दासी है, भाग्यवादी की नहीं।

“Our achievements speak for themselves. What we have to keep track of are our failures, discouragements and doubts. We tend to forget the past difficulties, the many false starts and the painful groping.”

‘‘हमारी उपलब्धियाँ स्वयं बोलती हैं। हमें केवल हमारी असफलताओं, निराशा एवं सन्देहों का ध्यान रखना चाहिए। पिछली परेशानियों, असफल शुरुआत और कष्टकारी तलाश को भूल जाना हमारी प्रवृति है।”

असफलता सहना सीखें, असफलता से सबक लें:

सफलता के राही का एक प्रमुख गुण है कि उसे असफलता को सहना आना चाहिए। जीवन के संघर्ष में असफलता मिलना, सफलता मिलने से ज़्यादा सरल है। सफलता का मार्ग, कोई सीधा सरल नहीं, बल्कि ऐसा मार्ग है, जिसमें फिसलन है, कठिनाइयाँ हैं, दूभरता है। इसमें असफलता मिलना एक सामान्य घटना है। आपको असफलता से निराश नहीं होना है। असफलता से सबक लेना है, आत्मनिरीक्षण करना है। असफलता के लिए ज़िम्मेदार कारकों, कारणों का परिमार्जन करते हुए, निरन्तर आगे बढ़ना है।

असफलता वस्तुतः आपको चतुर बनाती है, आपको परिपक्व बनाती है। यह ऐसी दवा है जो कड़वी लगती है, लेकिन आप में प्रखरता लाती है। कहते हैं सोने में चमक, चोट पड़ने के बाद ही आती है। हीरे का मूल्य उसे खराद पर तराशने के बाद ही पैदा होता है। हर व्यक्ति को जीवन में कभी-न-कभी असफलता मिलती ही है। आप में असफलता को सहने की शक्ति होनी चाहिए। असफलता को सहजता से ले। कहते हैं जिसने असफलता को सहना सीख लिया, वह सबसे बड़ा साहसी है। उसे सफलता मिलना सुनिश्चित है।

“Once you start a work, don’t abandon it in between. People who Work Sincerely are the happiest.” -Chanakya

“जब आप किसी काम की शुरुआत करें, तो असफलता से नहीं डरें और उस काम को बीच में न छोड़ें। जो लोग ईमानदारी से काम करते हैं, वे सबसे अधिक प्रसन्न होते हैं।” -चाणक्य 

आपको हमारे ये “14 Best Business tips in Hindi for Success” कैसे लगे कमेंट में अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें!

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Pros
  • व्यवसाय की पूर्ण जानकारी
  • सहकर्मियों के अच्छे कार्यों की प्रशंसा
  • सहकर्मियों के साथ संवाद
  • इनोवेशन
  • त्वरित निर्णय का महत्त्व
  • धैर्य एवं सफलता
  • स्वस्थ एवं जीवन्त जीवन
  • विवादों से परहेज़
  • सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं
Cons

Nil

Review Overview
Business Tips
SUMMARY

व्यवसाय के सन्दर्भ में सफलता हेतु कुछ आवश्यक तत्त्व Business tips in Hindi for Success  विशेषतया व्यवसाय के सन्दर्भ में!

4.5
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Written by lokhindi
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