Very Short Hindi Moral Stories – चतुर धोबी – Hindi Kahani

चतुर धोबी – Hindi Kahani

Very Short Hindi Moral Stories

एक गांव में एक धोबी रहता था | उसका नाम मंगलू था | उसके पास एक गधा था, वही उसकी जीविका का साधन था | मंगलू धोबी उस गधे पर कपड़े लादकर घाट तक ले जाता था और फिर सूखे कपड़े वापस लादकर लाता था |

इस प्रकार लोगों के कपड़े धोकर उसे जो पैसे मिलते थे | वह उनसे ही अपना तथा अपने परिवार का पालन-पोषण करता था |

लेकिन समय सदा एक सा नहीं रहता | एक दिन रात के समय चोर अचानक मंगलु का गधा चुराकर ले गये |

बेचारे मंगलू धोबी ने उसे पूरे गांव में ढूंढा; किंतु उसे अपना गधा कहीं नहीं मिला | गधे के बिना तो उसका सारा काम धंधा ही बंद हो गया |

इसलिये विवश होकर उसने दूसरा खरीदने का विचार बनाया और एक जमीदार से कुछ पैसे लेकर पशुओं की मंडी से नया गधा खरीदने को चल दिया |

मंडी पहुंचकर वह अच्छा गधा तलाशने लगा, तभी उसकी निगाह एक गधे पर पड़ी | ध्यान से देखने पर वह समझ गया कि यह तो उसी का गधा है जिसे चोर चुरा कर ले गया था | एक आदमी उसे बेचने के लिए एक स्थान पर खड़ा था | वह उस आदमी से बोला –

“ यह गधा तो मेरा है | तुम इसे चोरी करके ले आये हो मुझे मेरा गधा वापस दे दो, नहीं तो मैं शोर मचा दूंगा |”

मंगलू धोबी की बात सुनकर उस आदमी ने कहा – “ यह गधा मेरा है, तू झूठ बोल कर इसे अपना बनाना चाहता है | मेरी चीज है, मैं तुम्हें कैसे दे दूं, जो करना है कर ले |”

उनका यह झगड़ा सुनकर वहां पर बहुत से लोग जमा हो गये तथा उनमें से एक ने मंगलू से पूछा – “ तुम्हारे पास अपना पक्ष साबित करने के लिए कोई सबूत है |”

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मंगलू धोबी की बुद्धि काम कर गयी | उसने तुरंत ही अंगोछे से निकालकर गधे की आंख पर पट्टी बांधी और लोगों से कहा – “ मेरा गधा एक आंख से काना है | अगर यह गधा इसका है, तो इसे यह भी पता होगा कि इसे किस आंख से दिखाई नहीं देता |”

वह आदमी तुरंत बोला – “ हां ! हां ! इसे दाई आंख से दिखाई नहीं देता |” वही आदमी फिर तुरंत ही बोला – “ नहीं ! वह बाईं आंख से काना है |”

मंगलू धोबी की चाल काम कर गयी थी | उसने गधे की आंखों से पट्टी खोलकर लोगो से कहा – “ आप ही देख लीजिये कि गधा काना है या इसकी दोनों आंखें सही-सलामत है |”

लोगों ने देखा कि गधे की दोनों आंखें ठीक है | उन्होंने मंगलु धोबी की बुद्धिमता और चतुराई की खूब प्रशंसा की और उस आदमी से कहा – “ तुम झूठे हो, यह गधा तुम्हारा नहीं है | यह गधा मंगलु को दे दो |”

उस गधे को मंगलु के हवाले करके उस आदमी ने अपने झूठ और चोरी के लिए क्षमा मांगी |

मंगलू ने उस आदमी को क्षमा कर दिया और अपने गधे को लेकर खुशी-खुशी कर वापस आ गया | वह बहुत खुश था, क्योंकि जमीदार से लिये उसके पैसे भी बच गये थे तथा उसका गधा भी उसे मिल गया था |

घर पहुंचकर उसने अपनी पत्नी को सारी बात बतायी | उसकी पत्नी भी अपने उसी पुराने गधे को पाकर बहुत प्रसन्न हुयी और उसी दिन से उसे घर के अंदर ही बांधने लगी | जिससे उसे दोबारा कोई चुरा कर न ले जाये |

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Written by lokhindi
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