Short Hindi Moral Stories – पैसे का जादू – Kahaniyan

Hindi Moral Stories – पैसे का जादू

Short Stories Hindi With Big Moral Values / Hindi Kahaniyan Like –  पैसे का जादू or तेरा मेरा नहीं चलेगा | Provide by Lokhindi.


राजा चंद्रभान विद्वानों का बड़ा आदर-सम्मान किया करते थे |
एक दिन उनकी सभा में कहीं से कष्ट पीड़ित एक पंडित आया |
राजा ने उसको बहुत उदास तथा चिंतित मुद्रा में देखकर कुशलता पूछी |

तब पंडित ने एक श्लोक में अपना सारा दु:ख कह सुनाया | जिस श्लोक का अर्थ इस प्रकार था – “ राजन ! मेरी मां न तो मुझसे प्रसन्न होती है और न मेरी पत्नी से | और मेरी पत्नी भी न तो मुझसे प्रसन्न होती है और ना ही मेरी मां से तथा साथ ही मैं भी न तो अपनी मां से प्रसन्न रहता हूं और ना ही अपनी पत्नी से | बताइए इसमें किसका दोष है |”

महाराज समझ गये कि पंडित के घर में नित्य कलह रहती है और इसके घर में कोई भी किसी से प्रसन्न नहीं रहता |  इसलिए यह पंडित दु:खी है |

महाराज ने मन में सोचा “ अवश्य ही पंडित के घर में बड़ी गरीबी होगी | गरीबी में आपसी प्रेम सहानुभूति बिल्कुल नहीं रह जाती और छोटी-छोटी बातों को लेकर झगड़े होते रहते हैं और एक-दूसरे पर दोषारोपण करते हैं | यदि पंडित के घर में सब को खाने-पीने का सुख होता तो कोई किसी से असंतुष्ट क्यों रहता | धन का अभाव ही सबकी अप्रसन्नता और विरक्ति का एकमात्र कारण है |”

राजा ने रोग को ठीक से पहचानकर उसकी ठीक औषधि दे दी |
उससे पंडित के घर का रोग सचमुच निर्मल हो गया | You Read These Short Hindi Moral Stories on Lokhindi.com

महाराज से धन लेकर पंडित थैली खनखाता हुआ अपने घर लौटा | पहले जब वह बाहर से खाली हाथ आता था | तब घर में कोई उसे पूछता भी नहीं था, किंतु इस बार तो वह खूब पैसे कमाकर मालदार हो गया था | उसका आदर-सत्कार घर के अंदर क्यों न होता |

पत्नी ने दौड़कर उसका स्वागत किया और बड़े प्रेम से पूछा – “ कहां चले गए थे | मैं तुम्हारे मोह में व्याकुल दिन-रात तुम्हारी राह देखती रहती थी |”

इसके बाद मां ने बहू से कहा – “ बहुरानी ! ला में पंखा चलाती हूं, तो दौड़कर जल्दी हाथ-मुँह में धोने के लिए पानी ले आ | फिर जल्दी चूल्हा जलाकर कुछ खाने को बना दे |”

पत्नी ने बड़ी प्रसन्नता से कहा – “अभी पकाती हूं, माँ जी |”

अपने परिवार में पंडित ने ऐसा सद्भाव और प्रेम व्यवहार पहले कभी नहीं देखा था | उस दिन से पहले तो वे आपस में सीधे मुंह बात भी नहीं किया करते थे | मां-बेटे, पति-पत्नी और सास-बहू में बात-बात पर कहासुनी होती रहती थी | घर में सबका मुंह लटका हुआ, फूला हुआ ही मिलता था | लेकिन अब तो सब स्वभाव स्वरूप प्रसन्न लगते थे | पैसे ने पंडित के घर की कलह दूर कर दी थी |  

शिक्षा – “ सच है कि यदि घर में पैसा ना हो तो अवश्य ही घर के अंदर झगड़े होते हैं | यहां तक कि यदि बेटे के पास पैसे नहीं है, तो उसके मां बाप बेटे से सीधे मुंह बात करने को राजी नहीं होते | इसलिए यदि घर के अंदर अच्छा माहौल बनाना है तो पैसे पर्याप्त मात्रा में अवश्य होनी चाहिए | यह शिक्षा सिर्फ इसी कहानी तक ही लागू होती है |  वरना मां बाप का प्यार तो अमूल्य होता है, चाहे बेटे के पास पैसे हो या ना हो उनका प्यार सदैव एक जैसा ही रहता है | और पत्नी के बारे में, मैं कुछ बता नहीं सकता | अनुभव का अभाव है और साथ में इसके लिए खेद भी | ”

Short Hindi Moral Stories – तेरा मेरा नहीं चलेगा

Short Moral Stories HindiHindi Stories For Kids – समझदारी – Hindi Stories

पुराणों में दो राक्षसों की कहानी आती है | सुन्द और उपसुन्द नाम के दो भाई थे | दोनों में बड़ा प्यार था | दोनों वीर थे | दोनों ने मिलकर दुनिया पर आधिपत्य जमा लिया था | देवताओं से भी उनकी ताकत भारी पड़ने लगी | सभी उनके नाम से घबराने लगे उनका मुकाबला करने का साहस तो देवताओं में रहा ही नहीं |

लेकिन देवताओं ने हार नहीं मानी | उन्होंने अक्ल का इस्तेमाल किया और एक तरकीब सुझाई | उन्होंने उन्हें वश में करने के लिए उनके पास तिलोत्तमा को भेजा | You Read These Short Hindi Moral Stories on Lokhindi.com

तिलोत्तमा अत्यंत सुंदर थी | वह नृत्य करने लगी | उनसे बातें करने लगी |
सुन्द ने कहा – “ मैं तुझसे शादी करूंगा |”

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उपसुन्द को भाई की बात पसंद नहीं आई |
उसने कहा – “ तु करेगा ! नहीं-नहीं, मैं इससे शादी करूंगा |”

इसी बात पर दोनों झगड़ने लगे | You Read These Short Hindi Moral Stories on Lokhindi.com
दोनों कहने लगे “ यह स्त्री मेरी है, मैं इसका मालिक हूं |”

झगड़ा बढ़ गया | दोनों के हाथ में गदा थी फिर क्या था, दोनों आपस में लड़ने लगे | इसकी गदा उसके सिर पर पड़ी और उसकी गदा उसके सिर पर | दोनों के सिर फट गये | इससे राजा इंदर और अन्य देवता बहुत खुश हुये |

शिक्षा – “ इस तरह जहां मेरा-तेरा चलता है | वहां झगड़े के सिवा कोई चीज पैदा नहीं हो सकती | धन धरती से ममत्व रखने वाले मालिक भी सुन्द और उपसुन्द की तरह आपस में लड़ते रहेंगे और खत्म हो जाएंगे |”