सम्राट अशोक History – Samrat Ashok Biography

सम्राट अशोक History

– सम्राट अशोक का इतिहास / Samrat Ashok Biography in Hindi। सम्राट अशोक का जीवन परिचय – सम्राट अशोक की कहानी History हिंदी में !


चंद्रगुप्त मौर्य के पुत्र वींदुसार और उनके पुत्र अशोक थेअपने पिता की मृत्यु के बाद अशोक मगध-नरेश हुए बचपन से ही वे बड़े तेजस्वी और उग्र प्रकृति के थेसिहासन पर बैठते ही उन्होंने राज्य का विस्तार करना प्रारंभ कियाकंबोज से दक्षिण भारत के कर्नाटक तक और बंगाल से काठियावाड़ तक पूरे भारतवर्ष में कुछ ही समय में उनका राज्य विस्तृत हो गयापरंतु कलिंग (उड़ीसा)-ने उनकी अधीनता नहीं मानी थी

अशोक ने कलिंग पर चढ़ाई की वहां के सैनिक बड़े वीर थेवे बड़ी वीरता से लड़ते रहे यद्यपि अंत में अशोक की विजय हो गई; किंतु इस युद्ध में इतने अधिक सैनिक मारे गए थे कि उनकी लाशों का ढेर देखकर अशोक का ह्रदय ही बदल गया वहीं उन्होंने भविष्य में युद्ध ना करने का संकल्प किया

कुछ दिनों बाद बौद्ध भिक्षुओं के संपर्क में आने पर अशोक ने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया बौद्ध धर्म स्वीकार करने के बाद अशोक ने अपनी सारी शक्ति धर्म प्रचार में लगा दी स्थान-स्थान पर पत्थर के खंभे उन्होंने बनवाए और उन पर बौद्ध धर्म की शिक्षाएं खुदवाई उनके पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा भिक्षु बनकर लंका में बौद्ध धर्म का प्रचार करने गए सुदूर चीन-जैसे देशों तक अशोक ने धर्म प्रचारक भेजें

बौद्ध धर्म के प्रचार में लगने पर अशोक ने दूसरे किसी धर्म के साथ अन्याय नहीं किया वे अन्य धर्मों का आदर करते थे दान आदि में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता था किसी को भी बलपूर्वक बौद्ध बनाना उनके समय में अपराध माना जाता था

लोकोपकारी कार्यों को करने में अशोक सदा लगे रहे उनकी ओर से मनुष्य और पशुओं के लिए स्थान-स्थान पर चिकित्सालय खोले गए, सड़कों के किनारे छायादार वृक्ष लगाए गए कुँए एवं सरोवर खुदवायें गये

अशोक ने आज्ञा दे रखी थी कि जब रात्रि में वे सोते रहते हैं, उस समय भी प्रजा का कोई व्यक्ति उनके पास न्याय की पुकार करता आना चाहे तो उसकी सूचना तुरंत दी जाये

काश्मीर, गांधार, लंका, वर्मा, पूर्वी द्वीपसमूह, सीरिया और मिस्र तक अशोक ने अपने दूत भेजें और इन देशों में बौद्ध धर्म का प्रचार करवाया अशोक का शासन बहुत ही व्यवस्थित और उदार था प्रजा खूब सुखी थी, प्रजा में सत्य, सदाचार, धार्मिकता का प्रचार तथा प्रतिष्ठा हो, यह अशोक ने अपने शासन का लक्ष्य बना रखा था

सम्राट अशोक History की शिक्षा –

हिंसा सभी पाप का मूल।  यही धर्म के हैं प्रतिकूल।।   युद्ध जगत में बड़ा अनर्थ।  युद्ध विजय भी केवल व्यर्थ।।   बच्चों को कर पिता विहीन।  अबलाओँ को पति से हीन।।   लाशों से धरनी को पाट।  भला कौन सुख लोगे चाट।।   बढी शत्रुता पाया शाप।   ऐसी विजय-विजय या पाप।।   सच्ची विजय दया है भाई!  दया धर्म सबसे सुखदाई।।   शांति दया में ही बसती है।  दया चाहती सब जगती है।।   सब पर करो, दया सुख पाओ।  सबको अपना बंधु बनाओ।।   करो ना क्रोध किसी पर भूल।  दु:ख करो सबके निर्मूल।।   दो सबको सुख-सुविधा दान।  तुम भी पाओ शांति महान।।

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