New Moral Stories in Hindi – साधु की शिक्षा – मोरल कहानी

साधु की शिक्षा – Moral Story in Hindi

New Moral Stories in Hindi

एक विधवा थी | उसका घर निमाड़ के एक गांव में था | विधवा का एक लड़का था | जिसका नाम श्यामू था | एक दिन विधवा बाजार गयी हुई थी | तभी उसके घर एक साधु आया | श्यामू ने साधु की बड़ी आवभगत की | उनके चरण धोकर उन्हें भोजन करवाया | उनकी आवभगत से साधु बहुत प्रसन्न हुआ | उसने श्यामू को कुछ मांगने को कहा | श्यामू ने साधु से कहा – “ मुझे शिक्षा दीजिए |”

साधु ने श्यामू को शिक्षा दी – “ बिन पैसे बाजार मत जाना तथा बिन साथी बाहर मत जाना | यह शिक्षा श्यामू को इतनी पसंद आयी कि उसने घर में रखे सौ रुपये साधु को लाकर दे दिये |

उसकी विधवा मां जब लौट कर आयी तो श्यामू ने उसे बताया कि उसने सौ रुपये में शिक्षा खरीदी है | माँ ने जब सारी बात सुनी तो उसे साधु पर बड़ा ही क्रोध आया कि वह बेमतलब की बात बताकर उसके बेटे से सो रुपये ठग कर ले गया | वह उस साधु को बुरा भला कहने लगी |

श्यामू को मां का यह व्यवहार पसंद नहीं आया और वह घर छोड़कर कुछ पैसे लेकर चल दिया |

घर से बाहर निकल कर उसे साधु की शिक्षा याद आयी कि बिना साथी बाहर मत निकलना | उसको सामने एक केकड़ा नजर आया | उसने उसे ही उठाकर अपनी जेब में रख लिया |

जब वह चलते-चलते थक गया तो एक पेड़ के नीचे बैठ गया | केकड़े को उसने एक तरफ रख दिया | उस पेड़ पर एक कौवा रहता था और पेड़ के नीचे बिल में एक सांप रहता था | इन दोनों में दोस्ती थी | जब कोई भी पेड़ के नीचे आकर रुकता कौवा बोलने लगता है और उसकी आवाज सुनकर सांप अपने बिल में से निकलकर बाहर रुके आदमी को डस लेता |

कौवे ने जब श्यामू को पेड़ के नीचे सोता देखा तो वह बोलने लगा सांप बाहर आया और उसने श्यामू को डस लिया | श्यामू मर गया | फिर कोवा उसका मांस नोचने के लिए नीचे आकर मरे हुए लड़के के सिर पर बैठ गया | केकड़े ने पीछे से जाकर कौवे को दबोच लिया | कौवा डर के मारे सांप को पुकारने लगा कि – “ बाहर आकर लड़के को जीवित कर दो, उसके दोस्त के केकड़े ने मुझे मुसीबत में डाल दिया है |” सांप बाहर आया और उसने श्यामू का जहर खींच लिया | कोवा तो अधमरा था ही | जब सांप बिल में जाने लगा तो केकड़े ने उसे भी काट लिया | लड़का जीवित हो गया तथा सांप और कौवा दोनों मर गये |

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चलने से पूर्व श्यामू ने कौवे का एक पंख और सिर तथा सांप का सिर और पूछ काटकर अपने पास रख ली | फिर उसने आगे जाकर एक खेत पर नौकरी कर ली | जहां पर उसे बड़ी मेहनत करनी पड़ती थी |

राज्य में उस सांप की चर्चा सब और फैली हुई थी | क्योंकि वह लोगों को डस चुका था | इसलिए राजा ने ढिंढोरा पिटवा दिया, कि जो कोई उस आदमखोर सांप का सिर तथा पूछ लाकर देगा | राजा अपनी बेटी की शादी उससे कर देगा |

एक आदमी ने राजा का ढिंढोरा सुना | उसने पेड़ के नीचे पड़े सांप का शव देखा | मरे हुए सांप को उसने और मारा और उसे उठाकर राजा के पास ले गया | राजा ने पूछा कि – “ सांप का सिर तथा पूछ कहा है, तो वह बोला नाग को मारने में सिर और उसकी पूंछ बुरी तरह कुचल गये |

तभी श्यामू राजा के पास पहुंचा और उसने सांप का सिर तथा पूछ उसे देकर कहा – “ सांप को मारने वाला असली आदमी तो मैं हूं |” इसके बाद उसने सारी घटना सुनायी | राजा ने सांप के शरीर से उसके सिर तथा पूछ का मिलान किया | उसे विश्वास हो गया कि, वास्तव में सांप को इसी ने मारा है |

उसने राजकुमारी की शादी श्यामू से कर दी |

शादी के बाद भी श्यामू नियमानुसार समय से काम पर पहुंच जाता था | तथा जी-तोड़ मेहनत करता | राजा श्यामू की मेहनत तथा ईमानदारी से बड़ा प्रसन्न था | उसने उसे रहने का महल दिया तथा अपना सलाहकार बना दिया |

श्यामू ने गांव से अपनी मां को भी बुलवा लिया | श्यामू की मां समझ गयी कि साधु द्वारा सो रुपये में दी गयी शिक्षा व्यर्थ नहीं गयी | अब वह मन ही मन साधु का धन्यवाद अदा कर रही थी |

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Written by lokhindi
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