रानी लक्ष्मीबाई History – Rani Lakshmibai Biography Hindi

रानी लक्ष्मीबाई History

-रानी लक्ष्मीबाई का इतिहास / Rani Lakshmibai in Hindi। रानी लक्ष्मीबाई का जीवन परिचय – रानी लक्ष्मीबाई की History और कहानी हिंदी में !  


कार्तिक कृष्ण 14th संवत् (Century) 1811 वि० को रानी लक्ष्मीबाई का जन्म हुआ था। इनका बाल्यकाल नाना साहब के साथ बीता था। बाजीराव पेशवाने इनकी शिक्षा की व्यवस्था की थी।

लिखने-पढ़ने के अतिरिक्त घुड़सवारी तथा अस्त्र-संचालन की इन्हें शिक्षा दी गयी। इनका बचपन का नाम था मनूबाई। इनके पिता मोरोपन्त ताम्बे और माता भागीरथी बाई दोनों ही धार्मिक थे। झाँसी के शासक गंगाधर राव के साथ इनका विवाह हुआ। लेकिन विवाह के कुछ ही दिनों बाद रानी लक्ष्मीबाई विधवा हो गयीं।

कोई संतान न होने से लक्ष्मीबाई ने आनन्दराव दामोदर नाम के एक बालक को दत्तक ले लिया। यद्यपि झाँसी का राज्य सदा से अंग्रेजों का विश्वासपात्र रहा था; किंतु उस समय के गवर्नर जनरल लार्ड डलहौजी ने विधवा रानी की प्रार्थना पर कोई ध्यान नहीं दिया। इसी को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया गया।

यह भी पढ़े: रानी अहल्याबाई History – Rani Ahilyabai Biography Hindi

अंग्रेजों के अन्याय का यहीं अन्त नहीं हुआ। दत्तक के नाम रानी ने सात लाख रुपये जमा किये थे। उपनयन-संस्कार के समय उसमें से केवल एक लाख रुपया ही अंग्रेजों ने स्वीकार किया। राज्य छिन गया, सम्पत्ति हड़प ली गयी। इतने पर भी रानी लक्ष्मीबाई शान्त बनी रहीं।

अंग्रेजों ने इस प्रकार एक विरक्ता नारी को भी छेड़ा। नत्थे खाँ नामक एक गुंडे के भड़काने से अंग्रेजी सेना रानी को बंदी बनाने झाँसी चल पड़ी। धर्म और सतीत्व की रक्षा के लिये रानी लक्ष्मीबाई को शस्त्र उठाना पड़ा।

अंग्रेजों की विपुल वाहिनी घेरा डाले पड़ी रही; किंतु लक्ष्मीबाई बाहर निकल गयीं। एक अंग्रेज सेना उनका पीछा कर रही थी। बार-बार घूमकर वे पीछा करने वाले शत्रुओं का सफाया करती जाती थीं। एक सौ दो मील की यात्रा घोड़े की पीठ पर करके वे कालपी पहुँचीं। लेकिन दुर्भाग्य से कालपी में भी अंग्रेजों की विजय हुई। वहाँ से भी उन्हें भागना पड़ा।

यह भी पढ़े: साध्वी रानी एलिजाबेथ History – Rani Elizabeth Biography Hindi

शत्रुओं ने उन्हें घेर लिया था। अंग्रेजी सेना का संहार करती, उसके घेरे को तोड़कर वे फिर निकल गयीं। लेकिन दो अंग्रेज सैनिक उनके पीछे बढ़े। मार्ग में एक बड़ा नाला पड़ने से रानी का घोड़ा रुक गया। पीछे से शत्रु ने उन पर आघात किया, रक्त से उनका शरीर लथपथ हो गया, किंतु उन्होंने गिरते-गिरते भी उन दोनों शत्रुओं के सिर काटकर फेंक दिये। शत्रुओं को मारकर उनका शरीर शिथिल पड़ा। हाथ से तलवार छूट गयी और वे लोकोत्तर वीर नारी सदा के लिये भूमि पर सो गयीं।

रोजाना नई जीवनीयो के लिए हमारी APP डाउनलोड करें: https://goo.gl/ExWdX7