चाणक्य नीति: चौथा अध्याय [ हिंदी में ] Chanakya Neeti Hindi

चाणक्य नीति: चौथा अध्याय ‘पंडित’ विष्णुगुप्त चाणक्य की विश्व प्रसिद नीति का चौथा भाग हिंदी में। चाणक्य नीति: चौथा अध्याय ( Chanakya Neeti Fourth Chapter in Hindi  ) आयुः कर्म च वित्तं च विद्या निधनमेव च। पञ्चैतानि हि सृज्यन्ते गर्भस्थस्यैव देहिनः ।।। जब जीव गर्भ में होता है, उसी समय उसकी आयु, कर्म, धन, विद्या और मृत्यु आदि पांच बातें निश्चित हो जाती हैं। साधुभ्यस्ते निवर्तन्ते पुत्रा मित्राणि बान्धवाः ।। ये च तैः सह गन्तारस्तद्धर्मात्सुकृतं कुलम् ।। पुत्र-मित्र और बन्धुगण साधुओं से दूर रहते हैं। परन्तु जो लोग साधुओं के अनुकूल चलते हैं, उनके इस पुण्य से उनका सारा वंश ... Read more

चाणक्य नीति: तीसरा अध्याय [ हिंदी में ] Chanakya Neeti Hindi

चाणक्य नीति: तीसरा अध्याय ‘पंडित’ विष्णुगुप्त चाणक्य की विश्व प्रसिद नीति का तीसरा भाग हिंदी में। चाणक्य नीति: तीसरा अध्याय ( Chanakya Neeti Third Chapter in Hindi ) कस्य दोषः कुले नास्ति व्याधिनों को न पीडितः। व्यसनं केन न प्राप्तं कस्य सौख्यं निरन्तरम् ।। दोष किसके कुल में नहीं होता। बीमारी ने आज तक किसे नहीं सताया। दुःख, मुसीबतें किस पर नहीं आईं । सदा सुख भी तो कभी नहीं रहता। आचारः कुलमाख्याति देशमाख्याति भाषणम्। सम्भ्रमः स्नेहमाख्याति वपुराख्याति भोजनम् ।। इन्सान का चाल-चलन उसके कुलशील का परिचायक है। उसकी बोलचाल उसके देश को, उसका मान-सम्मान उसके प्रेम को और शरीर ... Read more

चाणक्य नीति: दूसरा अध्याय [ हिंदी में ] Chanakya Neeti Hindi

चाणक्य नीति: दूसरा अध्याय ‘पंडित’ विष्णुगुप्त चाणक्य की विश्व प्रसिद नीति का दूसरा भाग हिंदी में। चाणक्य नीति: दूसरा अध्याय ( Chanakya Neeti Second Chapter in Hindi ) अनृतं साहसं माया मूर्खत्वमतिलुब्धता । अशौचत्वं निर्दयत्वं स्त्रीणां दोषाः स्वभावजाः ।। झूठ बोलना, साहस, छल, कपटता, मूर्खता, अधिक लालच, अपवित्रता और निर्दयता। यह सब औरतों के स्वाभाविक दोष हैं अर्थात औरतों में ये दोष जन्मजात होते हैं। भोज्यं भोजनशक्तिश्च रतिशक्तिर्वराङ्गना। विभवो दानशक्तिश्च नाऽल्पस्य तपसः फलम् ।। भोजन के योग्य पदार्थ और भोजन की शक्ति, सुन्दर नारी और उसे भोगने के लिए शक्ति, विपुल धन और उसके साथ दान देने की भावना। ऐसे ... Read more

चाणक्य नीति: प्रथम अध्याय [ हिंदी में ] Chanakya Neeti

चाणक्य नीति: प्रथम अध्याय ‘पंडित’ विष्णुगुप्त चाणक्य की विश्व प्रसिद नीति का प्रथम भाग हिंदी में। चाणक्य नीति: प्रथम अध्याय ( Chanakya Neeti First Chapter in Hindi ) १. प्रणम्य शिरसा विष्णुं त्रैलोक्याधिपतिं प्रभुम् । नाना शास्त्रोद्धृतं वक्ष्ये राजनीतिसमुच्चयम् ।। तीनों लोकों के स्वामी, सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापक ईश्वर को प्रणाम कर मैं अनेक शास्त्रों से उधृत करके राजनीति समुच्य नाम के इस महाग्रन्थ का कार्य आरम्भ कर रहा हूं। हे प्रभु! मुझे शक्ति दो, आशीर्वाद दो। २. अधीत्येदं यथाशास्त्रं नरो जानाति उत्तमः। धर्मोपदेशविख्यातं कार्याकार्यं शुभाशुभम् ।। मैं इस शास्त्र द्वारा श्रेष्ठ प्राणियों को यह मार्ग दिखाना चाहता हूं कि वे ... Read more

कौन था चाणक्य? चाणक्य की प्रतिज्ञा – चाणक्य नीति

कौन था चाणक्य? ‘पंडित’ विष्णुगुप्त चाणक्य आज पूरे विश्व में चाणक्य के नाम से प्रसिद्ध है। उसकी प्रसिद्धि का कारण उसकी रचना  ‘चाणक्य नीति‘ है! जाने कौन था चाणक्य? क्या थी चाणक्य की प्रतिज्ञा।। भारत की इस महान् धरती पर रचित चाणक्य नीति की सबसे बड़ी विशेषता यही रही है कि यह विश्व की अनेक जुबानों में अनुवादित होकर अपनी लोकप्रियता के झंडे गाड़ चुकी है। यदि इसे नीति का सागर कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इस नीति की सफलता का कारण क्या है? यह रहस्य जानने के लिए अनेक पाठकगण व्याकुल होंगे। जिस नीति की शक्ति से ... Read more