New Horror Story in Hindi – शैतानी चिराग

New Horror Story Hindi – शैतानी चिराग

A New Horror Story in Hindi / Ghost Stories. शैतानी चिराग यह कहानी नंदिनी नामक लड़की और एक शैतानी व्यक्ति चीमा की है जो नंदिनी के पुरे परिवार को खत्म कर देता है ! 


सत्रह वर्षीय नंदिनी बारहवीं कक्षा में फेल हो गई । फेल हो जाने के अफसोस से वो एक समुद्र तट के करीब पत्थरो पर जा बैठी । अपने दुःख में वह अकेली शामिल थी । समुद्र की उठ रही लहरों को देखते हुए वह खिसिया रही थी, यह सोच कर कि जो उत्साह समुद्र की जोश मार रही लहरों में है, वहीं उसके अंदर से क्यों खत्म हो गया ।

नंदिनी इसी खिसियाहट का शिकार रह कर करीब पड़े छोटे -छोटे पत्थर उठाकर समुद्र में फेंकने लगी । वो पागलपन का सबूत देते हुए जोशीली लहरों को पत्थर मार रही थी ।

एक ही जगह से पत्थर उठा-उठाकर समुद्र में फेंकते हुए उसने एक जगह पर गहरा गड्ढा कर डाला, जहां से वह लगातार पत्थर उठा रही थी अचानक उसी जगह से पत्थर उठाते हुए उसके हाथ में पत्थर की जगह कोई और वस्तु आ गई । वो उस वस्तु को फेंकने ही वाली थी कि अचानक उसने देखा कि उसके हाथ में पत्थर की जगह एक चिराग आ गया है ।
चिराग धातु का बना था, उसकी बनावट इस बात का प्रतीक थी कि वह बहुत पुराने समय में जलने वाला चिराग है ।

वास्तव में ऐसी चिराग गुजरे जमाने में जलते देखे गए थे ।
वो चिराग नंदिनी को बहुत अच्छा लगा । वो उसके साथ खेलने में गुम हो गई । इतना ही नहीं, वह अपना सारा दु:ख भूलकर चिराग अपने घर ले आई ।

उसने शीशे की अलमारी में वो चिराग सजा दिया | उसी समय अलमारी का शीशा बंद करते हुए शीशा उसकी अंगुली में लग गया । परिणामस्वरूप अंगुली में खून बहने लगा ।
जख्म को ठीक करने वाली एक क्रीम चिराग के करीब रखी थी । नंदिनी ने हाथ बढ़ाकर जैसे ही क्रीम उठानी चाही, तभी उसकी उंगुली से बहते खून की एक बूंद चिराग पर गिर गई, जिसे वह समुंदर के किनारे उठा लाई थी ।

बूंद के चिराग पर गिरते ही चिराग से गाढ़ा धुआं उठने लगा । यह देख नंदिनी डर गई । वह पीछे हटी । देखते ही देखते उस धुएं का एक आदमी बन गया । वो आदमी करीब पतीस वर्ष का था । उसके तन पर केवल काले रंग की धोती थी । उसके काले घुंघराले बाल कंधों पर पड़े थे । चेहरे से वह कोई शैतान नजर आता था ।

नंदिनी उसे देखकर बुरी तरह डर गई । बोली-
“क… कौन हो तुम ?”
“घबराओ मत, मैं तुम्हारा गुलाम हूं । कहो, क्या आदेश है ?”
” तुम वापस जाओ ।” नंदिनी ने कहा ।
“मैं जाने के लिए नहीं आया हूं । मैं तो आपकी हुक्म को पूरा करने आया हूं ।”
कुछ क्षणों तक नंदिनी उसे यूं ही देखती रही । फिर उसने पूछा-
“तुम्हारा नाम क्या है ?”
“चीमा ।”
“ओके, फिलहाल तुम यहां से जाओ । मैं बाद में तुम्हें कोई आदेश दूंगी ।”
“पर कहां जाऊं ?” चीमा ने पूछा ।

” जहां से आए हो ।”
“पर अब मैं वहां वापिस नहीं जा सकता । मुझे आप ही के घर में रहना होगा । बताइये, मैं आपके घर में किस जगह रहूं ?”
“आओ मेरे साथ ।”
नंदिनी उसे अपने साथ एक खाली कमरे में ले गई और उसने उसे वह कमरा दे दिया ।

उसके बाद नंदिनी ने चीमा के बारे मैं अपने पूरे परिवार को बता दिया । साथ ही चीमा से मिलवा भी दिया । उसके परिवार में उसके मां-बाप, एक बड़ी बहन और एक छोटा भाई था । चीमा से मिलकर नंदिनी के परिवार को हैरत अवश्य हुई, परंतु उन्हें इस बात की खुशी थी की चीमा एक ऐसी अद्भुत व्यक्ति है, जो उनके असंभव कार्य को भी संभव कर सकता हैं । You Read This New Horror Story in Hindi on Lokhindi.com

नंदिनी के पिता ने चीमा से कहा-
“मुझे 20 लाख रूपए की जरूरत है ।”
“मिल जायेंगे ।” चीमा ने कहा – “मगर थोड़ा इंतजार करना होगा।”
“ठीक है ।”

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चीमा अदृश्य होकर नंदिनी के घर के सामने वाले बंगले में पहुंचा । वहां वो अपने स्पष्ट रूप के साथ 20 लाख रुपए तिजोरी से चुरा रहा था की बंगले की मालकिन ने उसे देख लिया । इससे पहले कि वो शोर मचाती, चीमा ने चाकू से उसका गला काट दिया और 20 लाख रुपये लाकर नंदिनी के पिता को दे दिए ।

जब शाम को पता चला कि सामने वाले बंगले में 20 लाख की चोरी होने के साथ मालकिन को चोर ने खत्म कर दिया है तो नंदिनी के पिता ने अनुमान लगा लिया कि वह सब चीमा ने ही किया है ।
अपना यह अनुमान उन्होंने पूरे परिवार से पता कर कहा – “चीमा का यहां रहना ठीक नहीं । यह इंसान के रूप में शैतान है । इसे इस घर से निकाल दो ।”
उनकी बात किसी ने न मानी ।

रात को जब सब सो रहे थे, तो चीमा ने आकर नंदिनी के बाप का गला घोट दिया और उसे खत्म कर दिया । क्योंकि चीमा सुन चुका था, कि नंदिनी का बाप उसके खिलाफ हो गया है ।
अगले दिन उसके घर में मातम मनाया गया । बाप की मौत पर नंदिनी बहुत रोई । पूरा परिवार दु:खों के सागर में डूब गया था ।

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नंदिनी का भाई इतना छोटा था की उसे अपने पिता की मौत की कोई समझ नहीं थी । वह घर की छत पर बैठा एक कागज पर हवाई जहाज बना रहा था । तभी उसके पास चीमा आ गया । उसने चीमा कहा-
” क्या तुम मुझे हवा में उड़ा सकते हो ?”
” क्यों नहीं !” चीमा ने कहा- “अभी लो…।”
उसी के साथ चीमा ने उसे उठाकर आकाश की और उछाल दिया ।
वह बहुत जोर से चीखा । जमीन पर गिरते ही उसने दम तोड़ दिया ।

घर में दो-दो अर्थी देख कर उसकी मां नंदिनी बहुत रोई । अगले दिन नंदिनी की मां ने कहा – “मुझे लगता है, हमारे घर में इन दो मौतों का कारण चीमा है । जब से यह हमारे घर में आया है, तब से एक अजीब-सी मनहूसियत हमारे घर में आ गई है । चिमा को जितना जल्दी हो सके… घर से निकालो ।”

नंदिनी और उसकी बड़ी बहन ने मां की बात नहीं मानी । नंदिनी ने मां से कहा – ” मम्मा, आपको गलतफहमी हो रही है । चीमा हमारे लिए बुरा नहीं है । उसने एक बार कहने पर पापा को 20 लाख रुपया दे दिया । मगर पापा भी उसको गलत समझ रहे थे और अब आप भी उसको गलत समझ रही हैं ।”
“मैं सही कह रही हूं ।” मां ने अपनी बात पर जोर दिया ।
“मम्मा, यह गलतफहमी आप अपने दिल से निकाल दो । नंदनी की बड़ी बहन ने कहा- “चीमा हमारे लिए बुरा नहीं है ।”

परंतु मां ने दोनों बेटियों की एक न सुनी । एक घंटे बाद चीमा ने नंदिनी की मां को भी मार दिया ।
मां की मौत हो जाने के बाद दोनों बहने अकेली रह गई । परिवार में अचानक तीन मौत हो जाने से दोनों बहने टूट सी गई । उन दोनों ने समझा कि घर मैं लगातार दो मौतें होने के कारण मां सदमे से मर गई है ।

पंद्रह दिन बाद नंदिनी ने चीमा से कहां – “मेरा दोस्त करण अमेरिका जा रहा है । क्या तुम उसे जाने से रोक सकते हो ?”
“बेशक ।” चीमा ने दृढ़ स्वर मे कहा ।
तत्पश्चात दो घंटे बीत जाने पर ख़बर मिली की करण की टांग किसी ने काट दी है । इतना सुन नंदिनी समझ गई की करण की टांगे काटने वाला चीमा ही है ।
सचमुच चीमा ने ही करण की टांगे काटी थीं ।

नंदिनी ने अपनी बड़ी बहन को सारी बातें बताई । फिर दोनों बहनों ने अगली-पिछली बातों को दोहराया तो उन्हें समझ में आता चला गया की उनके परिवार वालों का तथा उनके घर के सामने बंगले की मालकिन का कातिल चिमा ही है ।

“चिमा को हमें इस घर से निकालना ही होगा ।” नंदिनी बोली ।
तभी चीमा ठहाके लगाता हुआ उन दोनों के बीच आ गया । उन दोनों ने चीमा की शक्ल देखी तो बुरी तरह डर गई । चीमा बहुत डरावनी शक्ल अपना चुका था । You Read This New Horror Story in Hindi on Lokhindi.com

वे दोनों उसे देखकर बुरी तरह डर गई । चीमा ने कहा – “अब तुम दोनों मारी जाओगी… जानती हो मैं कौन हूं… मैं एक मुर्दा था । मुझे अपनी साधना से एक तपस्वी ने जीवित किया था । जब जीवित होकर मैं हर वो काम करने लगा जिससे तपस्वी को बुरा लगने लगा तो उसने मुझे एक चिराग में कैद कर दिया । साथ ही कहा- ‘तू इस चिराग में तब तक कैद रहेगा जब तक कि इस चिराग को खून नहीं मिलेगा’ । फिर उसने चिराग समुद्र किनार पत्थरों में दफन कर दिया था । उस चिराग को तुम ले आई और तुम्हारी अंगुली से बहते खून की बूंद चिराग पर टपक गई । बस फिर क्या था… मैं कैद से आजाद हो गया । अब मैं कभी कैद नहीं हो सकता… बोलो, मरने से पहले तुम्हारी आखिरी इच्छा क्या है ?” 

जल्दी से नंदिनी की बङी बहन ने कहा – “जो 16 दिन पहले था, आज हो जाये ।” वास्तव में चीमा को नंदिनी के घर में आए 17 दिन हो चुके थे । उसका 17 वां दिन वहां कट रहा था । बहन के कहते ही चीमा ने वक्त को 16 दिन पीछे घटाते हुए वहीं से शुरू कर दिया जहां से नंदिनी उस चिराग को अलमारी लगा रही थी, जिसमें चीमा कैद था ।

सब कुछ उसी समय का दृश्य था । बीते कल की बातें दोबारा चलते हुए जब नंदिनी की अंगुली कटी और उसने चिराग के बराबर में रखी जख्म पर लगाने वाली क्रीम को उठाना चाहा तो जल्दी से उसकी बहन आई और उसने नंदिनी का हाथ वहीं के वहीं रोक कर कहा – “ऐसी गलती न करना । तुम्हारी उंगली से बहता खून अगर चिराग पर टपक गया तो चीमा आजाद हो जायेगा और इस दुनिया में कोहराम मचा देगा ।”
चीमा वापस चिराग में कैद हो चुका था । शीघ्रता से दोनों बहनों ने चिराग एक दरिया में फेंक दिया ।

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