Moral Stories in Hindi – बेचारा भोला – Hindi Moral Stories
Moral Stories in Hindi – बेचारा भोला
Hindi Moral Stories / Moral Stories
एक अत्यधिक भोला आदमी था | चालबाजी तो उसके पूर्वजों में भी नहीं थी | पैसे की कमी उसके पास सदा से थी | छोटी नौकरी के कारण वेतन भी कम था |
अतः गुजर-बसर बहुत तंगी में होती |
निर्धनता के कारण चिंता उसे जोक की तरह चिपट गई थी | सुबह को नौकरी पर जाता, शाम को आता और सारी रात सोचते-सोचते ही गुजार देता की आमदनी किस प्रकार बढ़े |
एक दिन उसे उसका एक पुराना मित्र मिला, उसने उससे परेशानी का कारण पूछा |
उसने एक ही सांस में सब कुछ बता दिया |
उसके मित्र ने सलाह दी कि “ वह बॉक्सिंग सीख ले, रात का टाइम इसके लिए उत्तम रहेगा | इसमें हारने वाले को भी एक हज़ार रुपये मिल जाता है |”
भोला नामक उस सीधे-साधे आदमी ने अपने दुबले पतले शरीर की परवाने की और एक मित्र से एक हज़ार रुपये उधार लेकर बॉक्सिंग दस्ताने खरीद लिया |
वह रोज रात को एक क्लब में जाता और बॉक्सिंग का अभ्यास करता | रात को जब पत्नी और बच्चे सो जाते तो बादामो का सेवन करता |
क्लब में आते समय बॉक्सिंग दस्ताने एक मित्र के घर रख आता |
कुछ ही दिनों में उसे महसूस हुआ, कि उसकी हड्डियां अब मजबूती की ओर अग्रसर हो रही हैं |
प्रतियोगिता के दिन करीब आते जा रहे थे |
भोला कड़ी मेहनत से अभ्यासरत था |
और फिर वह दिन भी आ पहुंचा, जब बॉक्सिंग की प्रतियोगिता होनी थी |
भोला प्रतियोगिता के नियमों की सूची देख रहा था, कि उछल पड़ा | इस बार प्रतियोगिता के नियमों में कुछ अंतर किया गया था |
लेकिन भोला जैसे पहलवान के लिए यह अंतर जीवन-मृत्यु का अंतर था |
अंतर यह था कि “ हारे हुये उसी प्रतियोगी को एक हज़ार रुपये दिये जायेगे | जो प्रतियोगिता के सात चक्कर पूरे कर लेगा |”
सात चक्कर तो दूर भोला एक ही चक्कर पूरा नहीं कर पायेगा, क्योंकि उसका पहला प्रतिद्वंदी ही पिछले वर्ष का विजेता चीता नामक पहलवान था |
भोले के सपनों पर मानो पानी फिर गया |
उसे अपना सिर घूमता-सा महसूस हुआ |
अचानक उसे रोशनी की एक किरण सी नजर आयी |
चीता पहलवान !
“ हां वह मेरी कुछ मदद कर सकता है ”
और वह तेजी से चीता के घर की ओर दौड़ गया |
वहां पहुंचते ही वह चीता के पैरों में गिर पड़ा – “ चीता जी! बॉक्सिंग के जंगल के राजा, मेरी रक्षा करो |”
चीता ने पूछा – “ क्या हुआ ”
“ हे राजा ! मुझे एक वचन दो ”
“ कैसा वचन ”
“ मेरी रक्षा का वचन ”
“ ठीक है ! मैं वचन देता हूं, कि में तुम्हारी रक्षा करूंगा ” चीता ने अनजाने में उसे वचन दे दिया |
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तब….,
भोला ने उसे सारी बात बतायी |
चीता ने “ हां ” में सिर हिला दिया |
अंत में भोला ने कहा – “ हे गुरु ! आप बस मुझसे सात चक्र तक पीट लीजिये |”
“ ठीक है ” चिता ने कहा |
भोला आश्वस्त होकर वापस लौट गया |
कुछ घंटों पश्चात रात के समय भोला दस्ताने पहने रेफरी की सिटी का इंतजार कर रहा था |
सामने चीता शांति से खड़ा था |
सीटी बजी |
पहला चक्कर शुरू हुआ |
भोले ने फुर्ती से हाथ घुमाया |
वार सीधा चिता की कनपटी पर पड़ा, चीता नीचे गिरकर खड़ा हो गया |
और फिर…..
एक के बाद एक सात चक्कर पूरे हुये |
भोले ने अनेकों वार चीते पर किये, परंतु एक भी चीता के चेहरे तक नहीं पहुंचा |
और अंत में जब आठवां चक्कर आया, तो भोला वार खाने के लिए तैयार हो गया |
चिता का हाथ घुमा और भोला के मुंह से टकराया |
भोला जो अभी तक नहीं गिरा था, धड़ाम से गिर पड़ा |
रेफरी ने दस गिनती पूरी की और चीता को विजेता घोषित कर दिया |
मगर……
भोला को तो न उठना था और न ही वह उठा |
फिर,
रेफरी ने दो आदमियों को इशारा किया | वे भोला को एंबुलेंस में डालकर अस्पताल पहुंचाये |
अस्पताल में उसे होश आया | वह एक विजेता की मुस्कान मुस्कुरा रहा था |
तभी डॉक्टर ने पूछा – “ भोला ! मैं आपका इलाज शुरू करूं |”
वह बोला – “ हा-हा शुरू करो |”
डॉक्टर ने कहा – “ ऑपरेशन करना होगा, दो हज़ार रुपये लगेंगे |”
“ क्या कह रहे हो, डॉक्टर ”
डॉक्टर ने कहा – “ जनाब ! आपकी बत्तीसी हिल गयी है, कई दांत निकालकर नकली लगाने होंगे |”
डॉक्टर बोलता गया |
भोले ने नहीं सुना, वह वापस बेहोश हो गया था |
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